लम्बी आयु की परिकल्पना आज हम आपको नीम करोली बाबा जी द्वारा बताये गए लम्बी आयु के मंत्र के बारें में बताएँगे। ऐसा कोई भी मनुष्य नहीं जो चिरंजीवी नहीं बनना चाहता अर्थात ऐसा भी कोई नहीं जो एक पूर्ण आयु को प्राप्त नहीं करना चाहता। हम में से हर किसी की चाहत होती है कि हमें एक स्वस्थ जीवन और एक लंबी आयु प्राप्त हो पर हमारी दिनचर्या ऐसी है कि हम चाह कर भी एक स्वस्थ जीवन को नहीं पा पते है और जब शरीर ही स्वस्थ नहीं है तो लंबी आयु की कल्पना भी नहीं की जा सकती। आज भी दुनिया के कई देश ऐसे हैं जहां 100 से अधिक वर्ष की आयु के व्यक्ति आज भी पूर्णतया स्वस्थ जीवन व्यतीत कर रहे है। इसका कारण केवल उनकी स्वस्थ जीवन शैली है। स्वस्थ जीवन शैली स्वस्थ जीवन शैली क्या होती है इसके बारे में हम सभी को विचार करना चाहिए क्योंकि अगर हमारे अतिरिक्त कोई दूसरा प्राणी है जो एक स्वस्थ जीवन को जीकर एक लंबी आयु को प्राप्त कर सकता है तो हम क्यों नहीं प्राप्त कर सकते ? स्वस्थ जीवन का मतलब होता है कि अपने आचार-विचार,अपने व्यवहार, अपने भोजन में सैयमित रहना अर्थात अपने शरीर को केवल उतना ही खाद्य साम...
बाबा नीम करोरी का कैंची धाम प्रवास | Baba Neem Karori Ka Kainchi Dham Pravas
उत्तराखंड में बाबा नीम करोरी महाराज की कई कथाएं प्रचलित हैं। लोगों के मुताबिक बाबा 1940 के आस-पास उत्तराखंड के प्रवास पर थे। भवाली से कुछ किलोमीटर आगे जाने के बाद बाबा नीम करोली एक छोटी सी घाटी के पास रुके और सड़क किनारे बनी पैरापट पर बैठ गए। सामने पहाड़ी पर दिखाई दिए एक आदमी को उन्होंने आवाज दी पूरन...ओ पूरन...पूरन यहां आओ। पूरन नीचे आया और कम्बल लपेटे अजनबी से अपना नाम सुनकर अचंभित रह गया। अजनबी व्यक्ति ने मुस्कराते हुए कहा ‘अचरज मत कर , मैं तुझे पिछले कई जन्मों से जानता हूं। मेरा नाम बाबा नीम करोरी हैं। हमें भूख लगी है। हमारे भोजन की व्यवस्था कर’।
उत्तराखंड में बाबा नीम करोरी महाराज की कई कथाएं प्रचलित हैं। लोगों के मुताबिक बाबा 1940 के आस-पास उत्तराखंड के प्रवास पर थे। भवाली से कुछ किलोमीटर आगे जाने के बाद बाबा नीम करोली एक छोटी सी घाटी के पास रुके और सड़क किनारे बनी पैरापट पर बैठ गए। सामने पहाड़ी पर दिखाई दिए एक आदमी को उन्होंने आवाज दी पूरन...ओ पूरन...पूरन यहां आओ। पूरन नीचे आया और कम्बल लपेटे अजनबी से अपना नाम सुनकर अचंभित रह गया। अजनबी व्यक्ति ने मुस्कराते हुए कहा ‘अचरज मत कर , मैं तुझे पिछले कई जन्मों से जानता हूं। मेरा नाम बाबा नीम करोरी हैं। हमें भूख लगी है। हमारे भोजन की व्यवस्था कर’।
पूरन ने घर जाकर अपनी मां से बताया कि नीचे पैरापट पर बाबा नीम करोरी बैठे हैं और भोजन मांग रहे हैं। घर में दाल-रोटी बनी थी। पूरन की मां ने वही परोस दी। बाबा ने भोजन के बाद पूरन से गांव के दो-तीन लोगों को बुलाकर लाने को कहा। बाबा उन सब को लेकर नदी के पार जंगल में गये और उनसे एक जगह खोदने को कहा। बाबा ने कहा- पत्थर को खोदो, यहां गुफा है, गुफा में धूनी है। अचरज में पड़े लोगों ने जब उस जगह को खोदा तो ऐसा लगा कि जैसे गुफा में धूनी किसी ने अभी ही लगाई हो, धुनी के पास चिमटा भी गड़ा था। पूरन और गांव वाले हैरान थे कि उन्हें यहां पूरा जीवन हो गया और किसी को इस गुफा के बारे में पता नहीं था।
‘पत्थरों के नीचे गुफा, धूनी और चिमटा, हवन कुण्ड की जानकारी किसी साधारण व्यक्ति को तो हो नहीं सकती। कंबल लपेटे यह कोई आम इंसान नहीं है’ लोग यही सोच रहे थे कि बाबा बोल पड़े, कि हमारे पास कोई चमत्कार-वमत्कार नहीं है। चलो अब यहां से यहां हनुमान बैठेगा। बाबा ने नदी से पानी मंगवाया और स्थान का शुद्धिकरण किया साथ ही वहां कुटिया नुमा जगह बना दी। कुछ दिन बाद बाबा ने पूरन को बताया कि यह सोमवारी बाबा की तपोस्थली है। इसका पुनरुद्धार करना है। यही कुटिया आज कैंचीधाम के रूप में विख्यात है।
जय श्री कैंची धाम
जय श्री नीम करोली बाबा
जय श्री कैंची धाम
जय श्री नीम करोली बाबा
(ये लेखक के अपने विचार व अनुभव हैं)
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