Skip to main content

Posts

Showing posts from October, 2023

Most Popular Post

वेद क्या है? वेदों के प्रकार और महत्व क्या है?

वेद, विश्व के सबसे पुराने लिखित धार्मिक दार्शनिक ग्रंथ हैं। वेद शब्द संस्कृत भाषा के 'विद' शब्द से बना है, जिसका मतलब है 'ज्ञान'। वेद, वैदिक साहित्य में सबसे महत्वपूर्ण हैं। 1500 और 500 ईसा पूर्व के बीच वैदिक संस्कृत में रचित, वेद हिंदू धर्म के सबसे पुराने ग्रंथ हैं।  वेद क्या है ? वेद चार हैं: ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद।  वेदों में देवता, ब्रह्मांड, ज्योतिष, गणित, औषधि, विज्ञान, भूगोल, धर्म, संगीत, रीति-रिवाज आदि जैसे कई विषयों का ज्ञान वर्णित है। वेद इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसे किसी मनुष्य द्वारा नहीं बल्कि ईश्वर द्वारा ऋषियों को सुने ज्ञान के आधार पर लिखा गया है. इसलिए भी वेद को 'श्रुति' कहा जाता है।  वेदों को चार प्रमुख ग्रंथों में विभाजित किया गया है और इसमें भजन, पौराणिक वृत्तांत, प्रार्थनाएं, कविताएं और सूत्र शामिल हैं। वेदों के समग्र भाग को मन्त्रसंहिता, ब्राह्मण, आरण्यक, उपनिषद के रूप में भी जाना जाता है। इनमें प्रयुक्त भाषा वैदिक संस्कृत कहलाती है जो लौकिक संस्कृत से कुछ अलग है। वेदों के संपूर्ण ज्ञान को महर्षि कृष्ण द्वैपाय

Sunderkand As It Is With Hindi Lyrics | सुंदरकांड यथावत हिंदी

प्राचीन हिंदू महाकाव्य, रामायण में, सुंदरकांड एक विशेष स्थान रखता है क्योंकि यह भगवान हनुमान की वीरतापूर्ण यात्रा का वर्णन करता है। हिंदू पौराणिक कथाओं में सबसे प्रिय और श्रद्धेय पात्रों में से एक के रूप में, हनुमान की कहानी बहादुरी, भक्ति और निस्वार्थता से भरी है।  सुंदरकांड: भगवान हनुमान की महाकाव्य कथा पर एक अंतर्दृष्टि सुंदरकांड में, भगवान हनुमान भगवान राम की प्रिय पत्नी सीता को खोजने के लिए एक मिशन पर निकलते हैं, जिनका शक्तिशाली राक्षस राजा रावण ने अपहरण कर लिया है। अपने समृद्ध प्रतीकवाद और नैतिक पाठों के साथ, सुंदरकांड पाठकों को मंत्रमुग्ध कर देता है और वफादारी, दृढ़ संकल्प और विश्वास की शक्ति के बारे में मूल्यवान अंतर्दृष्टि सिखाता है।  रामायण का यह अध्याय हनुमान की असाधारण क्षमताओं को प्रदर्शित करता है, जैसे कि किसी भी रूप में परिवर्तित होने की उनकी क्षमता, उनकी अलौकिक शक्ति और भगवान राम के प्रति उनका अटूट समर्पण। इस लेख के माध्यम से, हम भगवान हनुमान की महाकाव्य कहानी में गहराई से उतरेंगे, सुंदरकांड के महत्व और आज की दुनिया में इसकी प्रासंगिकता की खोज करेंगे। इस अद्भुत यात्रा

सुंदरकांड का धार्मिक महत्त्व क्यों ?

प्रिय भक्तों जय श्री राम। संपूर्ण भारतवर्ष मेंआज सनातन धर्म में 33 कोटि देवताओं की पूजा होती है। उन 33 कोटि देवताओं में भी भगवान के अनेक अवतार आज तक इस पृथ्वी पर अवतरित हुए हैं जिनमें से भगवान शिव का भी एक अवतार है जिसे हम पवन पुत्र श्री हनुमान जी महाराज के रूप में जानते हैं। भगवान शिव का यह अवतार भगवान विष्णु के श्री राम स्वरूप की पूजा अर्चना और वंदन करता है। हनुमान जी का यह स्वरूप हमें दास्य भाव की भक्तिसे परिपूर्ण करता है।  आज हम हनुमान जी को ही समर्पित सुंदरकांड के दिव्य महत्व के बारे में जानेंगे जिसको महाकवि तुलसीदास जी ने अपनी रचना रामचरितमानस में संकलित किया। हम सब श्री तुलसीदास जी के ऋणी हैं कि उन्होंने हनुमान जी की पावन गाथा जो भगवान श्री राम और माता सीता से संबंधित है, उसे इतने सुंदर रूप में चित्रित कर उसकी इतनी विस्तृत व्याख्या की और हम सब के समक्ष प्रस्तुत किया जिससे मानव जाति का कल्याण हो सके।  IMPORTANCE OF SUNDARKAND हिंदूधर्म के पूज्य ग्रंथ श्रीरामचरितमानस में रामकथा विस्तार से वर्णित की गई है। इसके सात खंडों में सुंदरकांड का महत्त्व सर्वाधिक माना गया है।

वैजयंती माला का महत्व क्या है? | Vaijayanti Mala kaun pehen sakta hai?

वैजयंती माला का शाब्दिक अर्थ होता है विजय दिलाने वाली माल अर्थात जिस माला को धारण करने से साधक को अपने जीवन में विजय प्राप्त होती है उस माला को वैजयंती माला के नाम से जाना जाता है। मूलतः वैजयंती माला को वैजयंती के बीजों से बनाया जाता है इसी कारण इसे वैजयंती माला का नाम दिया गया है। इस पवित्र माला को साधक हवन करते समय, पाठ, यज्ञ इत्यादि करते समय व समस्त प्रकार के सात्विक साधनों को करते समय प्रयोग में लेन के लिए उसे धारण करता है। इसे धारण करने मात्रा से  मानसिक सुकून मिलता है और कार्यक्षेत्र एवं समाज में आपका सम्मान बढ़ता है।  वैजयंती माला का महत्व क्या है? वैजयंती माला को भगवान श्रीकृष्ण, माता दुर्गा, मां काली और दूसरे कई देवी देवता पहनते थे।  यह माला लक्ष्मी कारक मानी गई है।  पौराणिक मान्यताओं के अनुसार वैजयंती माला का संबंध अनेकों प्रतिष्ठित देवताओं से माना जाता है। यही कारण है की वैजयंती माला को धारण करने वाला साधक भगवान का अति प्रिय हो जाता है। उस पर भगवान कृष्ण, भगवान नारायण, इत्यादि देवताओं की विशेष कृपा बनी रहती है परंतु साधक को यह ध्यान रखना चाहिए की वैजयंती माला को पूर्ण विधि-