Neem Karoli Baba Aur Rog Mukti Vaidik Mantra प्रिय भक्तों आज हम आप सभी को ऐसे मंत्र के बारे में बताएंगे जिसका उच्चारण करके आप सभी रोगों से मुक्ति पा सकते हैं। हम सभी के जीवन में अनेकों अनेक रोग कभी न कभी आ ही जाते हैं जिनकी वजह से हम सभी का जीवन हस्त व्यस्त हो जाता है। परम पूज्य श्री नीम करोली बाबा की कृपा से और हनुमान जी के आशीर्वाद से हम सभी को बाबा जी का सानिध्य प्राप्त हुआ और बाबा जी के सानिध्य में रहकर हम सभी ने राम नाम रूपी मंत्र को जाना जिसके उच्चारण मात्र से हम सभी को प्रभु श्री राम के साथ-साथ हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है। बाबा जी के दिशा निर्देशों के अनुसार हम सभी अपने जीवन की मोह माया से मुक्ति पा सकते हैं। यूं तो जब तक जीवन है तब तक माया से मुक्ति पाना संभव नहीं हो पता परंतु गृहस्थ जीवन में रहकर भी एक सन्यासी का जीवन जीना सहज हो सकता है यदि हम ईश्वर में अपने मन को रमाने का प्रयास करें और अपने कर्म पर ध्यान दे क्योंकि गीता में भी भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि कर्म ही प्रधान है। यदि हम बिना किसी लोभ के, बिना किसी आशा के, बिना ये सोचे कि यह पुण्य है या पाप केवल ...
नीम करोली बाबा के समकालीन संत लाहरी महाशय और श्री राम ठाकुर की कथा
एक बार लाहड़ी महासय के घर वाराणसी मे एक ब्राह्मण भक्त जो श्री लाहड़ी जी के भक्त थे जो लाहड़ी महासय पास में बैठे थे। वहां एक निम्न जाति का जल भरने का काम करने वाला व्यक्ति भी महाशय के पास आता था। जो आज महासय के सामने बैठ गया। ब्राह्मण जी को यह बात सही नही लगी और उन्होंने उसे डांटते हुए पीछे बैठने को कहा।इस पर श्री लाहड़ी जी ने साधना से उठ कर अपना स्थान छोड़ कर ब्राह्मण जी को गुस्से से देखा। साथ ही उस निम्न जाति के व्यक्ति से कहा तुम हमारे स्थान पर बैठो। हम नीचे बैठ जायेंगे।व्यक्ति ने सोचा कि लाहड़ी जी नाराज हो गए और वे मजाक में हमे ऐसा करने को कह रहे है। वह क्षमा मांगने लगा। किन्तु लाहड़ी जी ने उसे कहा हम चाहते है कि तुम्हे उच्च स्थान मिले। ताकि आगे से तुम्हारा कोई अपमान न करे। जाओ बैठो। सभी को लाहड़ी जी की बात समझ में आगई।
एक बार संत श्री राम ठाकुर के आश्रम में सत्संग चल रहा था । बाहर एक मुस्लिम प्रसाद लिए खड़ा था। श्री राम ठाकुर के एक भक्त ने उससे पूछा यहां क्या कर रहे हो।अंदर चलो वह बोला वह मुस्लिम है ठाकुर को प्रसाद भेंट करना चाहता है। आप यह बाबा तक पहुचा दें। ठाकुर जी के भक्त ने प्रसाद लिया और अंदर ले गए। जब वह दोनों अंदर गए तो ठाकुर जी ने बड़े प्रेम से प्रसाद ग्रहण किया और उस मुस्लिम भक्त से सभी के सामने पूछा । तुम मेरे लिए इतने भाव से प्रसाद लाये हो। तुम्हारे ख्वाजा मौलवी क्या कहे गे वो डांटे गे। तो वह बोला खुदा सब जानते है, आप से भी कुछ छिपा नही। हमे किसी का डर नही। बस बात सिर्फ इतनी ही है की भक्ति सिर्फ सरल हृदय और भेद भाव रहित व्यक्ति ही कर सकता है। बाकी दिखावा तो हर एक व्यक्ति कर सकता है।
एक बार संत श्री राम ठाकुर के आश्रम में सत्संग चल रहा था । बाहर एक मुस्लिम प्रसाद लिए खड़ा था। श्री राम ठाकुर के एक भक्त ने उससे पूछा यहां क्या कर रहे हो।अंदर चलो वह बोला वह मुस्लिम है ठाकुर को प्रसाद भेंट करना चाहता है। आप यह बाबा तक पहुचा दें। ठाकुर जी के भक्त ने प्रसाद लिया और अंदर ले गए। जब वह दोनों अंदर गए तो ठाकुर जी ने बड़े प्रेम से प्रसाद ग्रहण किया और उस मुस्लिम भक्त से सभी के सामने पूछा । तुम मेरे लिए इतने भाव से प्रसाद लाये हो। तुम्हारे ख्वाजा मौलवी क्या कहे गे वो डांटे गे। तो वह बोला खुदा सब जानते है, आप से भी कुछ छिपा नही। हमे किसी का डर नही। बस बात सिर्फ इतनी ही है की भक्ति सिर्फ सरल हृदय और भेद भाव रहित व्यक्ति ही कर सकता है। बाकी दिखावा तो हर एक व्यक्ति कर सकता है।
निष्कर्ष:
इन दोनों ही दिव्य घटनाओं से यह साबित होता है कि दिव्य विभूति या दिव्य संत कभी भी आमजन में भेदभाव नहीं करते। उनके लिए प्रत्येक प्राणी, प्रत्येक साधक समान भाव का होता है और वह अपनी करुणा प्रत्येक प्राणी पर समान भाव से वितरित करते रहते हैं और सबका कल्याण करते हैं।
Comments
Post a Comment
Please do not enter any spam link in a comment box.