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Showing posts from June, 2020

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Neem Karoli Baba Ki Mahasamadhi Ka Rahasya

Neem Karoli Baba Ki Mahasamadhi आप सभी ये जानने को उत्सुक होंगे की तब क्या हवा जब नीम करोली बाबा ने कहा की मैं क्या कर सकता हूँ जब भगवान ही मुझे बुला रहे हैं ? आज हम आपके इसी प्रश्न का उत्तर देने आए है। 10 सितंबर 1973 को नीम करोली बाबा ने महासमाधि क्यों ली अगले दिन सुबह, 10 सितंबर को, बाबा आगरा पहुंचे और लगभग 6 बजे जगमोहन शर्मा के घर गए। शर्मा जी ने उनका स्वागत किया और उन्हें पता चला कि बाबा का वापसी का टिकेट काठगोदाम के लिए भी उसी दिन रात की रेलगाड़ी से था। बाबा ने नाई बुलाया और दाढ़ी और बाल मुंडवा दिए। उन्होंने केवल चौलाई (रामदाना) खाया और कहा, "अब, अनाज और फलों से पोषण कम होता है। रामदाना बनाओ, में आज ये ही लूँगा।" फिर उन्होंने शर्मा से कहा, "आगे का समय खराब है। बड़े घरों में नहीं रहो। वहां लूटमार और हत्या अधिक होगी। छोटे घर में रहो।"  पूरे दिन बाबा ने इसी तरह की बातें की। उन्होंने शर्मा के पिता से कहा, "जब शरीर बूढ़ा हो जाता है, यह बेकार हो जाता है। इससे कोई लगाव नहीं होना चाहिए।"  बाबा काफी खुशहाल मूड में थे। उन्हें ऐसे देखकर शर्मा की सास न

Neem Karoli Baba Dwara Kainchi Dham Sthapna | नीम करोली बाबा द्वारा कैंची धाम स्थापना

Neem Karoli Baba Dwara Kainchi Dham Sthapna | नीम करोली बाबा द्वारा कैंची धाम स्थापना उत्तराखंड की वादियों में बसा श्री कैंची धाम आज पुरे विश्व में जाना और माना जाता है। श्री कैंची धाम अपने अनोखे देवता के लिए विश्व प्रसिद्ध हुवा। जी हां एक ऐसा संत जो दिखने में साधारण होते हुवे भी चमत्कारों से ओत-प्रोत था।  उन दिव्य विभूति का नाम परम पूज्य सदगुरुदेव श्री नीम करोली बाबा था जिन्हे उनके भक्त नीब करोरी बाबा के नाम से भी जानते थे।  बाबा को उनके भक्तो ने प्रेमवश महाराज जी के नाम से भी सम्बोधित किया। नीम करोली बाबा ने उत्तराखंड में श्री कैंची धाम की स्थापना 15 जून 1964 को की थी अतः उनके समाधिस्थ होने के पश्चात भी प्रतिवर्ष 15 जून को विशाल भंडारे और मेले का आयोजन किया जाता है जिसमें बाबा के दर्शनों के लिए देश विदेश से लाखो भकतो का ताता लगा रहता है।  श्री कैंची धाम भक्तो के विश्वास और आस्था का केंद्र बन चूका है क्योकि नीम करोली बाबा दिखावे और जूठे आडम्बरो से कोसो दूर थे और उनकी कृपा दृष्टि उनके हर एक भक्त पर सामान रूप से पड़ती थी और आज भी पड़  रही है ।   आज भी बाबा के अनेको भक्तो द