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Showing posts from 2024

Panch Mukhi Hanuman: ॐ नमो हरि मर्कट मर्कटाय स्वाहा का अर्थ

  Sankat Mochan Hanuman भक्ति का स्वरूप, भक्ति का ज्ञान हमें श्री हनुमान जी महाराज से सीखना चाहिए। हनुमान जी महाराज ने भक्ति के द्वारा श्री राम को प्राप्त कियाऔर श्री राम के वरदान स्वरुप समस्त संसार में हनुमान जी की आराधना, उनकी जय जयकार और उनकी प्रतिष्ठा संपन्न हो सकी। शास्त्रों की माने तो हनुमान जी महाराज भगवान शिव अर्थात महा रूद्र के 11 में रुद्र अवतार हैं और उन्हें शिव स्वरूप भी माना जाता है अर्थात हनुमान जी महाराज स्वयं महादेव के ही अवतार हैं। अतः जब कोई संकट किसी भी प्राणी को महसूस होता है तो वह संकट से छुटकारा पाने के लिए अपनी श्री हनुमान जी महाराज की शरण लेता है और उनसे उस संकट को दूर करने की प्रार्थना करता है। हनुमान जी महाराज अत्यंत ही दयालु हैं। वह अपने शरणागत की रक्षा अवश्य करते हैं। हम सभी को उनके दिव्य मंत्रो के द्वारा उनको प्रसन्न करके उनसे अपनी रक्षा की प्रार्थना करनी चाहिए।   हनुमान जी के भक्तों के द्वारा हनुमान जी को अनेको नाम से संबोधित किया जाता है।  वीर हनुमान, राम भक्त, शिव अवतार, मारुति नंदन, महावीर ये सभी नाम भजरंग बलि के ही है पर इन सभी नामो में एक नाम ऐसा भी ह

Dharma muneeswaran temple in hindi

सनातन धर्म में त्रिदेवों का विशेष महत्व है। भगवान शिव को हम सभी देवों के देव महादेव के नाम से भी जानते हैं। पुराणों में महादेव का स्वरुप मनमोहक बताया गया है। महादेव सदाशिव के नाम से समस्त संसार में पूछे जाते हैं और इसीलिए भगवान शिव को समर्पित अनगिनत मंदिर सिर्फ भारत में ही नहीं अपितु समस्त संसार में पाए जाते हैं। आज हम उन्ही मंदिरों में से एक श्री धर्म मुनीश्वरन मंदिर की बात करेंगे जिनको भारत के बाहर रहने वाले भारतीय पूर्ण श्रद्धा और आस्था के साथ पूछते हैं। इस मंदिर की विशेषता के बारे में आप सबको अवगत कराएंगे। यह मंदिर भारत में नहीं है पर कहां है इस जानकारी के लिए संपूर्ण लेख को ध्यानपूर्वक पढ़िए। Dharma muneeswaran temple in hindi  श्री धर्म मुनीश्वरन मंदिर सिंगापुर में 17 सेरांगून नॉर्थ एवेन्यू 1 में स्थित एक हिंदू मंदिर है। यह शिव के एक रूप धर्म मुनीश्वरन को समर्पित है। यह मंदिर एक सदी से भी ज़्यादा समय से मौजूद है, जिसकी शुरुआत 1900 में एक बोधि वृक्ष के नीचे एक मंदिर के रूप में हुई थी। 1930 के दशक में, क्षेत्र के कई निवासियों ने भगवान धर्म मुनीश्वरन के दर्शन का अनुभव किया था। मंदि

क्या बुद्ध विष्णु के अवतार है?

