शुक्रवार का दिन देवी महालक्ष्मी और शुक्र देव का दिन माना जाता है। शुक्रवार को मां लक्ष्मी की पूजा करने से जीवन में सुख-सुविधा की कमी नहीं रहती। साथ ही, शुक्र ग्रह की शुभता से सौंदर्य में निखार, ऐश्वर्य, कीर्ति और धन-दौलत प्राप्त होती है। Shukrawar ( Friday) Ka Devta शुक्रवार को मां संतोषी की पूजा और व्रत भी किया जाता है। हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, मां संतोषी को भगवान श्री गणेश की पुत्री माना जाता है। मान्यता है कि मां संतोषी की पूजा करने से साधक के जीवन में आ रही तमाम तरह की समस्याएं दूर होती हैं और उसे सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही, जिन्हें संतान सुख प्राप्त नहीं हो पा रहा वो संतान प्राप्ति के लिए इस व्रत को करते हैं। शुक्रवार को वैभव लक्ष्मी व्रत भी रखा जाता है. हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, माता वैभव लक्ष्मी से सुख-समृद्धि और धन-धान्य का आशीर्वाद पाने के लिए शुक्रवार का व्रत सबसे उत्तम उपाय है। शुक्रवार का नाम शुक्र देवता के नाम पर ही पड़ा है। नॉर्स पौराणिक कथाओं में फ्रिग ओडिन की पत्नी हैं। उन्हें विवाह की देवी माना जाता था। शुक्रवार को किसका व्रत करना चाहिए?
नीब करोरी और नीम करोली में अंतर |NEEB KARORI AUR NEEM KAROLI MEIN ANTAR
श्री कैंची धाम के भगवान् के रूप में श्री हनुमान जी महाराज और श्री नीम करोली बाबा जी को आज सारा संसार पूज्य है । यूं तो महाराज जी के भक्तो ने उनको अनेकों नाम दिए पर जिस नाम से बाबा विश्व विख्यात हुवे वो नाम था नीब करोरी और नीम करोली ।बाबा जी ने लक्ष्मी नारायण के रूप में जन्म लिया था ज। वे सुदूर सत्य कि खोज में निकले तब लोग उन्हें लक्ष्मण दास के नाम से जानते थे । बाबा जी कुछ समय के लिए राजस्थान मे किसी स्थान पर रहे थे जहाँ पर तिकोनियाँ बाबा जी कहलाये। बावानियाँ में पहुचने पर तलैया बाबा कहलाये । यहां से वृंदावन आने पर चमत्कारी बाबा कहलाये। उसके बाद नीब करोरी ग्राम में आने पर लक्ष्मण दास बाबा जी कहलाये।जब उत्तराखंड मे बाबा जी पहुंचे तब महाराज कहलाये, बाबा जी ने नीब करोरी ग्राम का नाम हमेशा अपने से जोड़ कर रखा इसी लिए बाबा जी स्वयं नीब करोरी बाले बाबा कहलाये। जिसमें बहुत ज्यादा भ्रम कि स्थिति आगई। नीब करोरी ग्राम को अंग्रेजी में NEEB KARORI लिखा जाता है, जबकि पहले इसे NEEB को NIB और KARORI को KARAURI लिख दिया जाता था । उल्लेखनीय है कि खुद महाराज जी द्वारा नीब करोरी लिखा गया था । जिसे हिंदी में कभी कभी नीब (अर्थात नींव) करौरी को करोरी (करारी अर्थात मजबूत ) से बदला गया है। पश्चिम के भक्तों ने इस नाम को हिंदी सीखने से पहले बोलने कि कोशिश कि और वो इसे नीम के पेड़ से जोड़ गए जिसका अर्थ एक भारतीय पहचान से जोड़ा गया अर्थात एक भारतीय पेड़ और करोली यानी एक स्थान अतः पश्चिमी भक्त इसे NEEM KAROLI नाम से संबोधित करने लगे जिसे वो बाबा जी के लिए BABA NEEM KAROLI JI कहने लगे हालाँकि यह बाबा जी कि ही इच्छा थी तब ही यह संभव था । शायद बाबा जी को खुद नामों की सीमा में बंधना मंजूर नहीं था।
राम राम
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