Skip to main content

Posts

Showing posts from December, 2019

Most Popular Post

शुक्रवार का देवता कौन है? शुक्रवार का मंत्र क्या है?

शुक्रवार का दिन देवी महालक्ष्मी और शुक्र देव का दिन माना जाता है। शुक्रवार को मां लक्ष्मी की पूजा करने से जीवन में सुख-सुविधा की कमी नहीं रहती। साथ ही, शुक्र ग्रह की शुभता से सौंदर्य में निखार, ऐश्वर्य, कीर्ति और धन-दौलत प्राप्त होती है। Shukrawar ( Friday) Ka Devta शुक्रवार को मां संतोषी की पूजा और व्रत भी किया जाता है। हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, मां संतोषी को भगवान श्री गणेश की पुत्री माना जाता है। मान्यता है कि मां संतोषी की पूजा करने से साधक के जीवन में आ रही तमाम तरह की समस्याएं दूर होती हैं और उसे सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही, जिन्हें संतान सुख प्राप्त नहीं हो पा रहा वो संतान प्राप्ति के लिए इस व्रत को करते हैं। शुक्रवार को वैभव लक्ष्मी व्रत भी रखा जाता है. हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, माता वैभव लक्ष्मी से सुख-समृद्धि और धन-धान्य का आशीर्वाद पाने के लिए शुक्रवार का व्रत सबसे उत्तम उपाय है।  शुक्रवार का नाम शुक्र देवता के नाम पर ही पड़ा है। नॉर्स पौराणिक कथाओं में फ्रिग ओडिन की पत्नी हैं। उन्हें विवाह की देवी माना जाता था। शुक्रवार को किसका व्रत करना चाहिए?

प्राण वापस आ गये नीम करोली बाबा | Pran wapas aa gaye neem karoli baba

प्राण वापस आ गये नीम करोली बाबा   | Pran wapas aa gaye neem karoli baba नीम करोली बाबा के जीवन से सम्बंधित अनेक चमत्कारिक घटनाओ में से एक घटना का विवरण यहाँ दिया जा रहा है। बाबा के भक्तो ने बाबा की कृपा को खुद अनुभव किया। ये घटना करीब 4 दशक पुरानी है अर्थात करीब 40 वर्ष पूर्व मेरी पत्नी बहुत बीमार हो गयी। बचने की कोई उम्मीद नही थी। मेरे पास एक ही रास्ता था , बाबा का निरन्तर स्मरण। जब पता चला बाबा जी बरेली डाक्टर भण्डारी के घर आये है तो वहाँ भागा पर बाबा वहाँ न मिले। आठ बजे रात पेड़ के नीचे बैठा बाबा को याद करता रहा, तब एक व्यक्ति से पता चला कि बाबा जी कमिश्नर लाल साहेब के घर पर हैं। मै वहाँ पहँचा परन्तु चपरासी ने भीतर नही जाने दिया। मैं बाहर ही महाराजजी को दीनता से अंतरमन में पुकारता रहा और तभी नीम करोली बाबा जी बाहर निकल आये मेरी आर्त पुकार सुनकर और कहा, "रिक्शा ला तेरे घर चलते है!" लाल साहब की गाडी पर नीम करोली बाबा नही बैठे। रिक्शे से हम घर आ गये। बाबा सीधे मेरी पत्नी के कमरे में पहुंचे और उनके पलंग के पास ही कुर्सी पर बैठ गये। तभी उन्होने अपने चरण उठाक

