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Showing posts from August, 2019

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शुक्रवार का देवता कौन है? शुक्रवार का मंत्र क्या है?

शुक्रवार का दिन देवी महालक्ष्मी और शुक्र देव का दिन माना जाता है। शुक्रवार को मां लक्ष्मी की पूजा करने से जीवन में सुख-सुविधा की कमी नहीं रहती। साथ ही, शुक्र ग्रह की शुभता से सौंदर्य में निखार, ऐश्वर्य, कीर्ति और धन-दौलत प्राप्त होती है। Shukrawar ( Friday) Ka Devta शुक्रवार को मां संतोषी की पूजा और व्रत भी किया जाता है। हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, मां संतोषी को भगवान श्री गणेश की पुत्री माना जाता है। मान्यता है कि मां संतोषी की पूजा करने से साधक के जीवन में आ रही तमाम तरह की समस्याएं दूर होती हैं और उसे सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही, जिन्हें संतान सुख प्राप्त नहीं हो पा रहा वो संतान प्राप्ति के लिए इस व्रत को करते हैं। शुक्रवार को वैभव लक्ष्मी व्रत भी रखा जाता है. हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, माता वैभव लक्ष्मी से सुख-समृद्धि और धन-धान्य का आशीर्वाद पाने के लिए शुक्रवार का व्रत सबसे उत्तम उपाय है।  शुक्रवार का नाम शुक्र देवता के नाम पर ही पड़ा है। नॉर्स पौराणिक कथाओं में फ्रिग ओडिन की पत्नी हैं। उन्हें विवाह की देवी माना जाता था। शुक्रवार को किसका व्रत करना चाहिए?

नीम करोली बाबा द्वारा प्राण रक्षा -श्री कैंची धाम

नीम करोली बाबा द्वारा प्राण रक्षा -श्री कैंची धाम  !! एक विचित्र अनुभव घटना 4 नवम्बर 1971 की है। नीम करोली बाबा की एक अमेरिकी भक्त महिला जिसे वे राधा कहा कहते थे, वृन्दावन में आनन्दमयी माँ के आश्रम से अपनी अमेरिकी सहेली अन्जनी (भारतीय नाम) के साथ एक रिक्शा में आ रही थी। रिक्शा का चालक बहुत तेजी से रिक्शा भगा रहा था। राधा जी ने एकाएक भयवश अपनी आँखें बन्द कर ली थी। तुरंत उन बन्द आँखों से उनको महाराज जी के मुख का दर्शन हुआ। ऐसा अनुभव इससे पूर्व उनको कभी नहीं हुआ था । राधा जी कहती हैं कि इस दर्शन में महाराज मुझसे कह रहे थे, "दुर्घटना होने जा रही है, कूद पड़।" मैंने तुरंत उनकी आज्ञा का पालन किया। मैंने जानते बूझते यह कार्य किया - बड़ी शान्ति और बिना किसी अन्तर्द्वन्द्व के। इस कार्य में न मुझे कुछ भय था और न मेरे दिल की कोई धड़कन ही रुकी। यह सब इतनी जल्दी हुआ कि मैं अन्जनी से कुछ कह भी नहीं पायी। मेरे कूदने का कोई कारण प्रत्यक्ष न था, कोई भी दर्शक मुझे पागल कह सकता। उसी क्षण वहाँ चौराहे में एक दूसरा रिक्शा हमारे रिक्शा से टकरा गया। अन्जनी को थोड़ी चोट आयी। वह मेरे उपचार से ही स्

