लम्बी आयु की परिकल्पना आज हम आपको नीम करोली बाबा जी द्वारा बताये गए लम्बी आयु के मंत्र के बारें में बताएँगे। ऐसा कोई भी मनुष्य नहीं जो चिरंजीवी नहीं बनना चाहता अर्थात ऐसा भी कोई नहीं जो एक पूर्ण आयु को प्राप्त नहीं करना चाहता। हम में से हर किसी की चाहत होती है कि हमें एक स्वस्थ जीवन और एक लंबी आयु प्राप्त हो पर हमारी दिनचर्या ऐसी है कि हम चाह कर भी एक स्वस्थ जीवन को नहीं पा पते है और जब शरीर ही स्वस्थ नहीं है तो लंबी आयु की कल्पना भी नहीं की जा सकती। आज भी दुनिया के कई देश ऐसे हैं जहां 100 से अधिक वर्ष की आयु के व्यक्ति आज भी पूर्णतया स्वस्थ जीवन व्यतीत कर रहे है। इसका कारण केवल उनकी स्वस्थ जीवन शैली है। स्वस्थ जीवन शैली स्वस्थ जीवन शैली क्या होती है इसके बारे में हम सभी को विचार करना चाहिए क्योंकि अगर हमारे अतिरिक्त कोई दूसरा प्राणी है जो एक स्वस्थ जीवन को जीकर एक लंबी आयु को प्राप्त कर सकता है तो हम क्यों नहीं प्राप्त कर सकते ? स्वस्थ जीवन का मतलब होता है कि अपने आचार-विचार,अपने व्यवहार, अपने भोजन में सैयमित रहना अर्थात अपने शरीर को केवल उतना ही खाद्य साम...
प्रिय भक्तो आज हम आप सभी को एक पुजारी उपासक और भक्त की परिभाषा अलग -अलग बताएँगे। हम सभी से कभी न कभी ये प्रश्न कोई भी कर सकता है कि तीनो में क्या भेद होता है परन्तु अग्ज्ञान वश हम इन प्रश्नो का उत्तर देने में असमर्थ हो जाते है। भगवन को किसकी पूजा प्रिय है ? सर्वप्रथम हम सभी को ये समझना चाहिए की पुजारी, उपासक और भक्त, इन तीनो के केंद्र बिंदु में केवल भगवान् ही रहते है। ये सभी लोग अपनी अपनी श्रद्धा और भक्ति के अनुरूप भगवान् को प्रसंन्न करने का प्रयास करते रहते है। अगर हम वेद और शास्त्रों की माने को भगवान् को किसी की पूजा नहीं चाहिए क्योकि भगवान् अपने भक्तो की सच्ची भक्ति को ही प्रिय मानते है। सृष्टिके प्रारम्भ में जब भ्रह्मा ने दुनिया को रचा तब एक प्रजापति भी बनाया गया और उस प्रजापति का नाम दक्ष पड़ा। प्रजापति दक्ष ने मानव सभयता को ४ वर्णो में विभाजित कर दिया : ब्राह्मण,छत्रिय, वैश्य , शूद्र। इन चारो वर्णो में ब्राह्मण को सबसे अधिक सम्मानित और महत्वपूर्ण माना गया है परन्तु शास्त्र हमे इस बात का प्रमाण देते है की कोई प्राणी जो जन्म से ब्राह्मण हो पर कर्म स...