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Neem Karoli Baba Ki Mahasamadhi Ka Rahasya

Neem Karoli Baba Ki Mahasamadhi आप सभी ये जानने को उत्सुक होंगे की तब क्या हवा जब नीम करोली बाबा ने कहा की मैं क्या कर सकता हूँ जब भगवान ही मुझे बुला रहे हैं ? आज हम आपके इसी प्रश्न का उत्तर देने आए है। 10 सितंबर 1973 को नीम करोली बाबा ने महासमाधि क्यों ली अगले दिन सुबह, 10 सितंबर को, बाबा आगरा पहुंचे और लगभग 6 बजे जगमोहन शर्मा के घर गए। शर्मा जी ने उनका स्वागत किया और उन्हें पता चला कि बाबा का वापसी का टिकेट काठगोदाम के लिए भी उसी दिन रात की रेलगाड़ी से था। बाबा ने नाई बुलाया और दाढ़ी और बाल मुंडवा दिए। उन्होंने केवल चौलाई (रामदाना) खाया और कहा, "अब, अनाज और फलों से पोषण कम होता है। रामदाना बनाओ, में आज ये ही लूँगा।" फिर उन्होंने शर्मा से कहा, "आगे का समय खराब है। बड़े घरों में नहीं रहो। वहां लूटमार और हत्या अधिक होगी। छोटे घर में रहो।"  पूरे दिन बाबा ने इसी तरह की बातें की। उन्होंने शर्मा के पिता से कहा, "जब शरीर बूढ़ा हो जाता है, यह बेकार हो जाता है। इससे कोई लगाव नहीं होना चाहिए।"  बाबा काफी खुशहाल मूड में थे। उन्हें ऐसे देखकर शर्मा की सास न

प्राण वापस आ गये नीम करोली बाबा | Pran wapas aa gaye neem karoli baba

प्राण वापस आ गये नीम करोली बाबा   | Pran wapas aa gaye neem karoli baba नीम करोली बाबा के जीवन से सम्बंधित अनेक चमत्कारिक घटनाओ में से एक घटना का विवरण यहाँ दिया जा रहा है। बाबा के भक्तो ने बाबा की कृपा को खुद अनुभव किया। ये घटना करीब 4 दशक पुरानी है अर्थात करीब 40 वर्ष पूर्व मेरी पत्नी बहुत बीमार हो गयी। बचने की कोई उम्मीद नही थी। मेरे पास एक ही रास्ता था , बाबा का निरन्तर स्मरण। जब पता चला बाबा जी बरेली डाक्टर भण्डारी के घर आये है तो वहाँ भागा पर बाबा वहाँ न मिले। आठ बजे रात पेड़ के नीचे बैठा बाबा को याद करता रहा, तब एक व्यक्ति से पता चला कि बाबा जी कमिश्नर लाल साहेब के घर पर हैं। मै वहाँ पहँचा परन्तु चपरासी ने भीतर नही जाने दिया। मैं बाहर ही महाराजजी को दीनता से अंतरमन में पुकारता रहा और तभी नीम करोली बाबा जी बाहर निकल आये मेरी आर्त पुकार सुनकर और कहा, "रिक्शा ला तेरे घर चलते है!" लाल साहब की गाडी पर नीम करोली बाबा नही बैठे। रिक्शे से हम घर आ गये। बाबा सीधे मेरी पत्नी के कमरे में पहुंचे और उनके पलंग के पास ही कुर्सी पर बैठ गये। तभी उन्होने अपने चरण उठाक

कम्बल वाले बाबा नीम करोली बाबा | Kambal wale baba Neem Karoli Baba

प्रकृति की गोद में एक ऐसा पवित्र आश्रम जिसके अंदर एक ऐसे दिव्य संत ने कदम रक्खा जिसकी छांव में आने के पश्चात मानव जाति का कल्याण तो होना निहित ही था। वह एक ऐसी दिव्य विभूति थे जिनका आगमन मानो जन कल्याण हेतु ही हुआ था। उन परम पूज्य, भगवत स्वरूप, दिव्य संत का नाम श्री नीम करोली बाबा जी था जिन्होंने नैनीताल के निकट कैंची धाम नामक स्थान पर श्री कैंची धाम आश्रम की स्थापना कीऔर श्री राम नाम रूपी मंत्र की शक्ति का निरंतर प्रचार और प्रचार करते रहे जिसके परिणाम स्वरुप वहां से हनुमत भक्ति धारा बहने लगी।  कम्बल वाले बाबा नीम करोली बाबा   |  Kambal wale baba Neem Karoli Baba यूं तो बाबा को उनके भक्तो ने अनेकों नाम दिए पर उं नामो में नीम करोली नाम सबसे अधिक प्रसिद्ध हुआ। बाबा को लगभग उनके सभी विदेशी भक्त नीम करोली बाबा के नाम से जानते थे। कुछ स्थानो में नीम करोली बाबा को कम्बल वाले बाबा के नाम से भी जाना जाता था । कम्बल वाले बाबा का चमत्कार -  नीम करोली बाबा की  कृपा का अंत नहीं था । भक्तो की आस्था का आदर करते हुवे वो कभी भी अपने कम्बल से किसी वस्तु को उत्पन्न कर देते तो कभी किसी रोगी को