Is-Buddha-an-avtaram-of-Vishnu समय-समय पर यह प्रश्न उठाया जाता रहा है कि भगवान बुद्ध भगवन विष्णु के अवतार थे या नहीं। इस संदर्भ मेंआनेको कथाएं सामने आती हैं जिनमें कुछ कथाओं में लोगों का विश्वास है और कुछ कथाओं को लोग मिथ्या मानते हैं। आज हम यह समझने का प्रयास करेंगे कि क्या वास्तव में भगवान बुद्ध भगवान विष्णु के अवतार हैं या फिर यह सब एक मिथ्या प्रचार है।  गौतम बुद्धा या विष्णु  हाँ , हिंदू धर्म में, गौतम बुद्ध को विष्णु के दस प्रमुख अवतारों में से नौवां अवतार माना जाता है। यह विचार वैष्णव परंपरा में विशेष रूप से प्रचलित है, जहाँ विष्णु को रक्षक और संतुलनकारी देवता के रूप में देखा जाता है। हालांकि, यह विचार सभी हिन्दू सम्प्रदायों द्वारा स्वीकार नहीं किया जाता है। कुछ सम्प्रदायों में, बुद्ध को एक महान शिक्षक और ज्ञानी व्यक्ति के रूप में सम्मानित किया जाता है, लेकिन उन्हें विष्णु का अवतार नहीं माना जाता है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि हिंदू धर्म में विभिन्न सम्प्रदायों और विचारों की एक विस्तृत श्रृंखला मौजूद है, और बुद्ध की भूमिका और महत्व को लेकर विभिन्न दृष्टिकोण मौजूद हैं।

Kolhapur Mahalaxmi Temple : अंबाबाई का रहस्य

Kolhapur Mahalaxmi Temple कोल्हापुर का माता महालक्ष्मी मंदिर विश्व विख्यात है। यह दिव्य मंदिर किसी पहचान का मोहताज नहीं है। इस मंदिर की असंख्य विशेषताएं है जिनमे से इस मंदिर का पौराणिक इतिहास इस मंदिर को अन्य मंदिरों में विशिष्ट स्थान प्रदान करता है। माता महालक्ष्मी को यह अंबाबाई के नाम से उनके भक्त पुकारते है।  अंबाबाई मंदिर पूरे महाराष्ट्र की शोभा है। अंबाबाई देवस्थान जो की कोल्हापुर में पड़ता है, प्रतिवर्ष यहा करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु माता के दर्शनों का लाभ उठाकर मनोवांछित फलों को प्राप्त करते है। यह मंदिर 1300 साल से भी अधिक पुराना है और इसे महाराष्ट्र के आठ अष्टविनायक मंदिरों में से एक माना जाता है। कोल्हापुर महालक्ष्मी मंदिर का इतिहास कई शताब्दियों से महालक्ष्मी माता का यह मंदिर सम्पूर्ण विश्व की आस्था का केंद्र बना हुवा है। बात 7वीं शताब्दी की है, जब चालुक्य राजा करणदेव ने इस विशाल मंदिर की स्थापना की। उसके पश्चात 12वीं शताब्दी में, यादव राजाओं ने मंदिर का विस्तार कर मंदिर को भव्यता प्रदान की। फिर समय आया मराठाओं का। बात 17वीं शताब्दी जिन्हे जब मराठा महाराज

