Skip to main content

Most Popular Post

वेद क्या है? वेदों के प्रकार और महत्व क्या है?

वेद, विश्व के सबसे पुराने लिखित धार्मिक दार्शनिक ग्रंथ हैं। वेद शब्द संस्कृत भाषा के 'विद' शब्द से बना है, जिसका मतलब है 'ज्ञान'। वेद, वैदिक साहित्य में सबसे महत्वपूर्ण हैं। 1500 और 500 ईसा पूर्व के बीच वैदिक संस्कृत में रचित, वेद हिंदू धर्म के सबसे पुराने ग्रंथ हैं।  वेद क्या है ? वेद चार हैं: ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद।  वेदों में देवता, ब्रह्मांड, ज्योतिष, गणित, औषधि, विज्ञान, भूगोल, धर्म, संगीत, रीति-रिवाज आदि जैसे कई विषयों का ज्ञान वर्णित है। वेद इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसे किसी मनुष्य द्वारा नहीं बल्कि ईश्वर द्वारा ऋषियों को सुने ज्ञान के आधार पर लिखा गया है. इसलिए भी वेद को 'श्रुति' कहा जाता है।  वेदों को चार प्रमुख ग्रंथों में विभाजित किया गया है और इसमें भजन, पौराणिक वृत्तांत, प्रार्थनाएं, कविताएं और सूत्र शामिल हैं। वेदों के समग्र भाग को मन्त्रसंहिता, ब्राह्मण, आरण्यक, उपनिषद के रूप में भी जाना जाता है। इनमें प्रयुक्त भाषा वैदिक संस्कृत कहलाती है जो लौकिक संस्कृत से कुछ अलग है। वेदों के संपूर्ण ज्ञान को महर्षि कृष्ण द्वैपाय

क्या अंतर है पुजारी, उपासक और भक्त में और क्यों भक्त को सबसे ऊंचा माना गया है?

प्रिय भक्तो आज हम आप सभी को एक पुजारी उपासक और भक्त की परिभाषा अलग -अलग बताएँगे।  हम सभी से कभी न कभी ये प्रश्न कोई भी कर सकता है कि तीनो में क्या भेद होता है परन्तु अग्ज्ञान वश हम इन प्रश्नो का उत्तर देने में असमर्थ हो जाते है। 

भगवन को किसकी पूजा प्रिय है ?

सर्वप्रथम हम सभी को ये समझना चाहिए की पुजारी, उपासक और भक्त, इन तीनो के केंद्र बिंदु में केवल भगवान् ही रहते है। ये सभी लोग अपनी अपनी श्रद्धा और भक्ति के अनुरूप भगवान् को प्रसंन्न करने का प्रयास करते रहते है। अगर हम वेद और शास्त्रों की माने को भगवान् को किसी की पूजा नहीं चाहिए क्योकि भगवान्  अपने भक्तो की सच्ची भक्ति को ही प्रिय मानते है। 
सृष्टिके प्रारम्भ में जब भ्रह्मा ने दुनिया को रचा तब एक प्रजापति भी बनाया गया और उस प्रजापति का नाम दक्ष पड़ा। प्रजापति दक्ष ने मानव सभयता को ४ वर्णो में विभाजित कर दिया : ब्राह्मण,छत्रिय, वैश्य , शूद्र। इन चारो वर्णो में ब्राह्मण को सबसे अधिक सम्मानित और महत्वपूर्ण माना गया है परन्तु शास्त्र हमे इस बात का प्रमाण देते है की कोई प्राणी जो जन्म से ब्राह्मण हो पर कर्म से छत्रिय हो तो उसको छत्रिय हिओ समझना चाहिए। ठीक इसी प्रकार जब कोई छत्रिय या वैश्य  कर्म से ब्राह्मण लगे तो उसको ब्राह्मण ही समझना चाहिए। 

१ ) पुजारी : 