कम्बल वाले बाबा नीम करोली बाबा | Kambal wale baba Neem Karoli Baba

प्रकृति की गोद में एक ऐसा पवित्र आश्रम जिसके अंदर एक ऐसे दिव्य संत ने कदम रक्खा जिसकी छांव में आने के पश्चात मानव जाति का कल्याण तो होना निहित ही था। वह एक ऐसी दिव्य विभूति थे जिनका आगमन मानो जन कल्याण हेतु ही हुआ था। उन परम पूज्य, भगवत स्वरूप, दिव्य संत का नाम श्री नीम करोली बाबा जी था जिन्होंने नैनीताल के निकट कैंची धाम नामक स्थान पर श्री कैंची धाम आश्रम की स्थापना कीऔर श्री राम नाम रूपी मंत्र की शक्ति का निरंतर प्रचार और प्रचार करते रहे जिसके परिणाम स्वरुप वहां से हनुमत भक्ति धारा बहने लगी।  कम्बल वाले बाबा नीम करोली बाबा   |  Kambal wale baba Neem Karoli Baba यूं तो बाबा को उनके भक्तो ने अनेकों नाम दिए पर उं नामो में नीम करोली नाम सबसे अधिक प्रसिद्ध हुआ। बाबा को लगभग उनके सभी विदेशी भक्त नीम करोली बाबा के नाम से जानते थे। कुछ स्थानो में नीम करोली बाबा को कम्बल वाले बाबा के नाम से भी जाना जाता था । कम्बल वाले बाबा का चमत्कार -  नीम करोली बाबा की  कृपा का अंत नहीं था । भक्तो की आस्था का आदर करते हुवे वो कभी भी अपने कम्बल से किसी वस्तु को उत्पन्न कर देते तो कभी किसी रोगी को

लंदन में नीम करोली बाबा के दर्शन | London mein neem karoli baba ke darshan

लंदन में नीम करोली बाबा के दर्शन | London mein neem karoli baba ke darshan ये अद्भुत घटना लंदन में घटे एक चमत्कार की है जिसने उस विदेशी भक्त के ह्रदय में भक्ति का संचार कर दिया।  हीथर थॉम्पसन (ब्रिटेन) से बताते है की  एक दिन मैं डबल डेकर बस से लंदन में यात्रा कर रहा था।  मैं प्रवेश द्वार के पास ही बैठा हुआ था।  बस का कंडक्टर ऊपरी डेक पर था। बस लगभग पूरी खाली थी।  इतने में बस एक जगह रुकी और एक भिखारी बस में सवार हुआ।  उसने बेहद फटे हुवे कपडे पहन रखे थे और उसके हाथ में एक नीला और एक लाल कंबल था।  वह मेरे सामने आकर खड़ा हो गया और बहुत ही अच्छी मुस्कुराहट से मेरी तरफ देखने लगा।  मानों वह मेरी बगल वाली सीट पर बैठना चाहता था।  मैं एक तरफ खिसक गया और वह आदमी मेरी बगल में बैठ गया।  मैं अपना मुंह घुमाकर खिड़की की तरफ देखने लगा।  खिड़की की तरफ देखते हुए मुझे उस बुजुर्ग आदमी के बारे में सोचते हुए उसकी मोहक मुस्कान याद आ रही थी। अचानक मेरे मन में महाराजजी अर्थात  नीम करोली बाबा  के बारे में विचार आने लगा। उनके बारे मैंने सुन रखा था कि वे भी एक बुजुर्ग आदमी हैं जो कंबल रखते हैं। 

हनुमान वडवानल स्रोत महिमा - श्री कैंची धाम | Hanuman Vadvanal Stotra Mahima - Shri Kainchi Dham

हनुमान वडवानल स्रोत महिमा - श्री कैंची धाम | Hanuman Vadvanal Stotra Mahima - Shri Kainchi Dham   श्री हनुमान वडवानल स्तोत्र की रचना त्रेतायुग में लंका अधिपति रावण के छोटे भाई विभीषण जी ने की थी। त्रेतायुग से आज तक ये मंत्र अपनी सिद्धता का प्रमाण पग-पग पे देता आ रहा है।  श्री हनुमान वडवानल स्तोत्र के जाप से बड़ी से बड़ी समस्या भी टल जाती है। श्री हनुमान वडवानल स्रोत का प्रयोग अत्यधिक बड़ी समस्या होने पर ही किया जाता है। इसके जाप से बड़ी से बड़ी समस्या भी टल जाती है और सब संकट नष्ट होकर सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।  श्री हनुमान वडवानल स्तोत्र के प्रयोग से शत्रुओं द्वारा किए गए पीड़ा कारक कृत्य अभिचार, तंत्र-मंत्र, बंधन, मारण प्रयोग आदि शांत होते हैं और समस्त प्रकार की बाधाएं समाप्त होती हैं। पाठ करने की विधि शनिवार के दिन शुभ मुहूर्त में इस प्रयोग को आरंभ करें। सुबह स्नान-ध्यान आदि से निवृत्त होकर हनुमानजी की पूजा करें, उन्हें फूल-माला, प्रसाद, जनेऊ आदि अर्पित करें। इसके बाद सरसों के तेल का दीपक जलाकर लगातार 41 दिनों तक 108 बार पाठ करें।