Hanuman Ji Bhajan: Jai Tu Banar Hai Raghuvar Ko Das

Divya Hanuman Bhajan   हम सभी ने श्री हनुमान जी महाराज के आनेको भजन सुने हैं पर आज हम जिस भजन को आप सबके सामने प्रस्तुत करने जा रहे हैं यह अपने आप में एक अनोखा भजन है जो आपको कहीं पर भी प्राप्त नहीं होगा। इस भजन के प्रत्येक शब्द में वह प्रेम और करुणा है जिसमें आप एक भक्त द्वारा हनुमान जी से की गई पुकार को सुन सकते है। Jai Tu Banar Hai Raghuvar Ko Das जय तू बानर है रघुबर को दास, बरनन कर हरि के रूप को रे हनुमान । लाजै माता मदन रती सत कोटि, निरख्यौ री हरि केरू‌पने हे मेरी माय । जै तूं वानर है रघुबर को दास, वरनन कर हरि के रंगको रे हनुमान । स्वामी माता साँवल उज्वल रंग, छबि हरित मणी ज्यूँ सोहणी रे मेरी माय । जै तूं वानर है रघुवर को दास, बरनन कर हरिको भेषको रे हनुमान । स्वामी माता धरिया मुनिवर भेष, धरती रो भार उतारसी रे मेरी माय । जै तू बानर है रघुबर को दास, बरनन कर हरिको बंसको रे हनुमान । स्वामी माता रघुकुल दशरथ लाल, उजियाला सूरज वंशका रे मेरी माय ।  जै तू बानर है रघुबर को दास, बरनन कर प्रभू ‌के सीलको रे हनु‌मान ।। आवें माता इन्द्र अप्सरा कोटि,  कबहूँ मन बाको ना डिगे ए मेरी माय ।

दिव्य ज्ञान का अनावरण: Exploring the Secrets of Vedas and Upanishads

प्राचीन ग्रंथों में ज्ञान और आध्यात्मिक ज्ञान की कुंजी छिपी है। इस आकर्षक लेख में, हम वेदों और उपनिषदों की गहराई में उतरते हैं, उन गहन शिक्षाओं और अंतर्दृष्टि को उजागर करते हैं जिन्होंने सदियों से मानवता का मार्गदर्शन किया है। वेद, अस्तित्व में सबसे पुराने पवित्र ग्रंथ माने जाते हैं, जो दिव्य रहस्यों की गहन खोज प्रदान करते हैं। ब्रह्मांड की प्रकृति के बारे में गहन ज्ञान प्रकट करते हुए, वेद आध्यात्मिक साधकों को परम सत्य को उजागर करने का मार्ग प्रदान करते हैं। वेदों की शिक्षाओं का विस्तार करने वाले दार्शनिक और रहस्यमय ग्रंथों, उपनिषदों के साथ, यह लेख व्यक्तिगत आत्मा (आत्मा) और सार्वभौमिक चेतना (ब्रह्म) के बीच गहन संबंध पर प्रकाश डालता है। इन प्रतिष्ठित ग्रंथों में पाई जाने वाली प्रमुख अवधारणाओं और ज्ञान की सावधानीपूर्वक जांच के माध्यम से, हम उस कालातीत ज्ञान को उजागर करते हैं जो पीढ़ियों से आगे निकल गया है। इस ज्ञानवर्धक यात्रा में हमारे साथ शामिल हों क्योंकि हम वेदों और उपनिषदों के रहस्यों का पता लगाते हैं, सदियों पुराने ज्ञान को उजागर करते हैं जो हमारे आधुनिक जीवन में प्रास

Shiva Rudrashtakam Stotram With Hindi Lyrics

शिव कौन हैं? हिंदू धर्म में शिव, त्रिमूर्ति (ब्रह्मा, विष्णु, शिव) में से तीसरे देवता हैं। वे परमेश्वर, सृष्टिकर्ता, संहारक और संरक्षक हैं। शिव को महादेव, महाकाल, नीलकंठ, महायोगी, नाटराज आदि नामों से भी जाना जाता है। शिव के प्रमुख रूप:  * शिवलिंग: शिव का सबसे सरल और प्रचलित रूप।  * अर्धनारीश्वर: शिव और पार्वती का आधा-आधा शरीर वाला रूप, स्त्री-पुरुष समानता का प्रतीक।  * नटराज: नृत्य के देवता, सृष्टि के ताल को दर्शाते हुए।  * गंगाधर: गंगा नदी को अपने जटाओं में धारण करने वाले रूप।  * भैरव: शिव का क्रोधित रूप। शिव के प्रमुख कार्य:  * सृष्टि का निर्माण, संरक्षण और विनाश: शिव को ब्रह्मांड का चक्र चलाने वाला देवता माना जाता है।  * देवताओं और मनुष्यों की रक्षा: शिव राक्षसों और अन्य बुरी शक्तियों से लड़ते हैं।  * आत्माओं का मार्गदर्शन: शिव मृत्यु के बाद आत्माओं को मोक्ष की ओर ले जाते हैं।  * योग और ध्यान के देवता: शिव को योग और ध्यान का प्रवर्तक माना जाता है। शिव की पूजा: शिव की पूजा पूरे भारत में की जाती है। शिवरात्रि, महाशिवरात्रि और सोमवार शिव के प्रमुख त्यौहार हैं। शिवलिंग पर