भुवन चंद की भूख - श्री कैंची धाम | Bhuvan Chand's hunger - Shri Kainchi Dham

भुवन चंद की भूख  - श्री कैंची धाम | Bhuvan Chand's hunger - Shri Kainchi Dham भुवन चंद की भूख- जिस प्रकार माता-पिता अपने बच्चो को कभी भूखा नहीं देख सकते ठीक उसी प्रकार का स्वभाव गुरुदेव का भी होता है। श्री नीम करोली बाबा भी कुछ अद्भुत संत ही थे। उनकी हर लीला अपने आप में एक उपदेषात्मक लीला होती थी। अपने भक्तो पर बाबा उसी प्रकार कृपा करते थे जैसे माता-पिता अपने बच्चो पर करते है। कोई बाबा को श्री हनुमान जी का परम भक्त बोलता था तो कोई स्वयं हनुमान जी का अवतार।आज हम आपको श्री भुवन चंद तिवारी जी के जीवन की वो सत्य घटना सुनाने जा रहे है जब वे रोडवेज स्टेशन भवाली में लिपिक थे। उसी समय की घटना है जब भुवन चंद जी को एक दिन किसी दुसरे कर्मचारी की अनुपस्तिथि में काम करने के लिए ब्रिवरी स्टेशन भेजा गया। भुवन चंद   उस दिन घर से बिना खाए ही काम पर निकल गए थे  और वहाँ अवकाश न मिल पाने के कारण भूखे ही काम करते रहे। महाराज जी तब भूमियाधार में थे। वह अपने भक्तों को भूखा ना देख सके। तिवारी जी बताते हैं कि बाबा ने दिन के एक बजे एक बड़ी टोकरी में पूड़ी सब्जी आदि बांधवाकर ब्रिवरी स्टेशन को जाती हु

बाबा आप कौन है ? -श्री कैंची धाम | Baba, who are you? - Shri Kainchi Dham

बाबा आप कौन है ? -श्री कैंची धाम | Baba, who are you? - Shri Kainchi Dham श्रीमति रमा जोशी पूज्य श्री नीम करोली बाबा जी की अनन्य भक्त थी और बाबा को बहुत मानती थी। उन्होंने अपने जीवन से जुडी अद्भुत कथा को  कहा की बाबा के रूप को वो कभी समझ नहीं पाती थी और बाबा से एक दिन बोली की ," आप बताते क्यूँ नही कि बाबा आप कौन है ? आपकी ये उल्टी सीधी लीलाये क्या है और किसलिये है ?  उन्होंने कई बाबा के भक्तों से पूछा मगर कोई संतोषप्रद उतर न मिला । तब बाबा बोले ,कोई नहीं समझा सकता तूझे । समय आने पर मैं ही समझाँऊगा । एक दिन मैंने उनसे कहा , कि बाबा मेरी तो कागभूशूडि सी गति हो गई है । वे बोले," वो तो होगी ही ।" फिर नीम करोली बाबा  बोले," अपने जन के कारणा , श्री कृष्ण बने रघूनाथ ।"" Image Subject To Copyright एक दिन मूझे ग़ुस्सा आया और मैं बोली , आपके पास आना निरर्थक है । आप सत्य नहीं बताते ।" आप धोखा देते है  । " तब बाबा बोले," तेरी सौं मैं सब कूछ बता दूँगा । तेरे विचार ख़राब हो गये है मेरे लिये । तू मुझे बाल रूप में क्यों नहीं देखती । मैं कूछ सोचूँ उस

गंगा जी में दूध बहता है - श्री कैंची धाम | Milk flows in Ganga- Shri Kainchi Dham

गंगाजी में दूध बहता है - श्री कैंची धाम | Milk flows in Ganga - Shri Kainchi Dham जय श्री कैंची धाम  प्रिय भक्तों आज हम आपको सन 1960 की एक सत्य घटना सुनाने जा रहे हैं जो की परम पूज्य श्री नीम करौली बाबा( श्री नीब करोरी बाबा जी) के जीवन से जुड़ी हुई है और बाबा के द्वारा किए गए अनेको चमत्कारों में से एक चमत्कार के संबंध में है। माघ मेला चल रहा था और महाराज जी के दर्शनों को लगातार भक्तों का ताता लगा हुआ था। महाराज जी के दर्शनों से जैसे सभी की मनोकामनाएं  रही थी।  उसी दौरान महाराज जी ने अपने भक्तों को बताते बताया की गंगा जी में जल नहीं दूध बहता रहता है। महाराज जी के ये अनोखे एवं अद्भुत वाक्य को सुन के सभी भक्त बड़े अचंभित हुवे। सभी भक्त आपस में वार्ता करने लगे की गंगा जी में तो जल प्रवाहित होता है पर महाराज श्री का कहना है कि गंगा में दूध प्रवाहित होता है। इस बात से सभी अचंभित थे।  एक दिन जब महाराज जी कुछ अन्य भक्तों के साथ गंगा जी में नौका विहार कर रहे थे तब कुछ भक्तों ने सोचा कि क्यों ना महाराज जी की बात का परीक्षण किया जाए हालांकि उन्होंने महाराज जी से कुछ नहीं कहा लेकिन नीम क