लंदन में नीम करोली बाबा के दर्शन | London mein neem karoli baba ke darshan

लंदन में नीम करोली बाबा के दर्शन | London mein neem karoli baba ke darshan ये अद्भुत घटना लंदन में घटे एक चमत्कार की है जिसने उस विदेशी भक्त के ह्रदय में भक्ति का संचार कर दिया।  हीथर थॉम्पसन (ब्रिटेन) से बताते है की  एक दिन मैं डबल डेकर बस से लंदन में यात्रा कर रहा था।  मैं प्रवेश द्वार के पास ही बैठा हुआ था।  बस का कंडक्टर ऊपरी डेक पर था। बस लगभग पूरी खाली थी।  इतने में बस एक जगह रुकी और एक भिखारी बस में सवार हुआ।  उसने बेहद फटे हुवे कपडे पहन रखे थे और उसके हाथ में एक नीला और एक लाल कंबल था।  वह मेरे सामने आकर खड़ा हो गया और बहुत ही अच्छी मुस्कुराहट से मेरी तरफ देखने लगा।  मानों वह मेरी बगल वाली सीट पर बैठना चाहता था।  मैं एक तरफ खिसक गया और वह आदमी मेरी बगल में बैठ गया।  मैं अपना मुंह घुमाकर खिड़की की तरफ देखने लगा।  खिड़की की तरफ देखते हुए मुझे उस बुजुर्ग आदमी के बारे में सोचते हुए उसकी मोहक मुस्कान याद आ रही थी। अचानक मेरे मन में महाराजजी अर्थात  नीम करोली बाबा  के बारे में विचार आने लगा। उनके बारे मैंने सुन रखा था कि वे भी एक बुजुर्ग आदमी हैं जो कंबल रखते हैं। 

हनुमान वडवानल स्रोत महिमा - श्री कैंची धाम | Hanuman Vadvanal Stotra Mahima - Shri Kainchi Dham

हनुमान वडवानल स्रोत महिमा - श्री कैंची धाम | Hanuman Vadvanal Stotra Mahima - Shri Kainchi Dham   श्री हनुमान वडवानल स्तोत्र की रचना त्रेतायुग में लंका अधिपति रावण के छोटे भाई विभीषण जी ने की थी। त्रेतायुग से आज तक ये मंत्र अपनी सिद्धता का प्रमाण पग-पग पे देता आ रहा है।  श्री हनुमान वडवानल स्तोत्र के जाप से बड़ी से बड़ी समस्या भी टल जाती है। श्री हनुमान वडवानल स्रोत का प्रयोग अत्यधिक बड़ी समस्या होने पर ही किया जाता है। इसके जाप से बड़ी से बड़ी समस्या भी टल जाती है और सब संकट नष्ट होकर सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।  श्री हनुमान वडवानल स्तोत्र के प्रयोग से शत्रुओं द्वारा किए गए पीड़ा कारक कृत्य अभिचार, तंत्र-मंत्र, बंधन, मारण प्रयोग आदि शांत होते हैं और समस्त प्रकार की बाधाएं समाप्त होती हैं। पाठ करने की विधि शनिवार के दिन शुभ मुहूर्त में इस प्रयोग को आरंभ करें। सुबह स्नान-ध्यान आदि से निवृत्त होकर हनुमानजी की पूजा करें, उन्हें फूल-माला, प्रसाद, जनेऊ आदि अर्पित करें। इसके बाद सरसों के तेल का दीपक जलाकर लगातार 41 दिनों तक 108 बार पाठ करें।

यही सत्संग है - नीम करोली बाबा | Yahi Satsang Hai - Neem Karoli Baba

यही सत्संग है - नीम करोली बाबा | Yahi Satsang Hai - Neem Karoli Baba कलयुग में राम नाम की धुन और हनुमत कृपा को पाने का सच्चा धाम Shri Kainchi Dham   श्री कैंची धाम (उत्तराखंड ) में पुरे विश्व के भक्तो के लिए आस्था का केंद्र बना हुवा है। श्री नीम करोली बाबा ने कैंची आश्रम में अपने भक्तो को सरल भक्ति का मार्ग प्रशस्त किया और उनका मार्दर्शन किया।  एक बार  कैंची आश्रम मे नीम करोली बाबा से किसी ने पूछा बाबा जी आपका कोई सत्संग नहीं होता । बाबा बोले  ," यहाँ यही सत्संग है , आओ, खाओ और जाओ ।" बाबा जी ने कभी किसी पर उपदेश , आदेश , सत्संग जैसा कुछ नहीं थोपा । उनके द्वारा भक्तों को किसी नियम में नहीं बाँधा जाता था । बस भोलेपन से उनकी  भक्ति करो । साधना को वे आम आदमी के लिये बहूत कठिन बताते थे । कहते थे पागल हो जाओगे । बस राम राम करते रहो। यही भक्ति कर लो । झूठ झूठ तो बोलो राम । एक दिन सच्चा राम निकल जायेगा । उसी क्षण राम मिल जायेंगे । आडंबरो , प्रपंचो से हमेशा सबको बचाते थे बाबा । बस भक्ति मार्ग को ईश्वर प्राप्ति का साधन बताते थे । भक्ति से उनका तात्पर्य था राम नाम , च

नीम करोली बाबा की अनुकम्पा | Neem Karoli Baba Ki Anukampa

  नीम करोली बाबा की अनुकम्पा | Neem Karoli Baba Ki Anukampa श्रीमती गिरजा देवी, रानी भद्री बाबा के प्रति अपना आभार प्रकट करते हुए कहती हैं कि श्रीचरणों की महान अनुकम्पा मेरे ऊपर हमेशा बनी रही और मुझे उनके दर्शन सुलभ होते रहे। जब राजा भद्री कुलपति होकर पन्तनगर विश्वविद्यालय में आये तो मैं भी उनके साथ थी। कुछ दिनों बाद मेरी माँ की तबीयत बहुत खराब हो गई। इससे मैं अत्यंत चिन्तित हो उठी और उस परेशानी में रोने लगी। उसी समय नीम करोली बाबा ने मुझे परेशानी से मुक्त किया और बोले, "रो मत, तेरी माँ ठीक हो जायेगी।" इसी प्रकार सन् 1964 में मेरी लड़की अलका की शादी हो रही थी। उस समय भी मैं बड़ी परेशानी में थी, तभी आराध्यदेव श्री महाराज जी बिना किसी पूर्व सूचना के लखनऊ मेरी कोठी में पहुँच गये और लड़की को आशीर्वाद देकर चले गए। मेरी समस्त परेशानियां स्वतः गायब हो गई और विवाह कार्य बहुत सुख और शान्ति से पूर्ण हुआ। श्री बाबा नीम करौली जी महाराज करूणा के सागर और कृपा की मूर्ति है। बाबा अपने भक्तो पर अपनी स्नेहपुर्नत दृष्टि सदैव बनाए रखते है। नीम करोली बाबा तो त्रिकालदर्शी है जो आज भी समा

