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मंगलवार का देवता कौन है? | मंगलवार को कौन सा मंत्र पढ़ना चाहिए?

शास्त्रों के मुताबिक, मंगलवार का दिन भगवान गणेश, भगवान हनुमान, और देवी दुर्गा और काली को समर्पित है। मंगलवार को बजरंगबली का दिन माना जाता है। इस दिन बजरंगबली की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। मंगलवार की पूजा मंगलवार को हनुमान जी की पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है। हनुमान जी को शक्ति, बल, साहस और संकट मोचन का देवता माना जाता है। माना जाता है कि मंगलवार के दिन अगर सच्चे मन और पूरी श्रद्धा के साथ हनुमान जी की पूजा की जाए तो व्यक्ति को हर संकट से मुक्ति मिल जाती है। शास्त्रों के मुताबिक, मंगलवार के दिन देवी पूजा के लिए पंचमेवा, मिष्ठान, फल, लाल रंग के पुष्प और माला, कलावा, दिया, बाती, रोली, सिंदूर, पानी वाला नारियल, अक्षत, लाल कपड़ा, पूजा वाली सुपारी, लौंग, पान के पत्ते, गाय का घी, कलश, आम का पत्ता, कमल गट्टा, समिधा, लाल चंदन, जौ, तिल, सोलह श्रृंगार का सामान आदि रखना चाहिए।  मंगलवार को व्रत रखने से कुंडली में मंगल दोष से मुक्ति भी मिल सकती है। मंगलवार के दिन में क्या खास है? मंगलवार का दिन हनुमान जी को समर्पित है. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, मंगलवार के दिन ही बजरं

नीम करोली बाबा की सेवा का अवसर | Neem Karoli Baba Ki Seva Ka Avsar

श्री कैंची धाम में परम पूज्य नीम करोली बाबा जी के निवास के समय उनके सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में असंख्य भक्त बन गए और उनके उपदेशों का अनुसरण करते हुए उनसभी ने परम तत्व को प्राप्त किया। बहुत से भटके हुए भक्तों को बाबा की शरण में आ कर सद्मार्ग दिखाई पड़ा। 

नीम करोली बाबा की सेवा का अवसर

बहुत सारे भक्त उनकेअनुयाई बन गए और कुछ उनके आशीर्वाद का सहारा ले अपने कर्म को करते हुवे प्रगति के पथ पर अग्रसर हुवे परंतु आज हम आप सभी यह बताने जा रहे हैं कि उनके भक्त सिर्फ उनसे लेना ही नहीं चाहते थे बल्कि बाबा की करुणामय दृष्टि को पाने के लिए प्रत्येक भक्त में इच्छा होती थी कि वह किसी भी रूप में बाबा की सेवा कर सके। बाबा ने सदैव सिर्फ यही कहा कि राम नाम रूपी मंत्र का निरंतर जाप करते रहो। यही मेरी सच्ची सेवा है। फिर भी उनके भक्तो में बाबा की सेवा के प्रति उत्सुकता सदैव बनी ही रहती थी। बाबा के प्रत्येक भक्त स्वयं इस बात की प्रतीक्षा करते थे कि बाबा उन्हें किसी कार्य के संबंध में कोई आदेश दे और वे सभी बाबा की प्रसन्नता के लिए उस कार्य को कर सकें। 
जब भी बाबा एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते तो भक्तजन अपनी अपनी ओर से सेवा में उधत हो जाते । कोई उनकी ग़ाडी में पैट्रोल भरवाता तो कोई उनके साथ के भक्तों के लिये प्रथम श्रेणी के टिकट ख़रीदता । एक बार इलहाबाद के एक भक्त के मन में यही चाह पैदा हूई । जब बाबा इलहाबाद जाने के लिये उधत हूये तो वो इलाहबादी भक्त टिकटों के लिये रूपये जेब में रखकर उनके पीछे पीछे चलते रहे और संकोचवश पूछ नहीं पा रहे थे कि टिकट मैं ले आयूँ । अचानक बाबा उनकी ओर मुड़कर बोले," जेब में नोट लिये फिर रहा है , टिकट क्यों नहीं लाता ।" 