यही सत्संग है - नीम करोली बाबा | Yahi Satsang Hai - Neem Karoli Baba

यही सत्संग है - नीम करोली बाबा | Yahi Satsang Hai - Neem Karoli Baba कलयुग में राम नाम की धुन और हनुमत कृपा को पाने का सच्चा धाम Shri Kainchi Dham   श्री कैंची धाम (उत्तराखंड ) में पुरे विश्व के भक्तो के लिए आस्था का केंद्र बना हुवा है। श्री नीम करोली बाबा ने कैंची आश्रम में अपने भक्तो को सरल भक्ति का मार्ग प्रशस्त किया और उनका मार्दर्शन किया।  एक बार  कैंची आश्रम मे नीम करोली बाबा से किसी ने पूछा बाबा जी आपका कोई सत्संग नहीं होता । बाबा बोले  ," यहाँ यही सत्संग है , आओ, खाओ और जाओ ।" बाबा जी ने कभी किसी पर उपदेश , आदेश , सत्संग जैसा कुछ नहीं थोपा । उनके द्वारा भक्तों को किसी नियम में नहीं बाँधा जाता था । बस भोलेपन से उनकी  भक्ति करो । साधना को वे आम आदमी के लिये बहूत कठिन बताते थे । कहते थे पागल हो जाओगे । बस राम राम करते रहो। यही भक्ति कर लो । झूठ झूठ तो बोलो राम । एक दिन सच्चा राम निकल जायेगा । उसी क्षण राम मिल जायेंगे । आडंबरो , प्रपंचो से हमेशा सबको बचाते थे बाबा । बस भक्ति मार्ग को ईश्वर प्राप्ति का साधन बताते थे । भक्ति से उनका तात्पर्य था राम नाम , च

नीम करोली बाबा की अनुकम्पा | Neem Karoli Baba Ki Anukampa

  नीम करोली बाबा की अनुकम्पा | Neem Karoli Baba Ki Anukampa श्रीमती गिरजा देवी, रानी भद्री बाबा के प्रति अपना आभार प्रकट करते हुए कहती हैं कि श्रीचरणों की महान अनुकम्पा मेरे ऊपर हमेशा बनी रही और मुझे उनके दर्शन सुलभ होते रहे। जब राजा भद्री कुलपति होकर पन्तनगर विश्वविद्यालय में आये तो मैं भी उनके साथ थी। कुछ दिनों बाद मेरी माँ की तबीयत बहुत खराब हो गई। इससे मैं अत्यंत चिन्तित हो उठी और उस परेशानी में रोने लगी। उसी समय नीम करोली बाबा ने मुझे परेशानी से मुक्त किया और बोले, "रो मत, तेरी माँ ठीक हो जायेगी।" इसी प्रकार सन् 1964 में मेरी लड़की अलका की शादी हो रही थी। उस समय भी मैं बड़ी परेशानी में थी, तभी आराध्यदेव श्री महाराज जी बिना किसी पूर्व सूचना के लखनऊ मेरी कोठी में पहुँच गये और लड़की को आशीर्वाद देकर चले गए। मेरी समस्त परेशानियां स्वतः गायब हो गई और विवाह कार्य बहुत सुख और शान्ति से पूर्ण हुआ। श्री बाबा नीम करौली जी महाराज करूणा के सागर और कृपा की मूर्ति है। बाबा अपने भक्तो पर अपनी स्नेहपुर्नत दृष्टि सदैव बनाए रखते है। नीम करोली बाबा तो त्रिकालदर्शी है जो आज भी समा