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Showing posts from April, 2023

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वेद क्या है? वेदों के प्रकार और महत्व क्या है?

वेद, विश्व के सबसे पुराने लिखित धार्मिक दार्शनिक ग्रंथ हैं। वेद शब्द संस्कृत भाषा के 'विद' शब्द से बना है, जिसका मतलब है 'ज्ञान'। वेद, वैदिक साहित्य में सबसे महत्वपूर्ण हैं। 1500 और 500 ईसा पूर्व के बीच वैदिक संस्कृत में रचित, वेद हिंदू धर्म के सबसे पुराने ग्रंथ हैं।  वेद क्या है ? वेद चार हैं: ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद।  वेदों में देवता, ब्रह्मांड, ज्योतिष, गणित, औषधि, विज्ञान, भूगोल, धर्म, संगीत, रीति-रिवाज आदि जैसे कई विषयों का ज्ञान वर्णित है। वेद इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसे किसी मनुष्य द्वारा नहीं बल्कि ईश्वर द्वारा ऋषियों को सुने ज्ञान के आधार पर लिखा गया है. इसलिए भी वेद को 'श्रुति' कहा जाता है।  वेदों को चार प्रमुख ग्रंथों में विभाजित किया गया है और इसमें भजन, पौराणिक वृत्तांत, प्रार्थनाएं, कविताएं और सूत्र शामिल हैं। वेदों के समग्र भाग को मन्त्रसंहिता, ब्राह्मण, आरण्यक, उपनिषद के रूप में भी जाना जाता है। इनमें प्रयुक्त भाषा वैदिक संस्कृत कहलाती है जो लौकिक संस्कृत से कुछ अलग है। वेदों के संपूर्ण ज्ञान को महर्षि कृष्ण द्वैपाय

क्या अंतर है पुजारी, उपासक और भक्त में और क्यों भक्त को सबसे ऊंचा माना गया है?

प्रिय भक्तो आज हम आप सभी को एक पुजारी उपासक और भक्त की परिभाषा अलग -अलग बताएँगे।  हम सभी से कभी न कभी ये प्रश्न कोई भी कर सकता है कि तीनो में क्या भेद होता है परन्तु अग्ज्ञान वश हम इन प्रश्नो का उत्तर देने में असमर्थ हो जाते है।  भगवन को किसकी पूजा प्रिय है ? सर्वप्रथम हम सभी को ये समझना चाहिए की पुजारी, उपासक और भक्त, इन तीनो के केंद्र बिंदु में केवल भगवान् ही रहते है। ये सभी लोग अपनी अपनी श्रद्धा और भक्ति के अनुरूप भगवान् को प्रसंन्न करने का प्रयास करते रहते है। अगर हम वेद और शास्त्रों की माने को भगवान् को किसी की पूजा नहीं चाहिए क्योकि भगवान्  अपने भक्तो की सच्ची भक्ति को ही प्रिय मानते है।  सृष्टिके प्रारम्भ में जब भ्रह्मा ने दुनिया को रचा तब एक प्रजापति भी बनाया गया और उस प्रजापति का नाम दक्ष पड़ा।  प्रजापति दक्ष ने मानव सभयता को ४ वर्णो में विभाजित कर दिया : ब्राह्मण,छत्रिय, वैश्य , शूद्र। इन चारो वर्णो में ब्राह्मण को सबसे अधिक सम्मानित और महत्वपूर्ण माना गया है परन्तु शास्त्र हमे इस बात का प्रमाण देते है की कोई प्राणी जो जन्म से ब्राह्मण हो पर कर्म से छत्रिय हो तो उसको छत्रिय हि