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Showing posts from December, 2023

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वेद क्या है? वेदों के प्रकार और महत्व क्या है?

वेद, विश्व के सबसे पुराने लिखित धार्मिक दार्शनिक ग्रंथ हैं। वेद शब्द संस्कृत भाषा के 'विद' शब्द से बना है, जिसका मतलब है 'ज्ञान'। वेद, वैदिक साहित्य में सबसे महत्वपूर्ण हैं। 1500 और 500 ईसा पूर्व के बीच वैदिक संस्कृत में रचित, वेद हिंदू धर्म के सबसे पुराने ग्रंथ हैं।  वेद क्या है ? वेद चार हैं: ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद।  वेदों में देवता, ब्रह्मांड, ज्योतिष, गणित, औषधि, विज्ञान, भूगोल, धर्म, संगीत, रीति-रिवाज आदि जैसे कई विषयों का ज्ञान वर्णित है। वेद इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसे किसी मनुष्य द्वारा नहीं बल्कि ईश्वर द्वारा ऋषियों को सुने ज्ञान के आधार पर लिखा गया है. इसलिए भी वेद को 'श्रुति' कहा जाता है।  वेदों को चार प्रमुख ग्रंथों में विभाजित किया गया है और इसमें भजन, पौराणिक वृत्तांत, प्रार्थनाएं, कविताएं और सूत्र शामिल हैं। वेदों के समग्र भाग को मन्त्रसंहिता, ब्राह्मण, आरण्यक, उपनिषद के रूप में भी जाना जाता है। इनमें प्रयुक्त भाषा वैदिक संस्कृत कहलाती है जो लौकिक संस्कृत से कुछ अलग है। वेदों के संपूर्ण ज्ञान को महर्षि कृष्ण द्वैपाय

लाहरी महाशय और श्री राम ठाकुर | Lahri Mahashay Aur shri Ram Thakur | Neem Karoli Baba

नीम करोली बाबा के समकालीन संत लाहरी महाशय और श्री राम ठाकुर की कथा एक बार लाहड़ी महासय के घर वाराणसी मे एक ब्राह्मण भक्त जो श्री लाहड़ी जी के भक्त थे जो लाहड़ी महासय पास में बैठे थे। वहां एक निम्न जाति का जल भरने का काम करने वाला व्यक्ति भी महाशय के पास आता था। जो आज महासय के सामने बैठ गया। ब्राह्मण जी को यह बात सही नही लगी और उन्होंने उसे डांटते हुए पीछे बैठने को कहा।  इस पर श्री लाहड़ी जी ने साधना से उठ कर अपना स्थान छोड़ कर ब्राह्मण जी को गुस्से से देखा। साथ ही उस निम्न जाति के व्यक्ति से कहा तुम हमारे स्थान पर बैठो। हम नीचे बैठ जायेंगे। व्यक्ति ने सोचा कि लाहड़ी जी नाराज हो गए और वे मजाक में हमे ऐसा करने को कह रहे है। वह क्षमा मांगने लगा। किन्तु लाहड़ी जी ने उसे कहा हम चाहते है कि तुम्हे उच्च स्थान मिले। ताकि आगे से तुम्हारा कोई अपमान न करे। जाओ बैठो। सभी को लाहड़ी जी की बात समझ में आगई। एक बार संत  श्री राम ठाकुर के आश्रम में सत्संग चल रहा था । बाहर एक मुस्लिम प्रसाद लिए खड़ा था। श्री राम ठाकुर के एक भक्त ने उससे पूछा यहां क्या कर रहे हो।अंदर चलो वह बोला वह मुस्लिम है

Hanuman Setu Temple, Lucknow

हनुमान सेतु मंदिर ,लखनऊ (उत्तर प्रदेश ) मित्रो आज हम आप सबको एक ऐसे प्राचीन मंदिर का दर्शन करवाएंगे जिसकी महत्वत्ता का कोई तोड़ आज के समय में किसी के पास नहीं है। यह सुप्रसिद्ध मंदिर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हनुमान सेतु के नाम से विख्यात है।  इस मंदिर को बाबा नीब करोरी आश्रम भी कहते है क्योकि इस आश्रम या मंदिर की नीव डालने वाले बाबा नीब करोरी थे इस लिए इस मंदिर को उन्ही के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर या आश्रम का आधुनिक नाम हनुमान सेतु है। इस मंदिर में मुख्य रूप से श्री हनुमान जी ,श्री गणेश जी , और बाबा नीब करोरी की पूजा की जाती है। बाबा नीब करोरी सन 1967 में हनुमान जी के भक्तो को उपदेश दिया करते थे।  तब ही से लोगो द्वारा बाबा नीब करोरी को हनुमान जी का विशेष भक्त मन जाने लगा। एप्पल कंपनी के मालिक स्टीव जॉब्स और फेसबुक कंपनी के मालिक मार्क जुकरबर्ग को भी बाबा नीब करोरी से मार्ग दर्शन प्राप्त हुवा था। उसके बाद से ही वो दोनों अपने जीवन और व्यापर में कामयाब हो सके। इस बात का खुलासा खुद फेसबुक कंपनी के फाउंडर मार्क जुकेरबर्ग ने खुश दिनों पहले अपनी भारत यात्रा में कह

आदि शंकराचार्य का जीवन परिचय?

मठाधीश आदि शंकराचार्य आदि शंकराचार्य एक भारतीय दार्शनिक थे। 8वीं शताब्दी में रहने वाले आदि शंकराचार्य को हिंदू धर्म के विकास में सबसे प्रभावशाली शख्सियतों में से एक माना जाता है। उन्हें हिंदुत्व के सबसे महान प्रतिनिधियों में जाना जाता है। आदि शंकराचार्य का जन्म केरल के मालाबार क्षेत्र के कालड़ी नामक स्थान पर नम्बूद्री ब्राह्मण शिवगुरु और आर्याम्बा के घर हुआ था। विद्वानों के अनुसार, आदि शंकराचार्य भगवान शिव के अवतार थे। शास्त्रों में ऐसा भी वर्णन मिलता है कि कलियुग के प्रथम चरण में अपने चार शिष्यों के साथ जगद्गुरु ने धरती पर सनातन धर्म के उत्थान के लिए जन्म लिया था। आदि शंकराचार्य ने हिंदू विचार के प्राथमिक विद्यालयों में से एक, वेदांत दर्शन को व्यवस्थित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने अद्वैत वेदान्त को ठोस आधार प्रदान किया। भगवद्गीता, उपनिषदों और वेदांतसूत्रों पर लिखी हुई इनकी टीकाएँ बहुत प्रसिद्ध हैं। आदि शंकराचार्य ने प्राचीन भारतीय उपनिषदों के सिद्धान्तों को पुनर्जीवित करने का कार्य किया। उन्होंने ही इस ब्रह्म वाक्य को प्रचारित किया था कि 'ब्रह्म ही सत्य ह