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स्टीव जॉब्स नीम करोली बाबा के पास क्यों गए?

प्रिय भक्तो आज की कहानी से आप जानेंगे की किस तरह  स्टीव जॉब्स का भारत आगमन हुवा और उनको किस प्रकार नीम करोली बाबा की कृपा प्राप्त हुवी।  स्टीव जॉब्स और नीम करोली बाबा  1974 में, स्टीव जॉब्स और उनके मित्र डैनियल कोट्टके ने हिंदू धर्म और भारतीय आध्यात्मिकता का अध्ययन करने के लिए भारत की यात्रा की। उन्होंने नीम करोली बाबा से मिलने की योजना बनाई, लेकिन पिछले सितंबर में बाबा समाधी ले चुके थे। जॉब्स भारत में अपने अनुभवों से, विशेषकर नीम करोली बाबा के आश्रम में अपने निवास से वे बहुत प्रभावित थे। श्री कैंची धाम आश्रम में अपने निवास के दौरान उनको बाबा की दिव्या शक्तियों से आध्यात्मिक प्रेरणा मिली जिसके पश्चात ही उनके मन में एप्पल को शुरू करने का विचार आया।  जॉब्स ने प्रसिद्ध अमेरिकी मनोवैज्ञानिक राम दास की पुस्तक बी हियर नाउ पढ़ी, जो बाद में नीम करोली बाबा के शिष्य बन गए। पुस्तक में, राम दास ने बताया कि कैसे नीम करोली बाबा से उनकी मुलाकात ने उनके जीवन को बदल दिया। जॉब्स ने उत्तराखंड राज्य के नैनीताल में कैंची आश्रम का दौरा किया। यह बाबा नीम करोली का आश्रम है, जिन्हें भगवान हनुमान

Khul gaya Kainchi Dham -Neem Karoli Baba

खुल गया कैंची धाम मंदिर, मंदिर परिसर में करना होगा इन नियमों का पालन

उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित कैंची धाम के कपाट 1 जुलाई, बुधवार से खोल दिए गए हैं। भक्तों के लिए 24 मार्च से कैंची धाम के कपाट बंद कर दिए गए थे। एक बार फिर से कपाट खुलने से यहां पर भक्तों का आगमन शुरू हो जाएगा।
कैंची धाम की बहुत मान्यता हैं, यहां पर देश- विदेश से लोग दर्शन करने के लिए आते हैं। ऐसी मान्यता है कि यहां से कोई भी खाली हाथ नहीं जाता है। यहां आने मात्र से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है।

हर साल 15 जून को लगता है भव्य भंडारा

हर साल 15 जून को कैंची धाम में विशेष भंडारा लगता है। 15 जून को कैंची धाम के स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है। बाबा नीब करौरी महाराज जी ने 15 जून 1964 को कैंची धाम में हनुमान जी की प्रतिमा की प्रतिष्ठा की थी। इस दिन देश-विदेश से यहां लोग बाबा के दर्शन करने और पावन प्रसाद को ग्रहण करने आते हैं। इस बार कोरोना वायरस की वजह से यहां पर भव्य भंडारे का आयोजन नहीं किया गया था।

नियमों का पालन करना होगा अनिवार्य
दर्शन का समय

कैंची धाम के कपाट भक्तों के लिए 1 जुलाई से खोल दिए गए हैं। भक्तों के दर्शन के लिए सुबह 9 बजे से 5 बजे तक मंदिर के कपाट खुले रहेंगे। मंदिर में कोरोना वायरस से सुरक्षित रहने के लिए सभी नियमों का पालन किया जाएगा।मंदिर में प्रवेश के नियम ध्यान दे
कोरोना वायरस का प्रकोप बढ़ते जा रहा है, जिस वजह से मंदिर परिसर में भक्तों को कुछ नियमों का पालन करना होगा। 
इस समय लाए गए प्रसाद भोग को भक्तों को स्वयं से भगवान को दर्शन कराने के बाद घर को ले जाना होगा...

मास्क और सैनिटाइज होगा अनिवार्य

मंदिर परिसर में मास्क पहनना अनिवार्य होगा। इसके साथ प्रवेश से पहले खुद को सैनिटाइज भी करना होगा। 

उचित दूरी बनानी होगी (Social Distancing)

मंदिर परिसर में उचित दूरी बनानी होगी। मंदिर परिसर में भारत सरकार के द्वारा जारी की गई गाइडलाइंस का पालन किया जाएगा।

एक समय में पांच भक्तों का प्रवेश

एक समय में मंदिर परिसर में सिर्फ पांच भक्तों को प्रवेश की अनुमति होगी।

प्रसाद भोग को स्वयं दर्शन करा कर ले जाएं

इस समय लाए गए प्रसाद भोग को भक्तों को स्वयं से भगवान को दर्शन कराने के बाद घर को ले जाना होगा। आमतौर पर यहां पर मंदिर के पुजारी ही भगवान के लिए लाए गए प्रसाद का भोग लगाते थे, परंतु कोरोना वायरस के चलते इस समय विशेष नियमों का पालन करना होगा।

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