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शुक्रवार का देवता कौन है? शुक्रवार का मंत्र क्या है?

शुक्रवार का दिन देवी महालक्ष्मी और शुक्र देव का दिन माना जाता है। शुक्रवार को मां लक्ष्मी की पूजा करने से जीवन में सुख-सुविधा की कमी नहीं रहती। साथ ही, शुक्र ग्रह की शुभता से सौंदर्य में निखार, ऐश्वर्य, कीर्ति और धन-दौलत प्राप्त होती है। Shukrawar ( Friday) Ka Devta शुक्रवार को मां संतोषी की पूजा और व्रत भी किया जाता है। हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, मां संतोषी को भगवान श्री गणेश की पुत्री माना जाता है। मान्यता है कि मां संतोषी की पूजा करने से साधक के जीवन में आ रही तमाम तरह की समस्याएं दूर होती हैं और उसे सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही, जिन्हें संतान सुख प्राप्त नहीं हो पा रहा वो संतान प्राप्ति के लिए इस व्रत को करते हैं। शुक्रवार को वैभव लक्ष्मी व्रत भी रखा जाता है. हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, माता वैभव लक्ष्मी से सुख-समृद्धि और धन-धान्य का आशीर्वाद पाने के लिए शुक्रवार का व्रत सबसे उत्तम उपाय है।  शुक्रवार का नाम शुक्र देवता के नाम पर ही पड़ा है। नॉर्स पौराणिक कथाओं में फ्रिग ओडिन की पत्नी हैं। उन्हें विवाह की देवी माना जाता था। शुक्रवार को किसका व्रत करना चाहिए?

बांग्लादेश और श्रीलंका में नीम करोली बाबा | Bangladesh aur Sri Lanka Mein Neem Karoli Baba

पंडित गोबिंद बल्लभ पंत और पंडित नारायण दत्त तिवारी के अनेक किस्से-
Baba Neem Karoli से जुड़े पंडित गोबिंद बल्लभ पंत और पंडित नारायण दत्त तिवारी के अनेक किस्से हैं। इन दोनों परिवारों के लोग आज भी बाबा का आशीर्वाद लेने अक्सर कैंची धाम में हाजिरी लगाते हैं।  चूंकि, आस्था-भक्ति और विश्वास निजी जीवन के अंग हैं। इसलिए इनमें से किसी के अनुभव अपने शब्दों में बताना उचित नहीं है, फिर भी एक छोटी सी घटना के बारे में जिक्र जरूरी है। पंडित गोबिंद बल्लभ पतं केंद्रीय मंत्री थे, संभवतः गृहमंत्री। उनकी तबियत खराब थी। तभी अचानक खबर आयी कि पंत जी नहीं रहे। बाबा को यह खबर सुनाई तो वो चिल्लाकर बोले- अफवाह है यह। पंत का जीवन अभी शेष है। नीम करोली बाबा जी की बात सही निकली। 
यूं तो बाबा जी के बहुत से अनसुने किस्से हैं। यहां सिर्फ दो किस्सों का जिक्र किया जा रहा है:-
पहला किस्सा बांग्लादेश का- बाबा दिल्ली के बिड़ला मंदिर में बनी कुटिया में विश्राम कर रहे थे। उनके पास कुछ बांग्लादेशी मित्र के साथ बाबा के एक भक्त आए।वो बांग्लादेशी बहुत व्याकुल स्थिति में था। इससे पहले कि वो बांग्लादेशी बाबा को अपनी समस्या बताता, बाबा ने उससे कहा तुम्हारा भाई – दुश्मनों की कैद से जल्दी बाहर आयेगा। वो देश का शहंशाह बनेगा और इतना कह कर बाबा बोले जाओ अब तुम्हें अपना समय भाई की अगवानी की तैयारियों में लगाना है। 
उस समय के हालात में उस शख्स को यह सब मुमकिन नहीं लग रहा था।  ऐसा कैसे होगा, कब होगा तमाम तरह के सवाल उसके मन में थे क्योंकि उसका भाई पाकिस्तान के मियांवाली जेल की काल कोठरी में था और सरकार ने उसे सजा-ए-मौत ऐलान कर दिया था लेकिन बाबा ने उसे आगे सवाल पूछने का मौका नहीं दिया और बाहर जाने का इशारा कर दिया। 
क्या आप जानते हैं बाबा से सवाल करने वाला वो शख्स कौन था, वो आजाद बांग्लादेश के पहले राष्ट्रपति शेख मुजीबुर्रहमान के छोटे भाई थे। 
दूसरा किस्सा श्रीलंका से जुड़ा है-
बाबा शिवानंद के शिष्य निर्मलानंद कैंची धाम पहुंचे। बाबा का दरबार लगा हुआ था। बाबा ने निर्मलानंद से पूछा, तुमने कैंची जैसा कोई और स्थान देखा है? निर्मलानंद के मुंह से बेसाख्ता निकला- श्रीलंका का कैंडी। कैंची आश्रम की तरह वहां माणिक गंगा प्रवाहित होती है। बाबा ने फिर पूछा- क्यों निर्मलानंद वहां नारियल के बड़े-बड़े पेड़ हैं और माणिक गंगा में हाथी स्नान के लिए आते हैं। अवाक खड़े निर्मलानंद बोले- जी महाराज। जबकि, बाबा नीम करोरी महाराज, (उपलब्ध जानकारी के अनुसार) कभी श्रीलंका नहीं गये। 
जय श्री कैंची धाम 
जय श्री Neem Karoli Baba 