दवा पिला दे - श्री कैंची धाम | Dawa pila de - Shri Kainchi Dham

                    दवा पिला दे - श्री कैंची धाम | Dawa pila de - Shri Kainchi Dham अल्मोड़ा में एक दिन दिवाकर पंत बहुत बुरी तरह बीमार हो गये। आधी रात होते-होते उनकी हालत बहुत नाजुक हो गयी। पहाड़ में इतनी रात किसी डॉक्टर को बुलाना भी संभव नहीं था। सब सुबह होने का इंतजार कर रहे थे। उनकी हालत लगातार बिगड़ती जा रही थी। उनकी पत्नी रोते-रोते बदहवास होकर गिर पड़ीं। सभी चिंतित हो उठे। तभी उन्होंने महसूस किया जैसे महाराज जी उनका कंधा पकड़कर हिला रहे हैं और एक दवा की तरफ इशारा करते हुए कह रहे हैं कि, "वो दवा पिला दे ठीक हो जाएगा।" उन्हें यह सोचने का भी होश नहीं था कि, अचानक बाबाजी कब आ गये ? कमरे में उनके अलावा किसी और ने बाबाजी को देखा भी नहीं। वे उठीं और बाबाजी ने जिस दवा की तरफ इशारा किया था वह दवा पिला दी । दवा देते ही दिवाकर पंत के व्यवहार में अजीब सा बदलाव आ गया। वे हिंसक हो गये और अनाप-शनाप बकने लगे। ऐसे लग रहा था जैसे उनके दिमाग का संतुलन बिगड़ गया है। सब उनकी पत्नी के व्यवहार को कोस रहे थे कि बिना जाने समझे उसने कौन सी दवा दे दी। खुद उनकी पत्नी को भी पता नहीं था क

मेरे वैध नीम करोली बाबा- श्री कैंची धाम | Mere vaidya neem karoli baba - Shri Kainchi Dham

मेरे वैध नीम करोली बाबा- श्री कैंची धाम | Mere vaidya neem karoli baba - Shri Kainchi Dham   पूरन-दा की पत्नी को लक़वे का अटैक आ गया । ठोड़ी टेडी हो गयी । बायीं आँख खुली की खूली रह गयी । चेहरा विकृत हो चला , होंठ एक ओर भिंच गये । मैं घबरा गया कि क्या करूँ , आर्थिक स्थिति भी सही नहीं थी । महाराज को स्मरण करने के सिवा मेरे पास कोई चारा नहीं था । दशा ख़राब होती गयी। आंख की पूतली में सफ़ेदी आ गयी । डाक्टरों ने कह दिया कि लाईलाज बिमारी है । रात को निराश लेटे हम महाराजजी का स्मरण कर रहे थे । न जाने कब हम गहरी नींद में चले गए।     पर चार बजे सुबह पत्नी बोल उठी ," अरे महाराजजी के नहाने के लिये गरम पानी करना है ।" ( हम दोनों रात भर स्वप्न में बाबा के साथ थे ) आवाज़ सुनकर जागे तो देखा कि प्रभु तो कहीं नहीं है । पर देखा कि पत्नी कि आँख झपकनी शुरू हो गयी ।ठोड़ी धीरे धीरे अपने स्थान पर आ गई । अब एक ही चीज़ रह गयी पूतली में सफ़ेदी तथा होटो का टेढापन । डाक्टर को विश्वास नहीं हूआ । मैं बोला -" ये तो बस उनकी कृपा का फल है ।" मैंने पुतली की सफ़ेदी हेतू दवाई माँगी तो उसने कह

Neem Karoli Baba Aur Bhakt Ki Pukar - Shri Kainchi Dham

Neem Karoli Baba Aur Bhakt Ki Pukar - Shri Kainchi Dham महाराज जी   हम आपकी शरण हैं हमारी रक्षा करें- श्री ओंकार सिंह जी एस. एस.पी और श्री किशनचन्द्र कानपुर के कलेक्टर थे। कानपुर में गंगा जी में भीषण बाढ़ आई हुई थी ।  दोनों अफ़सर अपने मातहतो के साथ नाव में बैठकर मुआइना करने निकल पड़े तभी बीच धार में जा कर पता चला कि नाव में छेद हो गया और उसमे पानी भरना शुरू हो गया । सब घबरा गये । मृत्यु निश्चित रूप से सामने आ गयी थी । तभी ओंकार सिंह जी पागलों की तरह चिल्ला उठे , " बचाओ महाराज जी ।"  तभी एक बहुत बड़ा तने वाला , जड़ वाला पेड़ उनके निकट आ गया । आनन फानन दोनों अफ़सर और बाक़ी कर्मचारी कूदकर पेड़ की शाखाओं को पकड़ते हुए पेड़ पर चढ़ गये । देखते देखते नाव पानी में डूब गयी । ऊँची लहरों से और तेज़ हवा से अब पेड़ कभी उन्नाव की तरफ़ जाये तो कभी कानपुर की तरफ । लेकिन बाबा की कृपा से तेज़ हवा और ऊँची लहरों से भी पेड़ न डगमगाया न करवट ली और न ही उलटा ।  ओंकार सिंह जी बराबर बाबा को याद करते रहे । बाबा की कृपा से कुछ ही देर में पेड़ कानपुर के किनारे में बालू पर आकर अटक सा

नीब करोरी और नीम करोली में अंतर | NEEB KARORI AUR NEEM KAROLI MEIN ANTAR - Shri Kainchi Dham