क्या राम कथा में हनुमान जी आते हैं ? | Story of Hanuman Ji

क्या राम कथा में हनुमान जी आते हैं ? | Story of Hanuman Ji एक पंडित जी  राम कथा सुना रहे थे। लोग आते और आनंद विभोर होकर जाते। पंडित जी का नियम था रोज कथा शुरू  करने से पहले "आइए हनुमंत जी  बिराजिए" कहकर हनुमान जी का आह्वान करते थे, फिर एक घण्टा प्रवचन करते थे।वकील साहब हर रोज कथा सुनने आते। वकील साहब के भक्तिभाव पर एक दिन तर्कशीलता हावी हो गई। उन्हें लगा कि महाराज रोज " आइए हनुमंत जी बिराजिए " कहते हैं तो क्या हनुमान जी सचमुच आते होंगे! अत: वकील साहब ने पंडित जी से पूछ ही डाला- महाराज जी, आप रामायण की कथा बहुत अच्छी कहते हैं। हमें बड़ा रस आता है परंतु आप जो गद्दी प्रतिदिन हनुमान जी को देते हैं उसपर क्या हनुमान जी सचमुच बिराजते हैं? पंडित जी  ने कहा… हाँ यह मेरा व्यक्तिगत विश्वास है कि रामकथा हो रही हो तो हनुमान जी अवश्य पधारते हैं। वकील ने कहा… महाराज ऐसे बात नहीं बनेगी। हनुमान जी यहां आते हैं इसका कोई सबूत दीजिए । आपको साबित करके दिखाना चाहिए कि हनुमान जी आपकी कथा सुनने आते हैं।  महाराज जी ने बहुत समझाया कि भैया आस्था को किसी सबूत की कसौटी पर नहीं कसना

लकड़ी का पुल और बाबा नीम करोली | Wooden bridge and baba neem karoli

लकड़ी का पुल और बाबा नीम करोली   | Wooden bridge and baba neem karoli यह बात 1966 की है। तब कैंची नदी पर इतना बड़ा पुल नहीं था। एक लकड़ी का छोटा सा पुल था। कई बार दोपहर में नीम करोली बाबा वहीं जाकर बैठ जाते थे और भोजन करते थे। पंद्रह जून के भंडारे से पहले एक दिन वे उसी पुल पर बैठे हुए थे कि बरेली से एक भक्त आये। ट्रक में कुछ पत्तल और कसोरे (मिट्टी का बर्तन) साथ लाये थे भंडारे के लिए। उन्होंने वह सब वहां अर्पित करते हुए मुझसे कहा, "दादा बताइये और क्या जरूरत है?" मेरे नहीं कहने के बाद भी वे बार बार यही जोर देते रहे कि बताइये और क्या चाहिए। बताइये और क्या चाहिए। उनके बहुत जोर देने पर मैंने कह दिया कि दो खांची (बांस का बना बड़ा बर्तन) कसोरे और भेज दीजिएगा। तब तक बाबाजी चिल्लाये। क्या? क्या करने जा रहे हो तुम उसके साथ मिलकर? है तो सबकुछ। तुम बहुत लालची हो गये हो। कोई कुछ देना चाहे तो तुम तत्काल झोली फैला देते हो।" मैं चुप रहा। प्रसाद लेने के बाद जब वह व्यक्ति जाने के लिए तैयार हुआ और महाराज जी के पास उनके चरण छूने पहुंचा तो सौ रूपये का नोट निकालकर रख दिया।  महाराज जी