वो इलाहबादी भक्त हैरान होकर ख़ुशी से टिकट लेने भागे और सोच रहे बाबा तो अन्तर्यामी है , सब मन की जान लेते है । इस घटना से ये विदित होता है की बाबा सर्वयापी है , बाबा अन्तर्यामी है। उनसे कुछ नहीं छिपा है। इस कलयुग में बाबा साक्षात् भगवान् के जीवंत अवतार के रूप में प्रकट हुवे और आज तक अपनी समाधी के उपरान्त भी नीम करोली बाबा की कृपा सभी भक्तो पर निरंतर बरस रही है। 
आलौकिक यथार्थ

सारांश: 

आज की कथा से हम यह समझ सकते हैं कि बाबा की कृपा का कोई अंत नहीं है। बाबा अंतर्यामी थे। यही कारण है कि अपने भक्तों के मन की इच्छाओं को जानकर उसके अनुरूप ही बाबा अपने आदेश, अपने कार्य किया करते थे। जो भी भक्त उनके करीब आते चले जाते थे, बाबा उनके हृदय की हर इच्छा को पूरी कर उनपर अपनी करुणा बरसाने लगते थे। एक सच्चे संत की यही निशानी होती है कि वह अपने भक्तों में समा जाता है और उनके हृदय में नित्य निवास करने लगता है। 

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Vishnu Sahasranamam Stotram Mahima ॐ  नमो भगवते वासुदेवाय नमः  प्रिय भक्तों विष्णु सहस्त्रनाम भगवान श्री हरि विष्णु अर्थात भगवान नारायण के 1000 नामों की वह श्रृंखला है जिसे जपने मात्र से मानव के समस्त दुख और कष्ट दूर हो जाते हैं और भगवान विष्णु की अगाध कृपा प्राप्त होती है।  विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करने में कोई ज्यादा नियम विधि नहीं है परंतु मन में श्रद्धा और विश्वास अटूट होना चाहिए। भगवान की पूजा करने का एक विधान है कि आपके पास पूजन की सामग्री हो या ना हो पर मन में अपने इष्ट के प्रति अगाध विश्वास और श्रद्धा अवश्य होनी चाहिए।  ठीक उसी प्रकार विष्णु सहस्रनाम का पाठ करते समय आपके हृदय में भगवान श्री विष्णु अर्थात नारायण के प्रति पूर्ण प्रेम श्रद्धा विश्वास और समर्पण भाव का होना अति आवश्यक है। जिस प्रकार की मनो स्थिति में होकर आप विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करेंगे उसी मनो स्तिथि में भगवान विष्णु आपकी पूजा को स्वीकार करके आपके ऊपर अपनी कृपा प्रदान करेंगे।    भगवान विष्णु के सहस्त्र नामों का पाठ करने की महिमा अगाध है। श्रीहरि भगवान विष्णु के 1000 नामों (Vishnu 1000 Names)के स्मरण मात्र से मनु

हनुमान वडवानल स्रोत महिमा - श्री कैंची धाम | Hanuman Vadvanal Stotra Mahima - Shri Kainchi Dham

हनुमान वडवानल स्रोत महिमा - श्री कैंची धाम | Hanuman Vadvanal Stotra Mahima - Shri Kainchi Dham   श्री हनुमान वडवानल स्तोत्र की रचना त्रेतायुग में लंका अधिपति रावण के छोटे भाई विभीषण जी ने की थी। त्रेतायुग से आज तक ये मंत्र अपनी सिद्धता का प्रमाण पग-पग पे देता आ रहा है।  श्री हनुमान वडवानल स्तोत्र के जाप से बड़ी से बड़ी समस्या भी टल जाती है। श्री हनुमान वडवानल स्रोत का प्रयोग अत्यधिक बड़ी समस्या होने पर ही किया जाता है। इसके जाप से बड़ी से बड़ी समस्या भी टल जाती है और सब संकट नष्ट होकर सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।  श्री हनुमान वडवानल स्तोत्र के प्रयोग से शत्रुओं द्वारा किए गए पीड़ा कारक कृत्य अभिचार, तंत्र-मंत्र, बंधन, मारण प्रयोग आदि शांत होते हैं और समस्त प्रकार की बाधाएं समाप्त होती हैं। पाठ करने की विधि शनिवार के दिन शुभ मुहूर्त में इस प्रयोग को आरंभ करें। सुबह स्नान-ध्यान आदि से निवृत्त होकर हनुमानजी की पूजा करें, उन्हें फूल-माला, प्रसाद, जनेऊ आदि अर्पित करें। इसके बाद सरसों के तेल का दीपक जलाकर लगातार 41 दिनों तक 108 बार पाठ करें।

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