  नीब करोरी और नीम करोली में अंतर  | NEEB KARORI  AUR  NEEM KAROLI MEIN ANTAR श्री कैंची धाम के भगवान् के रूप में श्री हनुमान जी महाराज और श्री नीम करोली बाबा जी को आज सारा संसार पूज्य है । यूं तो महाराज जी के भक्तो ने उनको अनेकों नाम दिए पर जिस नाम से बाबा विश्व विख्यात हुवे वो नाम था नीब करोरी और नीम करोली । बाबा जी ने लक्ष्मी नारायण के रूप में जन्म लिया था ज। वे सुदूर सत्य कि खोज में निकले तब लोग उन्हें लक्ष्मण दास के नाम से जानते थे । बाबा जी कुछ समय के लिए राजस्थान मे किसी स्थान पर रहे थे जहाँ पर तिकोनियाँ बाबा जी कहलाये। बावानियाँ में पहुचने पर तलैया बाबा कहलाये । यहां से वृंदावन आने पर चमत्कारी बाबा कहलाये। उसके बाद नीब करोरी ग्राम में आने पर लक्ष्मण दास बाबा जी कहलाये।जब उत्तराखंड मे बाबा जी पहुंचे तब महाराज कहलाये, बाबा जी ने नीब करोरी ग्राम का नाम हमेशा अपने से जोड़ कर रखा इसी लिए बाबा जी स्वयं नीब  करोरी बाले बाबा कहलाये। जिसमें बहुत ज्यादा भ्रम कि स्थिति आगई। नीब करोरी ग्राम को अंग्रेजी में NEEB KARORI लिखा जाता है, जबकि पहले इसे NEEB को NIB   और KARO

आई मौत टल गई - श्री कैंची धाम | Aayi maut tal gayi -Shri Kainchi Dham

आई मौत टल गई - श्री कैंची धाम  |  Aayi maut tal gayi -Shri Kainchi Dham नीम करोली बाबा की कृपा से पूरे विश्व के अनगिनत भक्तो के जीवन में चमत्कार हुवे और उनमें से बहुत के प्राणों की रक्षा भी स्वयं बाबा ने कि । इसी संदर्भ में आज हम आपको एक सत्य घटना बताने जा रहे है जिसे जानकर आपको ये पूर्ण विश्वास हो जाएगा कि महाराज जी अर्थात नीम करोली बाबा के लिए कुछ भी असंभव नहीं था । हेमदा का बड़ा पुत्र, रब्बू (रविन्द्र कुमार जोशी) तब जमशेदपुर में विजय मशीनरी (उषा सेल्स) में सेल्स - ब्रांच में था। सेल्स के सिलसिले में वह राँची गया था। अपने काम के बाद एक साझे की टैक्सी से वह जमशेदपुर वापिस आ रहा था। चाईबासा से काफी पहले टैक्सी का ब्रेक फेल हो गया और उस पहाड़ी ढाल वाली सड़क पर टैक्सी बिना ब्रेक -क्लच के ट्रोल के नीचे को दौड़ पड़ी - तेज, और तेज। स्थिति समझकर 21 - 22 वर्ष का रब्बू जोर से चिल्ला उठा, महाराज ! उसका इस तरह चिल्लाना था कि एक चौड़े मोड़ पर टैक्सी एकाएक घूमकर चक्कर लगाने लगी जबकि सरदार ड्राइवर उसे केवल मोड़ पर स्टीयरिंग घुमाकर नीचे जाती सड़क पर लाना चाहता था - नीचे खड्ड में गिरने से बचाने मात्र

Kainchi dham ke bhagwan - Shri Kainchi Dham | कैंची धाम के भगवन - श्री कैंची धाम

 कैंची धाम के भगवन - श्री कैंची धाम श्री कैंची  धाम में ऐसा क्या था की आज सारी दुनिया श्री कैंची धाम की ओर आकर्षित हो रही है। होने को तो वो सिर्फ एक हनुमान मंदिर ही था पर उसका इतना प्रभाव कैसे हुवा की दुनिया के बड़े-बड़े उद्योगपति भी श्री कैंची धाम के कायल हो गए। आज इस अद्भुत सत्य को जानिये की श्री कैंची धाम अपने दिव्य हनुमान मंदिर के साथ अपने दिव्य अवतार , हनुमत स्वरुप परम पूज्य नीम करोली बाबा के लिए जाना जाता है।  पूज्य नीम करोली बाबा भक्तवत्सल ,परम कृपालु और करुणा से ओत प्रोत महान संत थे । उनके हृदय में सम्पूर्ण मानव जाति ही नहीं अपितु संसार के प्रत्येक प्राणी के लिए अपार प्रेम निहित था।  आज हम आपको एक जीवंत प्रमाण देने जा रहे है  जब बाबा स्वयं विद्यालय जा पहुंचे एक भक्त की लड़की की  फीस जमा करने।  टीटागढ़ पेपर कम्पनी  के मैनेजर के सहायक श्री एम.बी.लाल नीम करोली बाबा  के बड़े  भक्त थे। बाबाजी उन्हें रमेश नाम से पुकारते थे । एक बार बाबाजी के कानपुर आगमन पर वह जानकारी  मिलते ही सब कार्य छोड़ कर तत्काल कानपुर जा पहुंचे । लगातार 6 दिन कानपुर रहने के दौरान श्री रमेश लगाता

