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नीम करोली बाबा ने बताया ध्यान किसको करना चाहिए | Neem karoli baba ne bataya dhyan kisko karna chahiye
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नीम करोली बाबा ने बताया ध्यान किसको करना चाहिए | Neem karoli baba ne bataya dhyan kisko karna chahiye
योग और ध्यान को Neem karoli Baba अत्यंत महत्वपूर्ण मानते थे। वे ये कहते थे की योग और ध्यान से मनुष्य खुद को पहचान सकता है और आत्मानंद की अनुभूति कर सकता है। ध्यान को बाबा अवश्य महत्वपूर्ण बताते थे पर जब कोई व्यक्ति उनके पास बैठ कर ध्यान लगाता तो वे तुरंत उसके ध्यान को तोड देते। लोग उनके पाद-पधो को हाथ मे लेकर ध्यान लगाने की चेष्टा करते तो कभी बाबा अपना पैर हटा लेते तो कभी वे कोई प्रशन कर देते।
बाबा सब की क्षमता को जानते थे। इसी सदर्भ में Baba Neem Karoli एक बार बोले , "" मस्तिषक की सीमा होती है! तुम शरीरस्थ हो ! ये चीजे धीरे धीरे प्राप्त करने की है , ऐसा न करने से पागल भी हो सकते है ! यह सत्य हैै कि एकाग्र मन ही अन्तदृष्टि प्रदान करता है और यही आत्म- दर्शन है ! पर ईश्वर स्मरण और लोगो की सेवा करने वालो को ध्यान और पूजा की आवशकता नही है ! यह सरलतम साधन है !""
बाबा ने अपने सदुपदेशों के माध्यम से स्पस्ट बताने का प्रयास किया की जो प्राणी ईश्वर के नाम का निरंतर स्मरण करता रहता है और हर प्राणी की सेवा ये सोच कर करता है की हर प्राणी में ईश्वर का निवास है , ऐसे प्राणी को किसी ध्यान की आवश्यकता नहीं होती क्योकि ऐसा मनुष्य ईश्वर के सबसे निकट होता है।
नीम करोली बाबा द्वारा दिखाए गए सममार्ग पे चल कर अनगिनत भक्तो का बेडा पार लग चुका है और अनगिनत भक्त बाबा के समाधिस्त होने के बाद भी उनकी कृपा और उनके चमत्कारों को प्रत्यक्ष रूप से महसूस करते है।
बाबा पर भरोसा और विश्वास ही एक मात्र सहारा है आज के इस स्वार्थी संसार में।
आप सभी को आज का ये लेख कैसा लगा कृपया कर कमेंट सेक्शन में जरूर बताये। नीम करोली बाबा की कृपा आप सभी पर बानी रहे।
जय श्री कैंची धाम
योग और ध्यान को Neem karoli Baba अत्यंत महत्वपूर्ण मानते थे। वे ये कहते थे की योग और ध्यान से मनुष्य खुद को पहचान सकता है और आत्मानंद की अनुभूति कर सकता है। ध्यान को बाबा अवश्य महत्वपूर्ण बताते थे पर जब कोई व्यक्ति उनके पास बैठ कर ध्यान लगाता तो वे तुरंत उसके ध्यान को तोड देते। लोग उनके पाद-पधो को हाथ मे लेकर ध्यान लगाने की चेष्टा करते तो कभी बाबा अपना पैर हटा लेते तो कभी वे कोई प्रशन कर देते।
बाबा सब की क्षमता को जानते थे। इसी सदर्भ में Baba Neem Karoli एक बार बोले , "" मस्तिषक की सीमा होती है! तुम शरीरस्थ हो ! ये चीजे धीरे धीरे प्राप्त करने की है , ऐसा न करने से पागल भी हो सकते है ! यह सत्य हैै कि एकाग्र मन ही अन्तदृष्टि प्रदान करता है और यही आत्म- दर्शन है ! पर ईश्वर स्मरण और लोगो की सेवा करने वालो को ध्यान और पूजा की आवशकता नही है ! यह सरलतम साधन है !""
बाबा ने अपने सदुपदेशों के माध्यम से स्पस्ट बताने का प्रयास किया की जो प्राणी ईश्वर के नाम का निरंतर स्मरण करता रहता है और हर प्राणी की सेवा ये सोच कर करता है की हर प्राणी में ईश्वर का निवास है , ऐसे प्राणी को किसी ध्यान की आवश्यकता नहीं होती क्योकि ऐसा मनुष्य ईश्वर के सबसे निकट होता है।
नीम करोली बाबा द्वारा दिखाए गए सममार्ग पे चल कर अनगिनत भक्तो का बेडा पार लग चुका है और अनगिनत भक्त बाबा के समाधिस्त होने के बाद भी उनकी कृपा और उनके चमत्कारों को प्रत्यक्ष रूप से महसूस करते है।
बाबा पर भरोसा और विश्वास ही एक मात्र सहारा है आज के इस स्वार्थी संसार में।
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