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Showing posts from September, 2024

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नीम करोली बाबा ने बताया बीमारियों से मुक्ति पाने का मंत्र

Neem Karoli Baba Aur Rog Mukti Vaidik Mantra प्रिय भक्तों आज हम आप सभी को ऐसे मंत्र के बारे में बताएंगे जिसका उच्चारण करके आप सभी रोगों से मुक्ति पा सकते हैं। हम सभी के जीवन में अनेकों अनेक रोग कभी न कभी आ ही जाते हैं जिनकी वजह से हम सभी का जीवन हस्त व्यस्त हो जाता है। परम पूज्य श्री नीम करोली बाबा की कृपा से और हनुमान जी के आशीर्वाद से हम सभी को बाबा जी का सानिध्य प्राप्त हुआ और बाबा जी के सानिध्य में रहकर हम सभी ने राम नाम रूपी मंत्र को जाना जिसके उच्चारण मात्र से हम सभी को प्रभु श्री राम के साथ-साथ हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है। बाबा जी के दिशा निर्देशों के अनुसार हम सभी अपने जीवन की मोह माया से मुक्ति पा सकते हैं। यूं तो जब तक जीवन है तब तक माया से मुक्ति पाना संभव नहीं हो पता परंतु गृहस्थ जीवन में रहकर भी एक सन्यासी का जीवन जीना सहज हो सकता है यदि हम ईश्वर में अपने मन को रमाने का प्रयास करें और अपने कर्म पर ध्यान दे क्योंकि गीता में भी भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि कर्म ही प्रधान है। यदि हम बिना किसी लोभ के, बिना किसी आशा के, बिना ये सोचे कि यह पुण्य है या पाप केवल ...

Bhado ki parivartani ekadashi ki Mahatma katha | Bhado Vaman Ekadashi Katha

॥ अथ वामन (परिवर्तिनी ) एकादशी माहात्म्य ॥ धर्मराज युधिष्ठिर बोले कि हे भगवान् ! भादों की शुक्लपक्ष की एकादशी का नाम तथा विधि क्या है। उस एकादशी के व्रत को करने से कौन सा फल मिलता है तथा उसका उपदेश कौन सा है? सो सब कहिए। श्रीकृष्ण भगवान बोले कि हे राजश्रेष्ठ ! अब मैं अनेक पाप नष्ट करने वाली तथा अन्त में स्वर्ग देने वाली भादों की शुक्लपक्ष की वामन नाम की एकादशी की कथा कहता हूँ। इस एकादशी को जयन्ती एकादशी भी कहते हैं। इस एकादशी की कथा के सुनने मात्र से ही समस्त पापों का नाश हो जाता है। इस एकादशी के व्रत का फल वाजपेय यज्ञ के फल से भी अधिक है। इस जयंती एकादशी की कथा से नीच पापियों का उद्धार हो जाता है। यदि कोई धर्म परायण मनुष्य एकादशी के दिन मेरी पूजा करता है तो मैं उसे संसार की पूजा का फल देता हूँ। जो मनुष्य मेरी पूजा करता है उसे मेरे लोक की प्राप्ति होती है। इस में किंचित मात्र भी संदेह नहीं। जो मनुष्य इस एकादशी के दिन श्री वामन भगवान की पूजा करता है वह तीनों देवता अर्थात् ब्रह्मा, विष्णु, महेश की पूजा करता है। जो मनुष्य इस एकादशी का व्रत करते हैं उन्हें इस संसार में कुछ भी क...

Devi Saraswati: Gyan aur Kala Ki Avtar

देवी सरस्वती परिचय देवी सरस्वती, हिंदू पौराणिक कथाओं में पूजनीय हैं। वे ज्ञान, संगीत, कला, बुद्धि और शिक्षा की देवी हैं। वे लक्ष्मी और पार्वती के साथ त्रिदेवियों में से एक हैं, और अपने शांत और शुद्ध आचरण के लिए प्रसिद्ध हैं। सरस्वती को अक्सर सफेद पोशाक में दर्शाया जाता है, जो पवित्रता और ज्ञान का प्रतीक है। ऐतिहासिक महत्व सरस्वती की उत्पत्ति ऋग्वेद में देखी जा सकती है, जहाँ उनका उल्लेख नदी देवी के रूप में किया गया है। समय के साथ, उनका महत्व विकसित हुआ, और वे ज्ञान और शिक्षा की देवी बन गईं। सरस्वती नदी के साथ उनका जुड़ाव जीवन और ज्ञान के पोषण में उनकी भूमिका को उजागर करता है। प्रतीकवाद और प्रतिमा विज्ञान सरस्वती को आम तौर पर चार भुजाओं के साथ दर्शाया जाता है, जिसमें एक पुस्तक, एक माला, एक जल पात्र और एक वीणा होती है। इनमें से प्रत्येक वस्तु ज्ञान और रचनात्मकता के विभिन्न पहलुओं का प्रतीक है: पुस्तक: ज्ञान और शिक्षा का प्रतिनिधित्व करती है। माला: आध्यात्मिक ज्ञान और ध्यान का प्रतीक है। जल पात्र: पवित्रता और शुद्ध करने की शक्ति को दर्शाता है। वीणा: कला, विशेष रूप से संगीत ...