Neem Karoli Maharaj Ke 108 Mandir | नीम करोली महाराज के 108 मंदिर

Neem Karoli Maharaj Ke 108 Mandir  पूरी दुनियां में नीम करोली महाराज के 108 से अधिक मन्दिर है। लगभग प्रत्येक धर्म में महाराज जी को मानने बाले भक्त है। सभी भक्त और सम्पूर्ण संसार उनके पुत्र के सामान है। फिर जब हम महाराज जी के भक्त या शिष्य व अनुयायी कहलाते है, तब हमे क्यों महसूस नहीं होता। क्योकी हम खुद को  भेद दृष्टी की जंजीरों में बांधे हुवे है। हम जाति-पाती, उंच-नीच, बड़ा भक्त, छोटा भक्त, परिवार का वाहरी, आदी बातों से जूझ रहे है। हम स्वार्थ और अहम् के आगे सर्वम् तक सोच ही नही पा रहे। हम महाराज जी के आश्रम मे जन्म से मृत्यु तक सेवा देदें, फिर भी अगर 'मैं, भाव बना रहा तब क्या महाराज जी हमें अपनाएंगे? क्या महाराज जी की कृपा भेद दृष्टी वालो को प्राप्त होगी? महाराज सब देखते हैं,, ज्यादातर सभी भक्त यही कहते है। क्या इसे अनदेखा कर देंगे? मैं उन सभी भक्तों से माफी चाहता हूँ जिनसे कभी मेरा विवाद रहा या अभी उन्हे लगता है की मेरे साथ उनका विवाद है। पर ऐसा कतई नही हैं। हो सकता है मेरी सोच स्वयं संकुचित हो तो कृपा कर आप खुद की सोच विस्तृत कर दूरियां मिटाये। यही बाबा जी का संदेश है

कैंची धाम की सिद्घ आत्माएं - श्री कैंची धाम

कैंची धाम की सिद्घ आत्माएं - श्री कैंची धाम एक दिन कैंची आश्रम में बाबा जी ने रामायाणी श्री शंकर प्रसाद व्यास से कहा ," इन पर्वतों में सिद्ध आत्मायें वास करती है । तू इन्हें रोज़ हनुमानजी की कथा सुनाया कर ।" व्यास जी ने कथा करनी आरम्भ कर दी उस निर्जन स्थान पर केवल कुछ महिलाएं ही कथा सुनने आती थी । तीन दिन तक यही होता रहा । व्यास जी परेशान होकर बाबा के पास गये और बोले ," महाराज कथा तो चल रही है , मगर श्रोता नही आते ।" बाबा बोले," तुझे लोगों से क्या लेना , हमने तुझे सिद्ध आत्माओं को कथा सुनाने को कहीं थी । देख कल एक बूडिया  भी कथा सुनने आयेगी । उसकी भद्दी शक्ल देखकर घृणा न करना, नहीं तो वे शाप दे जायेगी ।" दुसरे दिन तो बाबा की कृपा से कुटी भरी थी । बहूत सी प्रतिष्ठित हस्तियाँ वहाँ मौजूद थी । ज़्यादातर राजनीतिक लोग थे । इन सबके आगे बूडिया बैठी थी जिसके बारे में बाबा पहले ही बता चूके थे । प्रवचन समाप्त होते ही बूडिया सबसे पहले कमरे से बाहर निकली और एकदम से ग़ायब हो गयी । ये सब खेल बाबा की प्रेरणा शक्ति से ही संभव था । जाने कितनी सिद्ध आत्मायें उस कथा

हनुमान के अवतार नीम करोली बाबा - श्री कैंची धाम | Hanuman Ke Avtar Neem Karoli Baba

Neem Karoli Baba आज पुरे विश्व में पूज्य श्री नीम करोली बाबा जी के असंख्य भक्त है और उनमें से ज़्यादातर भक्तो का मानना है की श्री नीम करोली बाबा श्री हनुमान जी के अवतार थे क्योकि बाबा की जीवन शैली और उनके   चमत्कार इस बात का प्रमाण देते है की उनका सम्बन्ध साक्षात् श्री हनुमान जी से था। इसी तथ्य  के प्रमाण के रूप में आज एक घटना का जिक्र हो रहा है।  कैंची धाम में बाबा एक दिन शंकर प्रसाद व्यास जी के साथ टहल रहे थे । बाबा व्यास जी के कन्धे पर हाथ रख कर चल रहे थे । एकाएक व्यास जी के मन में विचार आया कि लोग कहते है की बाबा को हनुमान के अवतार  है , पर इस बात पर विश्वास कैसे किया जाये । अभी वे सोच ही रहे थे कि बाबा का कंधे पर रखा हाथँ उनको भारी महसूस होने लगा और धीरे-धीरे उसका भार बड़ता ही चला गया । यहाँ तक कि उनका कंधा जवाब देने लगा । हाथ सहज रूप से आपके कन्धे पर पड़ा था उसका आकार भी यथावत था ।  व्यास जी बहूत  परेशान हो गये । प्रेम से रखे इस महान विंभूति के हाथ को हटाने में व्यास जी को संकोच हो रहा था , पर उसका भार बड़ता जा रहा था जो व्यास जी के सहन से बाहर था । अपनी ऐसी विवशता में व्या

नीम करोली बाबा ने युधिष्ठिर को दिया प्राण दान - श्री कैंची धाम

नीम करोली बाबा ने युधिष्ठिर को दिया प्राण दान  - श्री कैंची धाम   नीम करोली बाबा  जी के भगत श्री ओंकार सिंह जी के पुत्र ,युधिष्ठिर सिंह के साथ बाबा नीम करोली  उसी की गाड़ी में भूमियाधार आये थे। रात्रि विश्राम के बाद सुबह ब्रम्ह मुहूर्त के अंधेरे में ही युधिष्ठिर और उमादत्त शुक्ल मंदिर से बाहर आ गए कि अंधेरे-अंधेरे में ही शौचादि से निपट लें। कुछ दूर पर एक चट्टान पर से अपना कोट जैसे ही उठाना चाहा कि उन्हें एक काले नाग(कोबरा) ने डस लिया। युधिष्ठिर चिल्लाते हुए मंदिर की तरफ भागे कि," साँप ने काट लिया ", पर आधे मार्ग में ही अचेत होकर गिर पड़े । कुछ ही देर में उनका सारा शरीर विष के प्रभाव से काला पड़ गया और उन्हें अन्य लोग मंदिर के पास ले आये । वे सब प्रकार से मृत हो चुके थे। उधर नीम करोली बाबा  चिल्लाते रहे कि ,"युधिष्ठिर मर गया है। इसके बाप को खबर भेज दो"। कुछ देर बाद उन्होनें बृहमचारी बाबा को डाँट लगाई कि ,"देखते क्या हो । इसे खूब तेज चाय पिलाओ"। ऐसा ही करने का प्रयास किया गया पर मृत(?) को कैसे पिलाई जाती चाय ? तब बाबा जी स्वयं आये ,युधिष्ठिर को डाँट कर कह

