लम्बी आयु की परिकल्पना आज हम आपको नीम करोली बाबा जी द्वारा बताये गए लम्बी आयु के मंत्र के बारें में बताएँगे। ऐसा कोई भी मनुष्य नहीं जो चिरंजीवी नहीं बनना चाहता अर्थात ऐसा भी कोई नहीं जो एक पूर्ण आयु को प्राप्त नहीं करना चाहता। हम में से हर किसी की चाहत होती है कि हमें एक स्वस्थ जीवन और एक लंबी आयु प्राप्त हो पर हमारी दिनचर्या ऐसी है कि हम चाह कर भी एक स्वस्थ जीवन को नहीं पा पते है और जब शरीर ही स्वस्थ नहीं है तो लंबी आयु की कल्पना भी नहीं की जा सकती। आज भी दुनिया के कई देश ऐसे हैं जहां 100 से अधिक वर्ष की आयु के व्यक्ति आज भी पूर्णतया स्वस्थ जीवन व्यतीत कर रहे है। इसका कारण केवल उनकी स्वस्थ जीवन शैली है। स्वस्थ जीवन शैली स्वस्थ जीवन शैली क्या होती है इसके बारे में हम सभी को विचार करना चाहिए क्योंकि अगर हमारे अतिरिक्त कोई दूसरा प्राणी है जो एक स्वस्थ जीवन को जीकर एक लंबी आयु को प्राप्त कर सकता है तो हम क्यों नहीं प्राप्त कर सकते ? स्वस्थ जीवन का मतलब होता है कि अपने आचार-विचार,अपने व्यवहार, अपने भोजन में सैयमित रहना अर्थात अपने शरीर को केवल उतना ही खाद्य साम...
Divya Hanuman Bhajan
हम सभी ने श्री हनुमान जी महाराज के आनेको भजन सुने हैं पर आज हम जिस भजन को आप सबके सामने प्रस्तुत करने जा रहे हैं यह अपने आप में एक अनोखा भजन है जो आपको कहीं पर भी प्राप्त नहीं होगा। इस भजन के प्रत्येक शब्द में वह प्रेम और करुणा है जिसमें आप एक भक्त द्वारा हनुमान जी से की गई पुकार को सुन सकते है।
Jai Tu Banar Hai Raghuvar Ko Das
जय तू बानर है रघुबर को दास, बरनन कर हरि के रूप को रे हनुमान।लाजै माता मदन रती सत कोटि, निरख्यौ री हरि केरूपने हे मेरी माय ।
जै तूं वानर है रघुबर को दास, वरनन कर हरि के रंगको रे हनुमान ।
स्वामी माता साँवल उज्वल रंग, छबि हरित मणी ज्यूँ सोहणी रे मेरी माय ।
जै तूं वानर है रघुवर को दास, बरनन कर हरिको भेषको रे हनुमान ।
स्वामी माता धरिया मुनिवर भेष, धरती रो भार उतारसी रे मेरी माय ।
जै तू बानर है रघुबर को दास, बरनन कर हरिको बंसको रे हनुमान ।
जै तू बानर है रघुबर को दास,
बरनन कर प्रभू के सीलको रे हनुमान ।।
आवें माता इन्द्र अप्सरा कोटि,
कबहूँ मन बाको ना डिगे ए मेरी माय ।
जै तूं बानर है रघुबर को दास,
वरनन कर हरिके बल को रे हनुमान ।।
होवै माता प्रभूकी टेडी भौंए,
थरथर तिरत्लोळी काँपती ऐ मेरी माय।
जै तू बानर है रघुबर को दास,
कुण रहवे प्रभू के साथ में रे हनुमान ।।
सँग में माता रहवे लछमन वीर,
छोटा भाई रघुवीर का ऐ मेरी माय ।
जे तू बानर है रघुबर को दास,
बरनन कर प्रभुके भावको रे हनुमान ।।
स्वामी माता कर कर थाने याद,
छिन छिन मए व्याकुल हो रया ऐ मेरी माय ।
जै तूं बानर है रघुबरको दास,
कुण जस गावे रघुबीर को रे हनुमान । ।
जस तो माता गावे चारों वेद,
ब्रह्मा शिव पार न पा सके ऐ मेरीमाय ।
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