सनातन धर्म में पुजारी उस व्यक्ति विशेष को कहा जाता है जिसे धर्म अनुसार ईश्वर की पूजा -अर्चना करने का संपूर्ण अधिकार प्राप्त होता है। पुजारी मंदिर की समस्त व्यवस्थाओ को संभालकर भगवान् की आरती इत्यादि करते हुवे भक्तो के लिए ईश्वर से जुड़ने का अवसर प्रदान करता है। 
पुजारी वो विशेष व्यक्ति होता है जो संस्कृत में वेद मंत्रो का जाप करते है और ईश्वर को यज्ञ-हवन समर्पित करते हुवे मत्रोच्चारण करके संसार में सकारात्मक ऊर्जा प्रवाहित करते है। 
इन सारे क्रिया-कलापों हुवे पुजारी के मन में केवल एक भाव होता  की ये सब करना उसका धर्म है। 

२) उपासक : 

सनातन धर्म में उपासक उस व्यक्ति को कहते है जो दृढ संकल्प के  साथ भगवान् की आराधना करता रहता है। उपासक व्यक्ति की पूजा उसके स्वार्थ और संकल्प पर तिकी होती है। 
उपासक की पूजा भी भगवान् को प्रिय है क्योकि उपासक भगवान्  की प्राप्ति के लिए पूर्ण समर्पित होता है। उपासक का ध्येय भवान की सेवा  अपने जीवन को व्यतीत करना। 

३)भक्त : 

भक्त तो भगवान को संसार में सबसे अधिक प्रिय होता है क्युकी भगवान केवल भाव के भूखे होते है। भक्ति भी 9 प्रकार की होती है।
संसार में कुछ लोग कामना सहित भक्ति करते है और भगवान उनकी मनोमकामना को पूर्ण करते है परंतु कुछ भक्त ऐसे भी होते है जो निस्वार्थ भाव से भगवान की पूजा करते है। निस्वार्थ भक्ति करने वाले भक्त भगवान को अति प्रिय होते है।
बहुत सारे भक्त सोचते है की भगवान को पूर्ण विधि विधान और पूर्व निर्धारित सामग्रियों के साथ ही प्रसन्न किया जा सकता है परंतु ऐसा नहीं है क्योंकि आपके पास सबकुछ हो , सारे साधन उपलब्ध हो पर हृदय में भक्ति भाव न हो तो सब व्यर्थ हो जाता है।
शास्त्रों में भगवान ने भक्त को अपना ही स्वरूप माना है और बोला है की जो भक्त मुझे जिस रूप में भजता है मैं भी उसे उसी रूप में भजता हूं।
पुराणों में स्पष्ट बताया गया है की भगवान अपने भक्त के हृदय में निवास करते है और सदैव उनकी कृपा दृष्टि अपने भक्तो पर बनी रहती है।

Comments

Popular posts from this blog

Vishnu Sahasranamam Stotram With Hindi Lyrics

Vishnu Sahasranamam Stotram Mahima ॐ  नमो भगवते वासुदेवाय नमः  प्रिय भक्तों विष्णु सहस्त्रनाम भगवान श्री हरि विष्णु अर्थात भगवान नारायण के 1000 नामों की वह श्रृंखला है जिसे जपने मात्र से मानव के समस्त दुख और कष्ट दूर हो जाते हैं और भगवान विष्णु की अगाध कृपा प्राप्त होती है।  विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करने में कोई ज्यादा नियम विधि नहीं है परंतु मन में श्रद्धा और विश्वास अटूट होना चाहिए। भगवान की पूजा करने का एक विधान है कि आपके पास पूजन की सामग्री हो या ना हो पर मन में अपने इष्ट के प्रति अगाध विश्वास और श्रद्धा अवश्य होनी चाहिए।  ठीक उसी प्रकार विष्णु सहस्रनाम का पाठ करते समय आपके हृदय में भगवान श्री विष्णु अर्थात नारायण के प्रति पूर्ण प्रेम श्रद्धा विश्वास और समर्पण भाव का होना अति आवश्यक है। जिस प्रकार की मनो स्थिति में होकर आप विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करेंगे उसी मनो स्तिथि में भगवान विष्णु आपकी पूजा को स्वीकार करके आपके ऊपर अपनी कृपा प्रदान करेंगे।    भगवान विष्णु के सहस्त्र नामों का पाठ करने की महिमा अगाध है। श्रीहरि भगवान विष्णु के 1000 नामों (Vishnu 1000 Names)के स्मरण मात्र से मनु