Neem Karoli Baba ka Farman - Shri Kainchi Dham

नीम करोली बाबा का फरमान   - श्री कैंची धाम  यू तो नीम करोली बाबा के चमत्कारों के अनेकों किस्से प्रचलित है और विश्व विख्यात है फिर चाहे एप्पल कम्पनी को जन्म देने की बात हो या फेसबुक कम्पनी को डूबने से बचाने का किस्सा हो। आज हम एक और सत्य घटना आप सबके सामने लेकर आए है जिसमें नीम करोली बाबा ने अपने एक प्रशासनिक भक्त का कल्याण किया।ये बात उस समय की  है जब श्री नीम करोली बाबा ने एक पुलिस सब इंस्पेक्टर को पुलिस कप्तान बनने का लिखित फरमान जारी कर दिया था।  पुलिस सब इंस्पेक्टर राम नारायण सिन्हा धीरे धीरे बाबा नीम करोली   के भक्त हो चले थे। एक बार जब वह  बाबाजी से मिलने गये तो बाबाजी ने उनसे कागज व  पेन ले आने को कहा।  कागज पेन लेकर महाराज जी   ने उस पर राम राम लिखना प्रारम्भ कर दिया, जब पूरा कागज भर गया तो अन्त में बाबाजी ने लिख दिया कि तू पुलिस कप्तान बनेगा तथा अपना अंगूठा लगाकर नीचे लिख दिया बाबा नीम करोली साथ ही यह कागज श्री सिन्हा के हाथ में थमा दिया। अंग्रेजी शासनकाल में कैसे एक हिंदुस्तानी दरोगा आई.पी.एस. अफसर बन जायेगा इस बात पर रत्ती भर यकीन न करते हुये भी उन्होने वह कागज अपन

नीम करोली बाबा गायब हो गए - श्री कैंची धाम

नीम करोली बाबा गायब हो गए - श्री कैंची धाम । Neem karoli baba gayab ho gaye - Shri Kainchi Dham एक बार कांग्रेस के कुछ पचास साठ कार्यकर्ता महाराज जी के दर्शन के लिए आ रहे थे । उस वक्त महाराज जी हनुमानगढ़ में थे। महाराज जी ने दूर से देख लिया कि वे लोग आश्रम की तरफ आ रहे हैं। उन्होंने एक भारतीय संन्यासी रामदास को साथ लिया और पहाड़ी से नीचे उतरकर एक देवी मंदिर में चले गये। इधर पार्टी के लोग जब आश्रम में पहुंचे तो उन्होंने महाराज जी के बारे में पता किया। वहां लोगों ने बता दिया कि वे पहाड़ी से नीचे की तरफ गये हैं।वे  लोग नीचे उतरकर उसी मंदिर के पास पहुंच गये जहां महाराज जी रामदास के साथ मंदिर के बाहर ही बैठे हुए थे।वे लोग साठ फीट दूर खड़े होकर मंदिर के चारों तरफ देखने लगे लेकिन उन लोगों को न महाराज जी दिखाई दिये और न ही रामदास। उन्हीं के सामने खड़े होकर वे लोग नीम करौली बाबा के बारे में आपस में पूछताछ कर रहे थे लेकिन महाराज जी उनको दिखाई नहीं दे रहे थे अर्थात नीम करोली बाबा गायब हो गए परन्तु केवल उनलोगो की दृस्टि में।  तभी रामदास को बड़ी जोर की खांसी आने को हुई. वे हशीश पीते थे और

श्रद्धा और विश्वास - श्री कैंची धाम

        श्रद्धा और विश्वास - श्री कैंची धाम   श्रद्धा और विश्वास का केंद्र है श्री कैंची धाम । सन  1974 में स्टीव जोब्स श्री ब्रह्मचारी बाबा जी के साथ श्री कैंची धाम आश्रम मे जो की  नैनीताल से 38 किमी दूर भवाली के रास्ते में पड़ता है आ पहुंचे । बाबा नीम करोली ने इस स्थान पर सन 1964 में आश्रम बनाया था। इन्‍हीं बाबा नीब करौरी को हनुमान जी का धरती पर दूसरा रूप कहा जाता है। वैसे बाबा का असली नाम श्री लक्ष्मी नारायण शर्मा था। महाराज जी द्वारा स्थापित ये आश्रम अपनी स्‍थापना के बाद से अब तक भव्य मंदिर का रूप ले चूका है जहाँ  मां दुर्गा, वैष्णो देवी, हनुमान जी और राधा कृष्ण की मूर्तियां विराजमान हैं। मंदिर में आज भी बाबा की निजी वस्तुएं, गद्दी, कंबल, छड़ी आज भी वैसे ही सुरक्षित हैं जैसी उनके जीवन में थीं। पर्यटकों के लिए आज वही मुख्य दर्शन का केंद्र हैं। Image Subject To Be Copyright दिव्य शक्तियों के स्वामी माने जाते हैं कहते हैं कि इस मंदिर के संस्‍थापक बाबा दिव्य शक्तियों के स्वामी थे, पर वे आडंबरों से दूर रहते थे। उनके माथे पर न त्रिपुण्ड लगा होता था न गले में जनेऊ और कंठमाला। उ

