लम्बी आयु की परिकल्पना आज हम आपको नीम करोली बाबा जी द्वारा बताये गए लम्बी आयु के मंत्र के बारें में बताएँगे। ऐसा कोई भी मनुष्य नहीं जो चिरंजीवी नहीं बनना चाहता अर्थात ऐसा भी कोई नहीं जो एक पूर्ण आयु को प्राप्त नहीं करना चाहता। हम में से हर किसी की चाहत होती है कि हमें एक स्वस्थ जीवन और एक लंबी आयु प्राप्त हो पर हमारी दिनचर्या ऐसी है कि हम चाह कर भी एक स्वस्थ जीवन को नहीं पा पते है और जब शरीर ही स्वस्थ नहीं है तो लंबी आयु की कल्पना भी नहीं की जा सकती। आज भी दुनिया के कई देश ऐसे हैं जहां 100 से अधिक वर्ष की आयु के व्यक्ति आज भी पूर्णतया स्वस्थ जीवन व्यतीत कर रहे है। इसका कारण केवल उनकी स्वस्थ जीवन शैली है। स्वस्थ जीवन शैली स्वस्थ जीवन शैली क्या होती है इसके बारे में हम सभी को विचार करना चाहिए क्योंकि अगर हमारे अतिरिक्त कोई दूसरा प्राणी है जो एक स्वस्थ जीवन को जीकर एक लंबी आयु को प्राप्त कर सकता है तो हम क्यों नहीं प्राप्त कर सकते ? स्वस्थ जीवन का मतलब होता है कि अपने आचार-विचार,अपने व्यवहार, अपने भोजन में सैयमित रहना अर्थात अपने शरीर को केवल उतना ही खाद्य साम...
वेद दुनिया के सबसे पुराने लिखित धार्मिक और दार्शनिक ग्रंथ हैं। 'वेद' शब्द संस्कृत के शब्द 'विद्' से लिया गया है, जिसका अर्थ है 'ज्ञान'। वैदिक साहित्य में वेद सबसे महत्वपूर्ण हैं। 1500 से 500 ईसा पूर्व के बीच वैदिक संस्कृत में रचित, वेद हिंदू धर्म के सबसे पुराने ग्रंथ हैं। वेद क्या है ? वेद चार हैं: ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद। वेदों में देवता, ब्रह्मांड, ज्योतिष, गणित, चिकित्सा, विज्ञान, भूगोल, धर्म, संगीत, रीति-रिवाज और परंपराओं जैसे कई विषयों का ज्ञान समाहित है। वेदों का महत्व इस बात में निहित है कि इन्हें किसी मनुष्य ने नहीं लिखा बल्कि ईश्वर द्वारा ऋषियों को ईश्वरीय ज्ञान के आधार पर दिया गया। यही कारण है कि वेदों को 'श्रुति' भी कहा जाता है। वेदों के सम्पूर्ण ज्ञान को महर्षि कृष्ण द्वैपायन ने चार भागों में विभाजित किया था, जिन्हें ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद के नाम से जाना जाता है। इन्हें वेदव्यास के नाम से भी जाना जाता है। वेदों में ऋषियों की तपस्या और ज्ञान समाहित है, जिसे उन्होंने अपने शिष्यों को प्रदान किया। इसी तरह पीढ...