परम पूज्य नीम करोली बाबा को आज किसी परिचय की आवश्यकता नहीं। अपने प्रत्येक भक्त के हृदय में बाबा आज भी सजीव रूप में विराजमान है और अपने भक्तों का कल्याण करते जा रहे हैं। बाबा ने अपने प्रत्येक भक्त को राम नाम का मंत्र दिया और सबको श्री हनुमान जी की शरण में भेजते रहे। बाबा ने कभी भी अपने भक्तों में किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया अर्थात उनके लिए जात-पात ऊंच-नीचे का कोई महत्व नहीं था। वे समस्त संसार के समस्त प्राणियों में ईश्वर को ही देखते थे और सदैव उनके उपदेशों में यही व्याख्या मिलती थी कि संसार के प्रत्येक जीव में ईश्वर का ही वास है। अतः उन्होंने कभी भी किसी भी वर्ग के प्राणी में कोई भेदभाव नहीं किया और सबको समान रूप से करुणामई दृष्टि से देखते रहे।
Neem Karoli Baba Ki Roti
वे मना नहीं कर सके किन्तु उस रोटी को खाने में जो अरुचि थी वह उनके चेहरे पर दिख रही थी। सभी भक्त समझ गए कि बाबा जी की भक्ति बिना भेद भाव के ही होनी चाहिए।
बाबा नीम करोली ने अपने सभी भक्तो को ये मूक उपदेश दिया की अति -धर्म का भेद भाव उनकी भक्ति में कोई स्थान नहीं रखता है। neem karoli baba अपने हर भक्त को सामान दृष्टि से देखते थे। उनकी कृपा का प्रसाद उनके हर भक्त को समान रूप से प्राप्त होता था। महाराज जी सदैव बोलते थे की केवल ईश्वर का प्रेम ही सत्य है ,बाकी सब असत्य है अर्थात अब ईश्वर ने अपनी प्राकृतिक सम्पदा तुम सब में सामान रूप से बाटी कोई भेद-भाव नहीं किआ तब तुम मनुष्य होकर भेद-भाव की दृष्टि क्यों रखते हो।
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