Shraddha Ka Kendra hai Kainchi Dham

श्रद्धा का केंद्र है कैंची धाम तब और अब

नैनीताल से 18 किमी दूर भवाली के रास्ते में कैंची धाम पड़ता है। बाबा नीम करोली ने इस स्थान पर 1964 में आश्रम बनाया था। इन्‍हीं बाबा नीब करौरी को हनुमान जी का धरती पर दूसरा रूप कहा जाता है। वैसे बाबा का असली नाम लक्ष्मी नारायण शर्मा था। अपनी स्‍थापना के बाद से अब तक भव्य मंदिर का रूप ले चुके कैंची धाम में मां दुर्गा, वैष्णो देवी, हनुमान जी और राधा कृष्ण की मूर्तियां हैं। मंदिर में आज भी बाबा की निजी वस्तुएं, गद्दी, कंबल, छड़ी आज भी वैसे ही सुरक्षित हैं जैसी उनके जीवन में थीं। पर्यटकों के लिए आज वही मुख्य दर्शन का केंद्र हैं। इसीलिए आज भी Shraddha Ka Kendra hai Kainchi Dham

अलौकिक शक्तियों के स्वामी माने जाते हैं 

इस मंदिर के संस्‍थापक बाबा अलौकिक शक्तियों के स्वामी थे, पर वे आडंबरों से दूर रहते थे उनके माथे पर न त्रिपुण्ड लगा होता था न गले में जनेऊ और कंठमाला। उन्‍होंने देह पर साधुओं वाले वस्त्र भी कभी धारण नहीं किए। आश्रम आने वाले भक्त जब उनके पैर छूने लगते थे तो वे कहते थे पैर मंदिर में बैठे हनुमान बाबा के छुओ। 

देश विदेश में हैं भक्‍त

केंची धाम पर श्रद्धा रखने वाले भक्‍त देश ही नही विदेश में भी हैं। जैसे विदेशी भक्त और जाने-माने लेखक रिच्रर्ड एलपर्ट जिन्‍होंने मिरेकल आफ लव नाम से बाबा पर पुस्तक लिखी है, जिसमें बाबा के चमत्कारों का विस्तार से वर्णन है। हॉलीवुड अभिनेत्री जूलिया राब‌र्ट्स भी बाबा की परम भक्‍त बताई जाती हैं। इसी स्‍थान से प्रभावित होकर उन्‍होंने हिंदू धर्म स्वीकार कर लिया। कुछ साल पहले फेसबुक के संस्‍थापक मार्क जुकरबर्ग भी यहां आए थे। कैंचीधाम यात्रा एप्पल के फाउंडर स्टीव जाब्स ने भी की थी और बाबा के दिए सेब को उन्‍होंने एप्पल कंपनी का लोगो बना दिया। 
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हिमाचल में संकट मोचन हनुमान धाम

बाबा नीम करोली महाराज ने एक धाम नैनीताल जिले के कैंची में बनाया तो दूसरा हिमाचल में। 1962 में हिमाचल के तत्कालीन लेफ्टिनेट गर्वनर राजा बजरंग बहादुर सिंह जो भद्री रियासत के राजा थे,  ने बाबा की इच्‍छा पर यहां मंदिर का निर्माण शुरू करा दिया। 21 जून, 1966 दिन मंगलवार को इसका शुभारंभ हुआ, इसको इतना अद्भुत बनाया गया है कि शिमला आने वाले पर्यटक जाए बिना रह ही नहीं पाते। 

ऐसे जायें कैंची धाम

आप अगर बाबा के आश्रम कैंची धाम दर्शन के लिए आना चाहते हैं तो दिल्ली से काठगोदाम के लिए सीधे ट्रेन है। काठगोदाम रेलवे स्टेशन पर उतर कर वहां से टैक्सी सेवा ले सकते हैं। अगर रोडवेज बस से जा रहे हैं तो हल्द्वानी पहुंचें, वहां से वाया भुवाली होते हुए अल्मोड़ा वाली रोडवेज बस लें या फिर सीधे टैक्सी सेवा ले लें। हल्द्वानी और काठगोदाम एक ही शहर के दो पार्ट है। यह जरूर है कि हल्द्वानी बस स्टैंड पहले और काठगोदाम बस स्टैंड बाद में पड़ेगा।
जय श्री कैंची धाम
जय श्री नीम करोली बाबा की

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