शुक्रवार का दिन देवी महालक्ष्मी और शुक्र देव का दिन माना जाता है। शुक्रवार को मां लक्ष्मी की पूजा करने से जीवन में सुख-सुविधा की कमी नहीं रहती। साथ ही, शुक्र ग्रह की शुभता से सौंदर्य में निखार, ऐश्वर्य, कीर्ति और धन-दौलत प्राप्त होती है। Shukrawar ( Friday) Ka Devta शुक्रवार को मां संतोषी की पूजा और व्रत भी किया जाता है। हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, मां संतोषी को भगवान श्री गणेश की पुत्री माना जाता है। मान्यता है कि मां संतोषी की पूजा करने से साधक के जीवन में आ रही तमाम तरह की समस्याएं दूर होती हैं और उसे सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही, जिन्हें संतान सुख प्राप्त नहीं हो पा रहा वो संतान प्राप्ति के लिए इस व्रत को करते हैं। शुक्रवार को वैभव लक्ष्मी व्रत भी रखा जाता है. हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, माता वैभव लक्ष्मी से सुख-समृद्धि और धन-धान्य का आशीर्वाद पाने के लिए शुक्रवार का व्रत सबसे उत्तम उपाय है। शुक्रवार का नाम शुक्र देवता के नाम पर ही पड़ा है। नॉर्स पौराणिक कथाओं में फ्रिग ओडिन की पत्नी हैं। उन्हें विवाह की देवी माना जाता था। शुक्रवार को किसका व्रत करना चाहिए?
खुल गया कैंची धाम मंदिर, मंदिर परिसर में करना होगा इन नियमों का पालन
उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित कैंची धाम के कपाट 1 जुलाई, बुधवार से खोल दिए गए हैं। भक्तों के लिए 24 मार्च से कैंची धाम के कपाट बंद कर दिए गए थे। एक बार फिर से कपाट खुलने से यहां पर भक्तों का आगमन शुरू हो जाएगा।
कैंची धाम की बहुत मान्यता हैं, यहां पर देश- विदेश से लोग दर्शन करने के लिए आते हैं। ऐसी मान्यता है कि यहां से कोई भी खाली हाथ नहीं जाता है। यहां आने मात्र से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है।
कैंची धाम की बहुत मान्यता हैं, यहां पर देश- विदेश से लोग दर्शन करने के लिए आते हैं। ऐसी मान्यता है कि यहां से कोई भी खाली हाथ नहीं जाता है। यहां आने मात्र से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है।
हर साल 15 जून को लगता है भव्य भंडारा
हर साल 15 जून को कैंची धाम में विशेष भंडारा लगता है। 15 जून को कैंची धाम के स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है। बाबा नीब करौरी महाराज जी ने 15 जून 1964 को कैंची धाम में हनुमान जी की प्रतिमा की प्रतिष्ठा की थी। इस दिन देश-विदेश से यहां लोग बाबा के दर्शन करने और पावन प्रसाद को ग्रहण करने आते हैं। इस बार कोरोना वायरस की वजह से यहां पर भव्य भंडारे का आयोजन नहीं किया गया था।नियमों का पालन करना होगा अनिवार्य
नियमों का पालन करना होगा अनिवार्य
दर्शन का समय
कैंची धाम के कपाट भक्तों के लिए 1 जुलाई से खोल दिए गए हैं। भक्तों के दर्शन के लिए सुबह 9 बजे से 5 बजे तक मंदिर के कपाट खुले रहेंगे। मंदिर में कोरोना वायरस से सुरक्षित रहने के लिए सभी नियमों का पालन किया जाएगा।मंदिर में प्रवेश के नियम ध्यान दे
कोरोना वायरस का प्रकोप बढ़ते जा रहा है, जिस वजह से मंदिर परिसर में भक्तों को कुछ नियमों का पालन करना होगा।
इस समय लाए गए प्रसाद भोग को भक्तों को स्वयं से भगवान को दर्शन कराने के बाद घर को ले जाना होगा...
मास्क और सैनिटाइज होगा अनिवार्य
मंदिर परिसर में मास्क पहनना अनिवार्य होगा। इसके साथ प्रवेश से पहले खुद को सैनिटाइज भी करना होगा।
उचित दूरी बनानी होगी (Social Distancing)
मंदिर परिसर में उचित दूरी बनानी होगी। मंदिर परिसर में भारत सरकार के द्वारा जारी की गई गाइडलाइंस का पालन किया जाएगा।
एक समय में पांच भक्तों का प्रवेश
एक समय में मंदिर परिसर में सिर्फ पांच भक्तों को प्रवेश की अनुमति होगी।
प्रसाद भोग को स्वयं दर्शन करा कर ले जाएं
इस समय लाए गए प्रसाद भोग को भक्तों को स्वयं से भगवान को दर्शन कराने के बाद घर को ले जाना होगा। आमतौर पर यहां पर मंदिर के पुजारी ही भगवान के लिए लाए गए प्रसाद का भोग लगाते थे, परंतु कोरोना वायरस के चलते इस समय विशेष नियमों का पालन करना होगा।
सौजन्य - अमर उजाला, Dainik jagran
Jai Baba Ji
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