लम्बी आयु की परिकल्पना आज हम आपको नीम करोली बाबा जी द्वारा बताये गए लम्बी आयु के मंत्र के बारें में बताएँगे। ऐसा कोई भी मनुष्य नहीं जो चिरंजीवी नहीं बनना चाहता अर्थात ऐसा भी कोई नहीं जो एक पूर्ण आयु को प्राप्त नहीं करना चाहता। हम में से हर किसी की चाहत होती है कि हमें एक स्वस्थ जीवन और एक लंबी आयु प्राप्त हो पर हमारी दिनचर्या ऐसी है कि हम चाह कर भी एक स्वस्थ जीवन को नहीं पा पते है और जब शरीर ही स्वस्थ नहीं है तो लंबी आयु की कल्पना भी नहीं की जा सकती। आज भी दुनिया के कई देश ऐसे हैं जहां 100 से अधिक वर्ष की आयु के व्यक्ति आज भी पूर्णतया स्वस्थ जीवन व्यतीत कर रहे है। इसका कारण केवल उनकी स्वस्थ जीवन शैली है। स्वस्थ जीवन शैली स्वस्थ जीवन शैली क्या होती है इसके बारे में हम सभी को विचार करना चाहिए क्योंकि अगर हमारे अतिरिक्त कोई दूसरा प्राणी है जो एक स्वस्थ जीवन को जीकर एक लंबी आयु को प्राप्त कर सकता है तो हम क्यों नहीं प्राप्त कर सकते ? स्वस्थ जीवन का मतलब होता है कि अपने आचार-विचार,अपने व्यवहार, अपने भोजन में सैयमित रहना अर्थात अपने शरीर को केवल उतना ही खाद्य साम...
दवा पिला दे - श्री कैंची धाम | Dawa pila de - Shri Kainchi Dham
अल्मोड़ा में एक दिन दिवाकर पंत बहुत बुरी तरह बीमार हो गये। आधी रात होते-होते उनकी हालत बहुत नाजुक हो गयी। पहाड़ में इतनी रात किसी डॉक्टर को बुलाना भी संभव नहीं था। सब सुबह होने का इंतजार कर रहे थे। उनकी हालत लगातार बिगड़ती जा रही थी। उनकी पत्नी रोते-रोते बदहवास होकर गिर पड़ीं। सभी चिंतित हो उठे।
तभी उन्होंने महसूस किया जैसे महाराज जी उनका कंधा पकड़कर हिला रहे हैं और एक दवा की तरफ इशारा करते हुए कह रहे हैं कि, "वो दवा पिला दे ठीक हो जाएगा।"
उन्हें यह सोचने का भी होश नहीं था कि, अचानक बाबाजी कब आ गये ? कमरे में उनके अलावा किसी और ने बाबाजी को देखा भी नहीं। वे उठीं और बाबाजी ने जिस दवा की तरफ इशारा किया था वह दवा पिला दी। दवा देते ही दिवाकर पंत के व्यवहार में अजीब सा बदलाव आ गया। वे हिंसक हो गये और अनाप-शनाप बकने लगे। ऐसे लग रहा था जैसे उनके दिमाग का संतुलन बिगड़ गया है। सब उनकी पत्नी के व्यवहार को कोस रहे थे कि बिना जाने समझे उसने कौन सी दवा दे दी। खुद उनकी पत्नी को भी पता नहीं था कि उन्होंने कौन सी दवा दे दी है। उन्हें न दवा का नाम पता था और न डोज।
खैर, अगली सुबह डॉ खजानचंद आये। रोगी की जांच करने के बाद उन्होंने वह सब वाक्या बड़े धैर्य से सुना जो रात में घटित हुआ था। उन्होंने 'कोरोमिन' नामक दवा की वह शीशी भी देखी जिसमें से रात में रोगी को उनकी पत्नी ने दवा पिलाई थी। सब सुनने के बाद उन्होंने दिवाकर पंत की पत्नी से पूछा, "बेटी तुमने यह दवा क्यों दी ?"
मारे शर्म और अपराधबोध के वो कोई जवाब न दे सकीं। बस बुरी तरह रोये जा रही थी। तब डॉक्टर ने उनकी पीठ थपथपाते हुए कहा कि, "यह दवा देकर तुमने अपने पति की जान बचा ली। उस वक्त सिर्फ यही एक दवा थी जो रोगी को दी जा सकती थी।" डॉक्टर ने कहा, "अब वे ठीक हो जाएंगे। घबराने की कोई बात नहीं है।"
श्री नीम करौली बाबा जी की सर्वव्यापकता का ज्ञान सर्वविदित है।
जय श्री कैंची धाम की
जय श्री नीम करोली बाबा
जय श्री कैंची धाम की
जय श्री नीम करोली बाबा
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