नीम करोली बाबा का प्रसाद - श्री कैंची धाम

नीम करोली बाबा का प्रसाद - श्री कैंची धाम नीम करोली बाबा कहो या नीब करोरी बाबा हर शब्द में केवल एक ही अर्थ निकलता है कि बाबा हम आपके है और आप हमारे है । अपने हर भक्त और उसके परिवार के पालन पोषण का बाबा सदैव ध्यान रखते है । एक बार की विचित्र घटना है लखनऊ में महाराजजी ने नगर निगम के कुछ अधिकारियों को साथ लिया और सबसे गरीब मुहल्ले की तरफ सड़क नाली पानी की हालत देखने पहुंच गये। वहां पहुंचकर उन्होंने एक मुसलमान को अपने पास बुलाया और बोले- मुझे भूख लगी है। मुसलमान ने कहा, लेकिन महाराजजी मेरे पास खिलाने के लिए कुछ भी नहीं है। महाराजजी ने कहा, "तूने घर के छप्पर में दो रोटी नहीं छिपा रखी है दुष्ट?"उसे बहुत आश्चर्य हुआ कि महाराजजी को कैसे पता चला? वह छप्पर में से दो रोटी निकाल लाया। एक रोटी महाराजजी ने खाई और दूसरी रोटी अधिकारियों को दे दी जिसमें हिन्दू ब्राह्मण भी थे। महाराजजी ने कहा, " प्रसाद लो ।" (रामदास, मिराकल आफ लव, दूसरा संस्करण, 1995, पेज- 43-45) इस प्रकार नीम करोली बाबा ने अपने भक्तो में प्रसाद का वितरण किया और सबकी मनोकामनाएं पूर्ण की । जय श्री कैंची धा

नीम करोली बाबा द्वारा प्राण रक्षा -श्री कैंची धाम

नीम करोली बाबा द्वारा प्राण रक्षा -श्री कैंची धाम  !! एक विचित्र अनुभव घटना 4 नवम्बर 1971 की है। नीम करोली बाबा की एक अमेरिकी भक्त महिला जिसे वे राधा कहा कहते थे, वृन्दावन में आनन्दमयी माँ के आश्रम से अपनी अमेरिकी सहेली अन्जनी (भारतीय नाम) के साथ एक रिक्शा में आ रही थी। रिक्शा का चालक बहुत तेजी से रिक्शा भगा रहा था। राधा जी ने एकाएक भयवश अपनी आँखें बन्द कर ली थी। तुरंत उन बन्द आँखों से उनको महाराज जी के मुख का दर्शन हुआ। ऐसा अनुभव इससे पूर्व उनको कभी नहीं हुआ था । राधा जी कहती हैं कि इस दर्शन में महाराज मुझसे कह रहे थे, "दुर्घटना होने जा रही है, कूद पड़।" मैंने तुरंत उनकी आज्ञा का पालन किया। मैंने जानते बूझते यह कार्य किया - बड़ी शान्ति और बिना किसी अन्तर्द्वन्द्व के। इस कार्य में न मुझे कुछ भय था और न मेरे दिल की कोई धड़कन ही रुकी। यह सब इतनी जल्दी हुआ कि मैं अन्जनी से कुछ कह भी नहीं पायी। मेरे कूदने का कोई कारण प्रत्यक्ष न था, कोई भी दर्शक मुझे पागल कह सकता। उसी क्षण वहाँ चौराहे में एक दूसरा रिक्शा हमारे रिक्शा से टकरा गया। अन्जनी को थोड़ी चोट आयी। वह मेरे उपचार से ही स्

भुवन चंद की भूख - श्री कैंची धाम | Bhuvan Chand's hunger - Shri Kainchi Dham

भुवन चंद की भूख  - श्री कैंची धाम | Bhuvan Chand's hunger - Shri Kainchi Dham भुवन चंद की भूख- जिस प्रकार माता-पिता अपने बच्चो को कभी भूखा नहीं देख सकते ठीक उसी प्रकार का स्वभाव गुरुदेव का भी होता है। श्री नीम करोली बाबा भी कुछ अद्भुत संत ही थे। उनकी हर लीला अपने आप में एक उपदेषात्मक लीला होती थी। अपने भक्तो पर बाबा उसी प्रकार कृपा करते थे जैसे माता-पिता अपने बच्चो पर करते है। कोई बाबा को श्री हनुमान जी का परम भक्त बोलता था तो कोई स्वयं हनुमान जी का अवतार।आज हम आपको श्री भुवन चंद तिवारी जी के जीवन की वो सत्य घटना सुनाने जा रहे है जब वे रोडवेज स्टेशन भवाली में लिपिक थे। उसी समय की घटना है जब भुवन चंद जी को एक दिन किसी दुसरे कर्मचारी की अनुपस्तिथि में काम करने के लिए ब्रिवरी स्टेशन भेजा गया। भुवन चंद   उस दिन घर से बिना खाए ही काम पर निकल गए थे  और वहाँ अवकाश न मिल पाने के कारण भूखे ही काम करते रहे। महाराज जी तब भूमियाधार में थे। वह अपने भक्तों को भूखा ना देख सके। तिवारी जी बताते हैं कि बाबा ने दिन के एक बजे एक बड़ी टोकरी में पूड़ी सब्जी आदि बांधवाकर ब्रिवरी स्टेशन को जाती हु

बाबा आप कौन है ? -श्री कैंची धाम | Baba, who are you? - Shri Kainchi Dham

बाबा आप कौन है ? -श्री कैंची धाम | Baba, who are you? - Shri Kainchi Dham श्रीमति रमा जोशी पूज्य श्री नीम करोली बाबा जी की अनन्य भक्त थी और बाबा को बहुत मानती थी। उन्होंने अपने जीवन से जुडी अद्भुत कथा को  कहा की बाबा के रूप को वो कभी समझ नहीं पाती थी और बाबा से एक दिन बोली की ," आप बताते क्यूँ नही कि बाबा आप कौन है ? आपकी ये उल्टी सीधी लीलाये क्या है और किसलिये है ?  उन्होंने कई बाबा के भक्तों से पूछा मगर कोई संतोषप्रद उतर न मिला । तब बाबा बोले ,कोई नहीं समझा सकता तूझे । समय आने पर मैं ही समझाँऊगा । एक दिन मैंने उनसे कहा , कि बाबा मेरी तो कागभूशूडि सी गति हो गई है । वे बोले," वो तो होगी ही ।" फिर नीम करोली बाबा  बोले," अपने जन के कारणा , श्री कृष्ण बने रघूनाथ ।"" Image Subject To Copyright एक दिन मूझे ग़ुस्सा आया और मैं बोली , आपके पास आना निरर्थक है । आप सत्य नहीं बताते ।" आप धोखा देते है  । " तब बाबा बोले," तेरी सौं मैं सब कूछ बता दूँगा । तेरे विचार ख़राब हो गये है मेरे लिये । तू मुझे बाल रूप में क्यों नहीं देखती । मैं कूछ सोचूँ उस

