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Showing posts from January, 2020

देवरहा बाबा ने क्या कहा नीम करोली बाबा के बारें में | Devraha Baba Ne Kya Kaha Neem Karoli Baba Ke Bare Mein

Devraha Baba Ne Kya Kaha नैनीताल के निकट प्रकृति की गोद में बसा एक छोटा सा धाम कैंची धाम जिसकी नींव रखने वाली एक सुप्रसिद्ध विश्वविख्यात संत परम पूज्य श्री नीम करोली बाबा जी थे। नीम करोली बाबा का नाम आज किसी पहचान का मोहताज नहीं है क्योंकि भारत ही नहीं संपूर्ण विश्व में उनके अनगिनत भक्त है जिन्होंने उनके चमत्कारों को न केवल देखा है बल्कि महसूस भी किया है और आज भी उनकी कृपा के पात्र बने हुए हैं।  श्री नीम करोली बाबा आज अपने शरीर को त्याग चुके हैं परंतु वो उनका भौतिक स्वरूप था जिसे उन्होंने त्यागा। आज भी नीम करोली बाबा के ऐसे भक्त हैं जो उनकी कृपा का अनुभव अभी भी उनके शरीर त्यागने के पश्चात भी महसूस कर रहे हैं।  महाराज जी सदैव कहते थे "मैं यही था, यही हूं और यही रहूंगा " नीम करोली बाबा के विषय में तत्कालीन संतों ने बहुत सारी बातें कहीं। किसी ने उनके चमत्कारों का वर्णन किया तो किसी ने उनकी कृपा के प्रसाद के बारे में विस्तार से बताया।   आज हम आपको यह बताएंगे कि नीम करोली बाबा के विषय में परम पूज्य श्री देवराहा बाबा ने क्या कहा क्योंकि तत्कालीन देवराहा बाबा स्वयं अपने आप में ही ए

नीम करोली बाबा की सेवा का अवसर | Neem Karoli Baba Ki Seva Ka Avsar

श्री कैंची धाम में परम पूज्य नीम करोली बाबा जी के निवास के समय उनके सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में असंख्य भक्त बन गए और उनके उपदेशों का अनुसरण करते हुए उनसभी ने परम तत्व को प्राप्त किया। बहुत से भटके हुए भक्तों को बाबा की शरण में आ कर सद्मार्ग दिखाई पड़ा।  नीम करोली बाबा की सेवा का अवसर बहुत सारे भक्त उनकेअनुयाई बन गए और कुछ उनके आशीर्वाद का सहारा ले अपने कर्म को करते हुवे प्रगति के पथ पर अग्रसर हुवे परंतु आज हम आप सभी यह बताने जा रहे हैं कि उनके भक्त सिर्फ उनसे लेना ही नहीं चाहते थे बल्कि बाबा की करुणामय दृष्टि को पाने के लिए प्रत्येक भक्त में इच्छा होती थी कि वह किसी भी रूप में बाबा की सेवा कर सके। बाबा ने सदैव सिर्फ यही कहा कि राम नाम रूपी मंत्र का निरंतर जाप करते रहो। यही मेरी सच्ची सेवा है। फिर भी उनके भक्तो में बाबा की सेवा के प्रति उत्सुकता सदैव बनी ही रहती थी। बाबा के प्रत्येक भक्त स्वयं इस बात की प्रतीक्षा करते थे कि बाबा उन्हें किसी कार्य के संबंध में कोई आदेश दे और वे सभी बाबा की प्रसन्नता के लिए उस कार्य को कर सकें।  जब भी बाबा एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते तो

बांग्लादेश और श्रीलंका में नीम करोली बाबा | Bangladesh aur Sri Lanka Mein Neem Karoli Baba

पंडित गोबिंद बल्लभ पंत और पंडित नारायण दत्त तिवारी  के अनेक किस्से- Baba Neem Karoli  से जुड़े पंडित गोबिंद बल्लभ पंत और पंडित नारायण दत्त तिवारी के अनेक किस्से हैं। इन दोनों परिवारों के लोग आज भी बाबा का आशीर्वाद लेने अक्सर कैंची धाम में हाजिरी लगाते हैं।  चूंकि, आस्था-भक्ति और विश्वास निजी जीवन के अंग हैं। इसलिए इनमें से किसी के अनुभव अपने शब्दों में बताना उचित नहीं है, फिर भी एक छोटी सी घटना के बारे में जिक्र जरूरी है।  पंडित गोबिंद बल्लभ पतं  केंद्रीय मंत्री  थे,  संभवतः गृहमंत्री। उनकी तबियत खराब थी। तभी अचानक खबर आयी कि पंत जी नहीं रहे। बाबा को यह खबर सुनाई तो वो चिल्लाकर बोले- अफवाह है यह। पंत का जीवन अभी शेष है।  नीम करोली बाबा  जी की बात सही निकली।  यूं तो बाबा जी के बहुत से अनसुने किस्से हैं। यहां सिर्फ दो किस्सों का जिक्र किया जा रहा है:- पहला किस्सा  बांग्लादेश का-   बाबा दिल्ली के बिड़ला मंदिर में बनी कुटिया में विश्राम कर रहे थे। उनके पास कुछ बांग्लादेशी मित्र के साथ बाबा के एक भक्त आए।वो बांग्लादेशी बहुत व्याकुल स्थिति में था। इससे पहले कि वो बांग्लादेशी बाबा

बाबा नीम करोरी का कैंची धाम प्रवास | Baba Neem Karori Ka Kainchi Dham Pravas

बाबा नीम करोरी का कैंची धाम प्रवास  | Baba Neem Karori Ka Kainchi Dham Pravas    उत्तराखंड में बाबा नीम करोरी महाराज की कई कथाएं प्रचलित हैं। लोगों के मुताबिक बाबा 1940 के आस-पास उत्तराखंड के प्रवास पर थे। भवाली से कुछ किलोमीटर आगे जाने के बाद बाबा नीम करोली  एक छोटी सी घाटी के पास रुके और सड़क किनारे बनी पैरापट पर बैठ गए। सामने पहाड़ी पर दिखाई दिए एक आदमी को उन्होंने आवाज दी पूरन...ओ पूरन...पूरन यहां आओ। पूरन नीचे आया और कम्बल लपेटे अजनबी से अपना नाम सुनकर अचंभित रह गया। अजनबी व्यक्ति ने मुस्कराते हुए कहा ‘अचरज मत कर , मैं तुझे पिछले कई जन्मों से जानता हूं। मेरा नाम बाबा नीम करोरी हैं। हमें भूख लगी है। हमारे भोजन की व्यवस्था कर’ । पूरन ने घर जाकर अपनी मां से बताया कि नीचे पैरापट पर बाबा नीम करोरी बैठे हैं और भोजन मांग रहे हैं। घर में दाल-रोटी बनी थी। पूरन की मां ने वही परोस दी। बाबा ने भोजन के बाद पूरन से गांव के दो-तीन लोगों को बुलाकर लाने को कहा। बाबा उन सब को लेकर नदी के पार जंगल में गये और उनसे एक जगह खोदने को कहा। बाबा ने कहा- पत्थर को खोदो, यहां गुफा है, गुफा