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Showing posts from October, 2022

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शुक्रवार का देवता कौन है? शुक्रवार का मंत्र क्या है?

शुक्रवार का दिन देवी महालक्ष्मी और शुक्र देव का दिन माना जाता है। शुक्रवार को मां लक्ष्मी की पूजा करने से जीवन में सुख-सुविधा की कमी नहीं रहती। साथ ही, शुक्र ग्रह की शुभता से सौंदर्य में निखार, ऐश्वर्य, कीर्ति और धन-दौलत प्राप्त होती है। Shukrawar ( Friday) Ka Devta शुक्रवार को मां संतोषी की पूजा और व्रत भी किया जाता है। हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, मां संतोषी को भगवान श्री गणेश की पुत्री माना जाता है। मान्यता है कि मां संतोषी की पूजा करने से साधक के जीवन में आ रही तमाम तरह की समस्याएं दूर होती हैं और उसे सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही, जिन्हें संतान सुख प्राप्त नहीं हो पा रहा वो संतान प्राप्ति के लिए इस व्रत को करते हैं। शुक्रवार को वैभव लक्ष्मी व्रत भी रखा जाता है. हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, माता वैभव लक्ष्मी से सुख-समृद्धि और धन-धान्य का आशीर्वाद पाने के लिए शुक्रवार का व्रत सबसे उत्तम उपाय है।  शुक्रवार का नाम शुक्र देवता के नाम पर ही पड़ा है। नॉर्स पौराणिक कथाओं में फ्रिग ओडिन की पत्नी हैं। उन्हें विवाह की देवी माना जाता था। शुक्रवार को किसका व्रत करना चाहिए?

10 बिंदुओं से समझे हनुमान जी को | हनुमान गाथा रहस्य

प्रिय भक्तों, आज हम आप सभी के समक्ष भक्त शिरोमणि श्री हनुमान जी महाराज के जीवन से जुड़े हुए कुछ ऐसे रहस्य से पर्दा उठाएंगे जिनके बारे में विस्तार से शास्त्रों में बताया गया है।  10 बिंदुओं में सम्पूर्ण हनुमान गाथा हनुमान जी महाराज भगवान शिव के 11 वें रुद्र अवतार होने के साथ ही साथ भक्तों की श्रेणी में परम पूज्य हैं और सर्वप्रथम उन्हीं का नाम लिया भी जाता है क्योंकि भक्ति की जो पराकाष्ठा शिव अवतार हनुमान ने प्रस्तुत की वैसा उदाहरण आज तक संसार में कोई प्रस्तुत न कर सका।  1. हनुमानजी का जन्म स्थान : हनुमान जी के जन्म स्थान के विषय में भक्तों में काफी मतभेद हैं और इन्ही मतभेदों के बीच में तीन स्थान मुख्य रूप से प्रकट होते हैं जिन स्थानों पर हनुमान जी के जन्म स्थान होने का दावा किया जाता है।   पहला स्थान हम्पी में है। ऐसा माना जाता है कि हम्पी में शबरी के गुरु मतंग ऋषि के आश्रम में हनुमान जी का जन्म हुआ था कुछ लोगों का मानना है कि हनुमान जी का जन्म हरियाणा के कैथल में हुआ था।  कैथल का ही पौराणिक नाम कपिस्थल था अर्थात यहां के राजा हनुमान जी के पिता महाराज केसरी थे क्योंकि वह