हनुमान वडवानल स्रोत महिमा - श्री कैंची धाम | Hanuman Vadvanal Stotra Mahima - Shri Kainchi Dham

हनुमान वडवानल स्रोत महिमा - श्री कैंची धाम | Hanuman Vadvanal Stotra Mahima - Shri Kainchi Dham   श्री हनुमान वडवानल स्तोत्र की रचना त्रेतायुग में लंका अधिपति रावण के छोटे भाई विभीषण जी ने की थी। त्रेतायुग से आज तक ये मंत्र अपनी सिद्धता का प्रमाण पग-पग पे देता आ रहा है।  श्री हनुमान वडवानल स्तोत्र के जाप से बड़ी से बड़ी समस्या भी टल जाती है। श्री हनुमान वडवानल स्रोत का प्रयोग अत्यधिक बड़ी समस्या होने पर ही किया जाता है। इसके जाप से बड़ी से बड़ी समस्या भी टल जाती है और सब संकट नष्ट होकर सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।  श्री हनुमान वडवानल स्तोत्र के प्रयोग से शत्रुओं द्वारा किए गए पीड़ा कारक कृत्य अभिचार, तंत्र-मंत्र, बंधन, मारण प्रयोग आदि शांत होते हैं और समस्त प्रकार की बाधाएं समाप्त होती हैं। पाठ करने की विधि शनिवार के दिन शुभ मुहूर्त में इस प्रयोग को आरंभ करें। सुबह स्नान-ध्यान आदि से निवृत्त होकर हनुमानजी की पूजा करें, उन्हें फूल-माला, प्रसाद, जनेऊ आदि अर्पित करें। इसके बाद सरसों के तेल का दीपक जलाकर लगातार 41 दिनों तक 108 बार पाठ करें।

Bajrang Baan Chaupai With Hindi Lyrics

बजरंग बाण की शक्ति: इसके अर्थ और लाभ के लिए एक मार्गदर्शिका क्या आप बजरंग बाण और उसके महत्व के बारे में जानने को उत्सुक हैं? यह व्यापक मार्गदर्शिका आपको इस शक्तिशाली प्रार्थना के पीछे के गहन अर्थ की गहरी समझ प्रदान करेगी। बजरंग बाण का पाठ करने के अविश्वसनीय लाभों की खोज करें और अपने भीतर छिपी शक्ति को उजागर करें। बजरंग बाण को समझना: भगवान हनुमान को समर्पित एक शक्तिशाली हिंदू प्रार्थना, बजरंग बाण की उत्पत्ति और महत्व के बारे में जानें। बजरंग बाण हिंदू धर्म में पूजनीय देवता भगवान हनुमान को समर्पित एक पवित्र प्रार्थना है। यह प्रार्थना अत्यधिक महत्व रखती है और माना जाता है कि इसमें उन लोगों की रक्षा करने और आशीर्वाद देने की शक्ति है जो इसे भक्तिपूर्वक पढ़ते हैं। इस गाइड में, हम बजरंग बाण की उत्पत्ति के बारे में गहराई से जानेंगे और इसके गहरे आध्यात्मिक अर्थ का पता लगाएंगे। इस प्रार्थना के सार को समझकर, आप इसके अविश्वसनीय लाभों का लाभ उठा सकते हैं और इसमें मौजूद परिवर्तनकारी शक्ति का अनुभव कर सकते हैं। बजरंग बाण का पाठ: अधिकतम प्रभावशीलता और आध्यात्मिक लाभ के लिए बजरंग बाण का ज