गंगा जी में दूध बहता है - श्री कैंची धाम | Milk flows in Ganga- Shri Kainchi Dham

गंगाजी में दूध बहता है - श्री कैंची धाम | Milk flows in Ganga - Shri Kainchi Dham जय श्री कैंची धाम  प्रिय भक्तों आज हम आपको सन 1960 की एक सत्य घटना सुनाने जा रहे हैं जो की परम पूज्य श्री नीम करौली बाबा( श्री नीब करोरी बाबा जी) के जीवन से जुड़ी हुई है और बाबा के द्वारा किए गए अनेको चमत्कारों में से एक चमत्कार के संबंध में है। माघ मेला चल रहा था और महाराज जी के दर्शनों को लगातार भक्तों का ताता लगा हुआ था। महाराज जी के दर्शनों से जैसे सभी की मनोकामनाएं  रही थी।  उसी दौरान महाराज जी ने अपने भक्तों को बताते बताया की गंगा जी में जल नहीं दूध बहता रहता है। महाराज जी के ये अनोखे एवं अद्भुत वाक्य को सुन के सभी भक्त बड़े अचंभित हुवे। सभी भक्त आपस में वार्ता करने लगे की गंगा जी में तो जल प्रवाहित होता है पर महाराज श्री का कहना है कि गंगा में दूध प्रवाहित होता है। इस बात से सभी अचंभित थे।  एक दिन जब महाराज जी कुछ अन्य भक्तों के साथ गंगा जी में नौका विहार कर रहे थे तब कुछ भक्तों ने सोचा कि क्यों ना महाराज जी की बात का परीक्षण किया जाए हालांकि उन्होंने महाराज जी से कुछ नहीं कहा लेकिन नीम क

क्या राम कथा में हनुमान जी आते हैं ? | Story of Hanuman Ji

क्या राम कथा में हनुमान जी आते हैं ? | Story of Hanuman Ji एक पंडित जी  राम कथा सुना रहे थे। लोग आते और आनंद विभोर होकर जाते। पंडित जी का नियम था रोज कथा शुरू  करने से पहले "आइए हनुमंत जी  बिराजिए" कहकर हनुमान जी का आह्वान करते थे, फिर एक घण्टा प्रवचन करते थे।वकील साहब हर रोज कथा सुनने आते। वकील साहब के भक्तिभाव पर एक दिन तर्कशीलता हावी हो गई। उन्हें लगा कि महाराज रोज " आइए हनुमंत जी बिराजिए " कहते हैं तो क्या हनुमान जी सचमुच आते होंगे! अत: वकील साहब ने पंडित जी से पूछ ही डाला- महाराज जी, आप रामायण की कथा बहुत अच्छी कहते हैं। हमें बड़ा रस आता है परंतु आप जो गद्दी प्रतिदिन हनुमान जी को देते हैं उसपर क्या हनुमान जी सचमुच बिराजते हैं? पंडित जी  ने कहा… हाँ यह मेरा व्यक्तिगत विश्वास है कि रामकथा हो रही हो तो हनुमान जी अवश्य पधारते हैं। वकील ने कहा… महाराज ऐसे बात नहीं बनेगी। हनुमान जी यहां आते हैं इसका कोई सबूत दीजिए । आपको साबित करके दिखाना चाहिए कि हनुमान जी आपकी कथा सुनने आते हैं।  महाराज जी ने बहुत समझाया कि भैया आस्था को किसी सबूत की कसौटी पर नहीं कसना

लकड़ी का पुल और बाबा नीम करोली | Wooden bridge and baba neem karoli

लकड़ी का पुल और बाबा नीम करोली   | Wooden bridge and baba neem karoli यह बात 1966 की है। तब कैंची नदी पर इतना बड़ा पुल नहीं था। एक लकड़ी का छोटा सा पुल था। कई बार दोपहर में नीम करोली बाबा वहीं जाकर बैठ जाते थे और भोजन करते थे। पंद्रह जून के भंडारे से पहले एक दिन वे उसी पुल पर बैठे हुए थे कि बरेली से एक भक्त आये। ट्रक में कुछ पत्तल और कसोरे (मिट्टी का बर्तन) साथ लाये थे भंडारे के लिए। उन्होंने वह सब वहां अर्पित करते हुए मुझसे कहा, "दादा बताइये और क्या जरूरत है?" मेरे नहीं कहने के बाद भी वे बार बार यही जोर देते रहे कि बताइये और क्या चाहिए। बताइये और क्या चाहिए। उनके बहुत जोर देने पर मैंने कह दिया कि दो खांची (बांस का बना बड़ा बर्तन) कसोरे और भेज दीजिएगा। तब तक बाबाजी चिल्लाये। क्या? क्या करने जा रहे हो तुम उसके साथ मिलकर? है तो सबकुछ। तुम बहुत लालची हो गये हो। कोई कुछ देना चाहे तो तुम तत्काल झोली फैला देते हो।" मैं चुप रहा। प्रसाद लेने के बाद जब वह व्यक्ति जाने के लिए तैयार हुआ और महाराज जी के पास उनके चरण छूने पहुंचा तो सौ रूपये का नोट निकालकर रख दिया।  महाराज जी