लम्बी आयु की परिकल्पना आज हम आपको नीम करोली बाबा जी द्वारा बताये गए लम्बी आयु के मंत्र के बारें में बताएँगे। ऐसा कोई भी मनुष्य नहीं जो चिरंजीवी नहीं बनना चाहता अर्थात ऐसा भी कोई नहीं जो एक पूर्ण आयु को प्राप्त नहीं करना चाहता। हम में से हर किसी की चाहत होती है कि हमें एक स्वस्थ जीवन और एक लंबी आयु प्राप्त हो पर हमारी दिनचर्या ऐसी है कि हम चाह कर भी एक स्वस्थ जीवन को नहीं पा पते है और जब शरीर ही स्वस्थ नहीं है तो लंबी आयु की कल्पना भी नहीं की जा सकती। आज भी दुनिया के कई देश ऐसे हैं जहां 100 से अधिक वर्ष की आयु के व्यक्ति आज भी पूर्णतया स्वस्थ जीवन व्यतीत कर रहे है। इसका कारण केवल उनकी स्वस्थ जीवन शैली है। स्वस्थ जीवन शैली स्वस्थ जीवन शैली क्या होती है इसके बारे में हम सभी को विचार करना चाहिए क्योंकि अगर हमारे अतिरिक्त कोई दूसरा प्राणी है जो एक स्वस्थ जीवन को जीकर एक लंबी आयु को प्राप्त कर सकता है तो हम क्यों नहीं प्राप्त कर सकते ? स्वस्थ जीवन का मतलब होता है कि अपने आचार-विचार,अपने व्यवहार, अपने भोजन में सैयमित रहना अर्थात अपने शरीर को केवल उतना ही खाद्य साम...
प्राण वापस आ गये नीम करोली बाबा | Pran wapas aa gaye neem karoli baba
नीम करोली बाबा के जीवन से सम्बंधित अनेक चमत्कारिक घटनाओ में से एक घटना का विवरण यहाँ दिया जा रहा है। बाबा के भक्तो ने बाबा की कृपा को खुद अनुभव किया। ये घटना करीब 4 दशक पुरानी है अर्थात करीब 40 वर्ष पूर्व मेरी पत्नी बहुत बीमार हो गयी। बचने की कोई उम्मीद नही थी। मेरे पास एक ही रास्ता था , बाबा का निरन्तर स्मरण। जब पता चला बाबा जी बरेली डाक्टर भण्डारी के घर आये है तो वहाँ भागा पर बाबा वहाँ न मिले। आठ बजे रात पेड़ के नीचे बैठा बाबा को याद करता रहा, तब एक व्यक्ति से पता चला कि बाबा जी कमिश्नर लाल साहेब के घर पर हैं। मै वहाँ पहँचा परन्तु चपरासी ने भीतर नही जाने दिया। मैं बाहर ही महाराजजी को दीनता से अंतरमन में पुकारता रहा और तभी नीम करोली बाबा जी बाहर निकल आये मेरी आर्त पुकार सुनकर और कहा, "रिक्शा ला तेरे घर चलते है!"
लाल साहब की गाडी पर नीम करोली बाबा नही बैठे। रिक्शे से हम घर आ गये। बाबा सीधे मेरी पत्नी के कमरे में पहुंचे और उनके पलंग के पास ही कुर्सी पर बैठ गये। तभी उन्होने अपने चरण उठाकर पलंग पर रख दिये। पत्नी ने प्रयास करके किसी तरह अपना सिर बाबा के चरणों पर रख दिया, इसके साथ ही उनकी रही सही नब्ज भी छूट गयी। सब हाहाकार करके रो उठे पर बाबा जी चिल्ला कर बोले, "नहीं, मरी नही है, आन्नद में है " और ऐसा कहकर पत्नी के गाल पर चपत मारी और उसकी नब्ज वापिस आ गई। तब रात 10:30 बजे बाबा ने हिमालया कम्बल माँगा। कम्बल आ गया, जिसे बाबा जी ने खुद ओढ लिया और अपना ओढा कम्बल पत्नी पर डाल कर चले गये।
बाबा दूसरे दिन फिर आये और पत्नी की नब्ज उनके चरण छूते फिर छूट गयी। तब बाबा बोले "माई हमे बहुत परेशान करती है! हमें बैठना पड़ जाता है " और इसके बाद पत्नी बिना इलाज के पूर्णता: स्वस्थ हो गई!
(प्यारेलाल गुप्ता -- बरेली)
जय श्री नीम करोली बाबा की
जय श्री कैंची धाम की
अनंत कथामृत
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