Neem Karoli Baba Ki Mahasamadhi आप सभी ये जानने को उत्सुक होंगे की तब क्या हवा जब नीम करोली बाबा ने कहा की मैं क्या कर सकता हूँ जब भगवान ही मुझे बुला रहे हैं ? आज हम आपके इसी प्रश्न का उत्तर देने आए है। 10 सितंबर 1973 को नीम करोली बाबा ने महासमाधि क्यों ली अगले दिन सुबह, 10 सितंबर को, बाबा आगरा पहुंचे और लगभग 6 बजे जगमोहन शर्मा के घर गए। शर्मा जी ने उनका स्वागत किया और उन्हें पता चला कि बाबा का वापसी का टिकेट काठगोदाम के लिए भी उसी दिन रात की रेलगाड़ी से था। बाबा ने नाई बुलाया और दाढ़ी और बाल मुंडवा दिए। उन्होंने केवल चौलाई (रामदाना) खाया और कहा, "अब, अनाज और फलों से पोषण कम होता है। रामदाना बनाओ, में आज ये ही लूँगा।" फिर उन्होंने शर्मा से कहा, "आगे का समय खराब है। बड़े घरों में नहीं रहो। वहां लूटमार और हत्या अधिक होगी। छोटे घर में रहो।" पूरे दिन बाबा ने इसी तरह की बातें की। उन्होंने शर्मा के पिता से कहा, "जब शरीर बूढ़ा हो जाता है, यह बेकार हो जाता है। इससे कोई लगाव नहीं होना चाहिए।" बाबा काफी खुशहाल मूड में थे। उन्हें ऐसे देखकर शर्मा की सास न
हनुमानजी का अद्भुत बल यह पुरानी घटना त्रेता युग की है जब भगवान श्री राम और असुर राज रावण के बीच भयंकर युद्ध चल रहा था। श्रीराम का पराक्रम देखने के बाद रावण को जब यह महसूस हुआ कि वह श्रीराम से जीत ना सकेगा तब उसने मायावी अमर राक्षसों के एक दल को बुलाया जिनकी संख्या लगभग 1000 रही होगी। रावण ने उस राक्षस दल को आदेश दिया कि तुम सब जाओ और राम की सेना से युद्ध करो और उन्हें परास्त करो। रावण द्वारा अमर राक्षसों को भेजने की बात जब विभीषण को ज्ञात हुई तो विभीषण जी ने रावण की मायावी सेना और उसके राक्षसों की जानकारी भगवान श्रीराम तक पहुंचाई। भगवान श्री राम के साथ ही साथ वानर राज सुग्रीव और समस्त वानर सेना को अमर राक्षसों के बारे में पता चला और वे सब चिंतित हो उठे क्योंकि इन अमर राक्षसों से कब तक युद्ध करना उन सबके लिए संभव होगा क्योंकि ये तो कभी मरेंगे ही नहीं और जब मरेंगे नहीं तो इन को हराना असंभव होगा। समस्त वानर सेना के हृदय में केवल एक ही बात चल रही थी कि हम लंबे समय तक युद्ध करने के पश्चात भी जीत नहीं पाएंगे। जब पवन पुत्र हनुमान ने भगवान श्रीराम को चिंतित देखा तो हनुमान जी ने भगवान श्रीर