लम्बी आयु की परिकल्पना आज हम आपको नीम करोली बाबा जी द्वारा बताये गए लम्बी आयु के मंत्र के बारें में बताएँगे। ऐसा कोई भी मनुष्य नहीं जो चिरंजीवी नहीं बनना चाहता अर्थात ऐसा भी कोई नहीं जो एक पूर्ण आयु को प्राप्त नहीं करना चाहता। हम में से हर किसी की चाहत होती है कि हमें एक स्वस्थ जीवन और एक लंबी आयु प्राप्त हो पर हमारी दिनचर्या ऐसी है कि हम चाह कर भी एक स्वस्थ जीवन को नहीं पा पते है और जब शरीर ही स्वस्थ नहीं है तो लंबी आयु की कल्पना भी नहीं की जा सकती। आज भी दुनिया के कई देश ऐसे हैं जहां 100 से अधिक वर्ष की आयु के व्यक्ति आज भी पूर्णतया स्वस्थ जीवन व्यतीत कर रहे है। इसका कारण केवल उनकी स्वस्थ जीवन शैली है। स्वस्थ जीवन शैली स्वस्थ जीवन शैली क्या होती है इसके बारे में हम सभी को विचार करना चाहिए क्योंकि अगर हमारे अतिरिक्त कोई दूसरा प्राणी है जो एक स्वस्थ जीवन को जीकर एक लंबी आयु को प्राप्त कर सकता है तो हम क्यों नहीं प्राप्त कर सकते ? स्वस्थ जीवन का मतलब होता है कि अपने आचार-विचार,अपने व्यवहार, अपने भोजन में सैयमित रहना अर्थात अपने शरीर को केवल उतना ही खाद्य साम...
नीम करोली बाबा भूखे रह गये
परिचय : नीम करोली बाबा उत्तराखंड में नैनीताल के निकट भोवाली छेत्र के निकट श्री कैंची धाम में निवास करते थे। बाबा नीब करोरी और बाबा नीम करोली दोनों एक ही दिव्य विभूति के नाम है। ये दोनों नाम उनके प्यारे भक्तो ने दिए जिनको परमपूज्य श्री नीम करोली बाबा जी ने सहर्ष स्वीकार किया।
श्री कैंची धाम का पवित्र आश्रम प्रकृति की गोद में आलोकिक वातावरण और सकारात्मक ऊर्जा के भण्डार के लिए प्रसिद्ध है। देश-विदेश के अनगिनत भक्त प्रतिदिन यहाँ बाबा के दर्शन करने आते थे और आज उनके समाधिस्थ होने के बाद भी भक्तो की उनपर आस्था और विश्वास के चलते निरंतर दर्शनार्थियो की भीड़ मंदिर प्रांगण में लगी रहती है।
कानपुर की घटना :
कानपुर के एक बड़े उधोग पति की माता जी के आग्रह करने पर एक दिन बाबा जी ड्राईवर बृजलाल के साथ माता जी की कोठी पर जा पहुंचे। मारवाड़ी उधोगपति के घर सोने चाँदी के पात्रों में तरह तरह के व्यंजन देख कर बाबा जी का वैरागी मन विचलित हो गया।
गृह स्वामिनी के मन में ऐसे पात्रों में भोजन परोसते शायद कुछ दूसरा भाव आ गया हो ( अंहकार का ) की कुछ ही देर में बाबा जी ने एक पात्र में ज़रा ज़रा सा सब व्यंजनों को मिलाना शुरू कर दिया , माता जी कहती रह गयी " अरे महाराजजी , ये तो खट्टा है, ये तो मीठा है, ये नमकीन है पर महाराज जी ने सभी व्यंजनों को घोल-मोल बना दिया और ज़रा सा चखा जबकि ड्राईवर ने सबकुछ अलग अलग स्वाद से खाया । माता जी अपने व्यंजनों की ये हालत देखकर कुछ परेशान हो गई ।
कुछ देर बाद बाबा जी वापिस चल पड़े और कुछ दूर जाकर ड्राईवर से बोले , " बृजलाल , हम तो भूखे रह गये । चल तेरे घर चलते है । " ड्राईवर हैरान कि इतना बडिया खाना न खाकर बाबा मेरे घर साधारण खाना खायेंगे । पर वे क्या समझता कि बाबा क्यूँ भूखे रह गए। ड्राईवर के घर पहँच कर बाबा जी ने रोटी खाकर अपनी तृप्ति की ।
सारांश : इस छोटी सी कथा से हम सभी को ये ज्ञात होता है की दिव्य अवतारी संत महापुरुषों की कृपा दृष्टि उनके हर एक भक्त पर बिना किसी भेद भाव के पड़ती है फिर चाहे कोई सेठ हो या ड्राइवर, संतो की नज़र में सब एक समान होते है।
भक्तो द्वारा साझा किये गए अपने -अपने अनुभवों के आधार पर जो कथाएं उपलध है उन्हींका संकलन आप सभी लके समक्ष प्रयास किया गया है। कोई त्रुटि रह गयी हो तो हम आप सभी भक्तो से छमा चाहेंगे।
जय श्री कैंची धाम की
जय श्री नीम करोली बाबा की
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