लम्बी आयु की परिकल्पना आज हम आपको नीम करोली बाबा जी द्वारा बताये गए लम्बी आयु के मंत्र के बारें में बताएँगे। ऐसा कोई भी मनुष्य नहीं जो चिरंजीवी नहीं बनना चाहता अर्थात ऐसा भी कोई नहीं जो एक पूर्ण आयु को प्राप्त नहीं करना चाहता। हम में से हर किसी की चाहत होती है कि हमें एक स्वस्थ जीवन और एक लंबी आयु प्राप्त हो पर हमारी दिनचर्या ऐसी है कि हम चाह कर भी एक स्वस्थ जीवन को नहीं पा पते है और जब शरीर ही स्वस्थ नहीं है तो लंबी आयु की कल्पना भी नहीं की जा सकती। आज भी दुनिया के कई देश ऐसे हैं जहां 100 से अधिक वर्ष की आयु के व्यक्ति आज भी पूर्णतया स्वस्थ जीवन व्यतीत कर रहे है। इसका कारण केवल उनकी स्वस्थ जीवन शैली है। स्वस्थ जीवन शैली स्वस्थ जीवन शैली क्या होती है इसके बारे में हम सभी को विचार करना चाहिए क्योंकि अगर हमारे अतिरिक्त कोई दूसरा प्राणी है जो एक स्वस्थ जीवन को जीकर एक लंबी आयु को प्राप्त कर सकता है तो हम क्यों नहीं प्राप्त कर सकते ? स्वस्थ जीवन का मतलब होता है कि अपने आचार-विचार,अपने व्यवहार, अपने भोजन में सैयमित रहना अर्थात अपने शरीर को केवल उतना ही खाद्य साम...
Neem Karoli Baba
आज पुरे विश्व में पूज्य श्री नीम करोली बाबा जी के असंख्य भक्त है और उनमें से ज़्यादातर भक्तो का मानना है की श्री नीम करोली बाबा श्री हनुमान जी के अवतार थे क्योकि बाबा की जीवन शैली और उनके चमत्कार इस बात का प्रमाण देते है की उनका सम्बन्ध साक्षात् श्री हनुमान जी से था। इसी तथ्य के प्रमाण के रूप में आज एक घटना का जिक्र हो रहा है।
कैंची धाम में बाबा एक दिन शंकर प्रसाद व्यास जी के साथ टहल रहे थे । बाबा व्यास जी के कन्धे पर हाथ रख कर चल रहे थे । एकाएक व्यास जी के मन में विचार आया कि लोग कहते है की बाबा को हनुमान के अवतार है , पर इस बात पर विश्वास कैसे किया जाये । अभी वे सोच ही रहे थे कि बाबा का कंधे पर रखा हाथँ उनको भारी महसूस होने लगा और धीरे-धीरे उसका भार बड़ता ही चला गया । यहाँ तक कि उनका कंधा जवाब देने लगा । हाथ सहज रूप से आपके कन्धे पर पड़ा था उसका आकार भी यथावत था ।
कैंची धाम में बाबा एक दिन शंकर प्रसाद व्यास जी के साथ टहल रहे थे । बाबा व्यास जी के कन्धे पर हाथ रख कर चल रहे थे । एकाएक व्यास जी के मन में विचार आया कि लोग कहते है की बाबा को हनुमान के अवतार है , पर इस बात पर विश्वास कैसे किया जाये । अभी वे सोच ही रहे थे कि बाबा का कंधे पर रखा हाथँ उनको भारी महसूस होने लगा और धीरे-धीरे उसका भार बड़ता ही चला गया । यहाँ तक कि उनका कंधा जवाब देने लगा । हाथ सहज रूप से आपके कन्धे पर पड़ा था उसका आकार भी यथावत था ।
व्यास जी बहूत परेशान हो गये । प्रेम से रखे इस महान विंभूति के हाथ को हटाने में व्यास जी को संकोच हो रहा था , पर उसका भार बड़ता जा रहा था जो व्यास जी के सहन से बाहर था । अपनी ऐसी विवशता में व्यास जी मन ही मन प्रार्थना करने लगे कि बाबा मूझे मेरी धृष्टता के लिये क्षमा करे । ऐसे कहते ही स्थिति पूर्ववत हो गयी । इस तरह बाबा ने अपना हनुमत रूप दिखा दिया ।
जय श्री नीम करोली बाबा की
जय श्री कैंची धाम
आलौकिक यथार्थ
जय श्री नीम करोली बाबा की
जय श्री कैंची धाम
आलौकिक यथार्थ
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