वेद क्या है? वेदों के प्रकार और महत्व क्या है?

वेद दुनिया के सबसे पुराने लिखित धार्मिक और दार्शनिक ग्रंथ हैं। 'वेद' शब्द संस्कृत के शब्द 'विद्' से लिया गया है, जिसका अर्थ है 'ज्ञान'। वैदिक साहित्य में वेद सबसे महत्वपूर्ण हैं। 1500 से 500 ईसा पूर्व के बीच वैदिक संस्कृत में रचित, वेद हिंदू धर्म के सबसे पुराने ग्रंथ हैं। वेद क्या है ? वेद चार हैं: ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद।  वेदों में देवता, ब्रह्मांड, ज्योतिष, गणित, चिकित्सा, विज्ञान, भूगोल, धर्म, संगीत, रीति-रिवाज और परंपराओं जैसे कई विषयों का ज्ञान समाहित है। वेदों का महत्व इस बात में निहित है कि इन्हें किसी मनुष्य ने नहीं लिखा बल्कि ईश्वर द्वारा ऋषियों को ईश्वरीय ज्ञान के आधार पर दिया गया। यही कारण है कि वेदों को 'श्रुति' भी कहा जाता है। वेदों के सम्पूर्ण ज्ञान को महर्षि कृष्ण द्वैपायन ने चार भागों में विभाजित किया था, जिन्हें ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद के नाम से जाना जाता है। इन्हें वेदव्यास के नाम से भी जाना जाता है। वेदों में ऋषियों की तपस्या और ज्ञान समाहित है, जिसे उन्होंने अपने शिष्यों को प्रदान किया। इसी तरह पीढ

शुक्रवार का देवता कौन है? शुक्रवार का मंत्र क्या है?

शुक्रवार का दिन देवी महालक्ष्मी और शुक्र देव का दिन माना जाता है। शुक्रवार को मां लक्ष्मी की पूजा करने से जीवन में सुख-सुविधा की कमी नहीं रहती। साथ ही, शुक्र ग्रह की शुभता से सौंदर्य में निखार, ऐश्वर्य, कीर्ति और धन-दौलत प्राप्त होती है। Shukrawar ( Friday) Ka Devta शुक्रवार को मां संतोषी की पूजा और व्रत भी किया जाता है। हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, मां संतोषी को भगवान श्री गणेश की पुत्री माना जाता है। मान्यता है कि मां संतोषी की पूजा करने से साधक के जीवन में आ रही तमाम तरह की समस्याएं दूर होती हैं और उसे सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही, जिन्हें संतान सुख प्राप्त नहीं हो पा रहा वो संतान प्राप्ति के लिए इस व्रत को करते हैं। शुक्रवार को वैभव लक्ष्मी व्रत भी रखा जाता है. हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, माता वैभव लक्ष्मी से सुख-समृद्धि और धन-धान्य का आशीर्वाद पाने के लिए शुक्रवार का व्रत सबसे उत्तम उपाय है।  शुक्रवार का नाम शुक्र देवता के नाम पर ही पड़ा है। नॉर्स पौराणिक कथाओं में फ्रिग ओडिन की पत्नी हैं। उन्हें विवाह की देवी माना जाता था। शुक्रवार को किसका व्रत करना चाहिए?