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Vishnu Sahasranamam Stotram With Hindi Lyrics

Vishnu Sahasranamam Stotram Mahima ॐ  नमो भगवते वासुदेवाय नमः  प्रिय भक्तों विष्णु सहस्त्रनाम भगवान श्री हरि विष्णु अर्थात भगवान नारायण के 1000 नामों की वह श्रृंखला है जिसे जपने मात्र से मानव के समस्त दुख और कष्ट दूर हो जाते हैं और भगवान विष्णु की अगाध कृपा प्राप्त होती है।  विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करने में कोई ज्यादा नियम विधि नहीं है परंतु मन में श्रद्धा और विश्वास अटूट होना चाहिए। भगवान की पूजा करने का एक विधान है कि आपके पास पूजन की सामग्री हो या ना हो पर मन में अपने इष्ट के प्रति अगाध विश्वास और श्रद्धा अवश्य होनी चाहिए।  ठीक उसी प्रकार विष्णु सहस्रनाम का पाठ करते समय आपके हृदय में भगवान श्री विष्णु अर्थात नारायण के प्रति पूर्ण प्रेम श्रद्धा विश्वास और समर्पण भाव का होना अति आवश्यक है। जिस प्रकार की मनो स्थिति में होकर आप विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करेंगे उसी मनो स्तिथि में भगवान विष्णु आपकी पूजा को स्वीकार करके आपके ऊपर अपनी कृपा प्रदान करेंगे।    भगवान विष्णु के सहस्त्र नामों का पाठ करने की महिमा अगाध है। श्रीहरि भगवान विष्णु के 1000 नामों (Vishnu 1000 Names)के स्मरण मात्र से मनु

हनुमान वडवानल स्रोत महिमा - श्री कैंची धाम | Hanuman Vadvanal Stotra Mahima - Shri Kainchi Dham

हनुमान वडवानल स्रोत महिमा - श्री कैंची धाम | Hanuman Vadvanal Stotra Mahima - Shri Kainchi Dham   श्री हनुमान वडवानल स्तोत्र की रचना त्रेतायुग में लंका अधिपति रावण के छोटे भाई विभीषण जी ने की थी। त्रेतायुग से आज तक ये मंत्र अपनी सिद्धता का प्रमाण पग-पग पे देता आ रहा है।  श्री हनुमान वडवानल स्तोत्र के जाप से बड़ी से बड़ी समस्या भी टल जाती है। श्री हनुमान वडवानल स्रोत का प्रयोग अत्यधिक बड़ी समस्या होने पर ही किया जाता है। इसके जाप से बड़ी से बड़ी समस्या भी टल जाती है और सब संकट नष्ट होकर सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।  श्री हनुमान वडवानल स्तोत्र के प्रयोग से शत्रुओं द्वारा किए गए पीड़ा कारक कृत्य अभिचार, तंत्र-मंत्र, बंधन, मारण प्रयोग आदि शांत होते हैं और समस्त प्रकार की बाधाएं समाप्त होती हैं। पाठ करने की विधि शनिवार के दिन शुभ मुहूर्त में इस प्रयोग को आरंभ करें। सुबह स्नान-ध्यान आदि से निवृत्त होकर हनुमानजी की पूजा करें, उन्हें फूल-माला, प्रसाद, जनेऊ आदि अर्पित करें। इसके बाद सरसों के तेल का दीपक जलाकर लगातार 41 दिनों तक 108 बार पाठ करें।

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