Neem Karoli Baba Aur Rog Mukti Vaidik Mantra प्रिय भक्तों आज हम आप सभी को ऐसे मंत्र के बारे में बताएंगे जिसका उच्चारण करके आप सभी रोगों से मुक्ति पा सकते हैं। हम सभी के जीवन में अनेकों अनेक रोग कभी न कभी आ ही जाते हैं जिनकी वजह से हम सभी का जीवन हस्त व्यस्त हो जाता है। परम पूज्य श्री नीम करोली बाबा की कृपा से और हनुमान जी के आशीर्वाद से हम सभी को बाबा जी का सानिध्य प्राप्त हुआ और बाबा जी के सानिध्य में रहकर हम सभी ने राम नाम रूपी मंत्र को जाना जिसके उच्चारण मात्र से हम सभी को प्रभु श्री राम के साथ-साथ हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है। बाबा जी के दिशा निर्देशों के अनुसार हम सभी अपने जीवन की मोह माया से मुक्ति पा सकते हैं। यूं तो जब तक जीवन है तब तक माया से मुक्ति पाना संभव नहीं हो पता परंतु गृहस्थ जीवन में रहकर भी एक सन्यासी का जीवन जीना सहज हो सकता है यदि हम ईश्वर में अपने मन को रमाने का प्रयास करें और अपने कर्म पर ध्यान दे क्योंकि गीता में भी भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि कर्म ही प्रधान है। यदि हम बिना किसी लोभ के, बिना किसी आशा के, बिना ये सोचे कि यह पुण्य है या पाप केवल ...
वेद दुनिया के सबसे पुराने लिखित धार्मिक और दार्शनिक ग्रंथ हैं। 'वेद' शब्द संस्कृत के शब्द 'विद्' से लिया गया है, जिसका अर्थ है 'ज्ञान'। वैदिक साहित्य में वेद सबसे महत्वपूर्ण हैं। 1500 से 500 ईसा पूर्व के बीच वैदिक संस्कृत में रचित, वेद हिंदू धर्म के सबसे पुराने ग्रंथ हैं। वेद क्या है ? वेद चार हैं: ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद। वेदों में देवता, ब्रह्मांड, ज्योतिष, गणित, चिकित्सा, विज्ञान, भूगोल, धर्म, संगीत, रीति-रिवाज और परंपराओं जैसे कई विषयों का ज्ञान समाहित है। वेदों का महत्व इस बात में निहित है कि इन्हें किसी मनुष्य ने नहीं लिखा बल्कि ईश्वर द्वारा ऋषियों को ईश्वरीय ज्ञान के आधार पर दिया गया। यही कारण है कि वेदों को 'श्रुति' भी कहा जाता है। वेदों के सम्पूर्ण ज्ञान को महर्षि कृष्ण द्वैपायन ने चार भागों में विभाजित किया था, जिन्हें ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद के नाम से जाना जाता है। इन्हें वेदव्यास के नाम से भी जाना जाता है। वेदों में ऋषियों की तपस्या और ज्ञान समाहित है, जिसे उन्होंने अपने शिष्यों को प्रदान किया। इसी तरह पीढ...