क्यों हमें मंदिर में दर्शन के बाद थोड़ी देर के लिए वहां बैठना चाहिए?
इस प्रश्न का उत्तर पाने के लिए अनेक लोगों ने प्रश्न किया पर कोई सही उत्तर न पा सका। आज हम पूर्ण तर्क विधि से आपको सही उत्तर देने का प्रयास करेंगे।
सर्वप्रथम हमको यह जानना है कि मंदिर कौन सी जगह होती है ? मंदिर क्या है ?
मंदिर वह स्थान है जहां ईश्वरी शक्ति का निवास होता है। यूं तो ईश्वरीय शक्ति संसार के हर कण में निवास करती है परंतु जिस प्रकार हवा होते हुए भी बिना पंखा चलाएं हमें हवा महसूस नहीं होती, ठीक उसी प्रकार भगवान तो सर्वत्र व्याप्त है पर उसे महसूस करने के लिए हमें भगवान के मंदिर में आश्रय लेना पड़ता है।
भगवान का मंदिर वह स्थान है जहां पर प्रतिदिन लाखों-करोड़ों भक्त आते हैं, भगवान की पूजा अर्चना करते हैं और उनकी पूजा-अर्चना से उत्पन्न होने वाली सकारात्मक उर्जा उस मंदिर के पवित्र वातावरण में घूमती रहती है जो उस मंदिर में दर्शन करने वाले प्रत्येक भक्त, प्रत्येक साधक को बहुत उपयोगी सिद्ध होती है।
मंदिर के प्रांगण की भूमि का अपना एक अलग महत्व होता है। जब कभी भी हम मन से व्यथित हो, चिंतित हो, तो उस वक्त हम अगर किसी भी मंदिर की ओर प्रस्थान करते हैं और मंदिर के अंदर प्रवेश करते हैं तो हमें एक सुगंध का अनुभव महसूस होता है। मंदिर की पवित्र भूमि पर अपने कदमों को रखते ही हमारे मन के सब विकार शांत होने लगते है। हमारे मन मस्तिष्क को शांति मिलने लगती है। इसका कारण यह होता है कि उस मंदिर की सकारात्मक ऊर्जा सदैव उस मंदिर के पवित्र वातावरण और वहा की भूमि में विद्यमान रहती है।
जब भी हम अपने पवित्र मन से किसी भी धार्मिक स्थल में प्रवेश करते हैं तो उस मंदिर की सकारात्मक ऊर्जा जो उस मंदिर की भूमि में विद्यमान रहती है, हमारे शरीर के संपर्क में आने से हमारे शरीर में व्याप्त होने लगती है और हमें आत्मिक और धार्मिक बल प्रदान करती है और हमारे लिए आध्यात्मिक मार्ग प्रशस्त करती है।
ईश्वर के मंदिर की हर वस्तु बहुत ही पवित्र होती है। मंदिर में दर्शन करने के यु तो कोई खास नियम नहीं होती क्योंकि भगवान तो सिर्फ और सिर्फ भाव के भूखे होते हैं लेकिन हमें अपने आध्यात्मिक उत्थान के लिए और मंदिर में भगवान के दर्शनों का अधिक से अधिक लाभ पाने के लिए कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए:-
(१) जब कभी भी हम मंदिर में दर्शन के लिए प्रवेश करें तो मंदिर की चौखट पर अवश्य माथा टेकना चाहिए क्योंकि मंदिर की चौखट में स्वयं भगवान का निवास होता है।
(२) जब मंदिर के प्रांगण में प्रवेश करें तो वहां की माटी को अपने माथे से अवश्य लगाना चाहिए क्योंकि संसार के प्रत्येक मंदिर में प्रतिदिन लाखों करोड़ों भक्त दर्शनों के लिए आते हैं। क्या पता कौन सा भक्त भगवान को सबसे अधिक प्रिय हो क्योंकि भगवान ने अपने से बड़ा दर्जा भक्तों को दिया है इसलिए भगवान के भक्तों की चरण धूलि को अपने माथे से लगाने से बहुत बड़े बड़े संकट टल जाते हैं कट जाते हैं।
(३) जब हम भगवान के दर्शन करें तो भगवान के दर्शन करते समय भगवान को आंख बंद करके नहीं बल्कि आंख खोलकर जी भर के देखना चाहिए क्योंकि भगवान के सामने आते ही हम उनके सामने नतमस्तक हो जाते हैं। हम सभी को ये सत्य जान लेना चाहिए की वास्तव में इस संसार में भगवान् से सुन्दर कुछ भी नहीं है अतः मंदिर में भगवान् के दर्शन करते वक़्त भगवान् के दिव्य स्वरुप का जीभर के दर्शन कर अपनी आत्मा को तृप्त करे।
(४) भगवान को प्रणाम करके उनके सुंदर स्वरूप के दर्शन करके भगवान के मंदिर में लगे घंटे को अवश्य बजाना चाहिए क्योंकि घंटा बजाने से भगवान के दरबार में हाजिरी लगती है। भगवान के मंदिर का घंटा बजाने का अपना ही अलग है महत्व है। मंदिर के घंटे की ध्वनि जितनी दूर तक जाती है उतनी दूर तक बहुत सी बीमारियां नष्ट हो जाती हैं, मन पवित्र हो जाता है। लोगों के मन की शंकाएं दूर होने लगती है और एक सकारात्मक वातावरण उत्पन्न होने लगता है।
जय श्री कैंची धाम
जय श्री नीम करोली बाबा की
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