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Showing posts from June, 2024

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Bhandara: 15 June Aur Neem Karoli Baba

15 जून और कैंची धाम का भंडारा  15 जून १९६४ हम सभी के हृदय में धर्म स्थापना दिवस के रूप में सदैव के लिए यादगार बना हुआ है क्योंकि यह वही तारीख है जब परम पूज्य श्री नीम करोली बाबा जी ने श्री कैंची धाम में अपना आश्रय स्थल अपने आश्रम के रूप में बनाया था। आज उनके आश्रम को हम सभी भक्त अपना आश्रय स्थल मानते हैं और लाखों की संख्या से बढ़कर करोडो की संख्या में भक्त उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने की इच्छा से श्री कैंची धाम आते रहते है। बाबा किसी पहचान के मोहताज नहीं थे। नीम करोली बाबा के भक्त उनके आशीर्वाद से कभी दूर नहीं रहते अपितु हमेशा बाबा की कृपा अपने भक्तों पर बानी ही रहती है।  बाबा अपने भक्तो से एक बात सदैव कहते थे की "जब तुम मुझे बुलाओगे तब मैं तेरे पास ही रहूंगा" इस बात का भरोसा और विश्वास तुझे रखना होगा क्योंकि तेरा विश्वास और तेरा भरोसा जीतना अटल रहेगा उतनी ही शीघ्र  तुम तक पहुँचेगी। बाबा के भक्तो का विश्वास  बाबा का मानना था कि अगर शरण में जाना ही है हनुमान जी की शरण में जाओ क्योकि श्री राम के दर्शन उनकी इच्छा से होते हैं और श्री राम की कृपा भी उन्हीं की कृ...

Kolhapur Mahalaxmi Temple : अंबाबाई का रहस्य

Kolhapur Mahalaxmi Temple कोल्हापुर का माता महालक्ष्मी मंदिर विश्व विख्यात है। यह दिव्य मंदिर किसी पहचान का मोहताज नहीं है। इस मंदिर की असंख्य विशेषताएं है जिनमे से इस मंदिर का पौराणिक इतिहास इस मंदिर को अन्य मंदिरों में विशिष्ट स्थान प्रदान करता है। माता महालक्ष्मी को यह अंबाबाई के नाम से उनके भक्त पुकारते है।  अंबाबाई मंदिर पूरे महाराष्ट्र की शोभा है। अंबाबाई देवस्थान जो की कोल्हापुर में पड़ता है, प्रतिवर्ष यहा करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु माता के दर्शनों का लाभ उठाकर मनोवांछित फलों को प्राप्त करते है। यह मंदिर 1300 साल से भी अधिक पुराना है और इसे महाराष्ट्र के आठ अष्टविनायक मंदिरों में से एक माना जाता है। कोल्हापुर महालक्ष्मी मंदिर का इतिहास कई शताब्दियों से महालक्ष्मी माता का यह मंदिर सम्पूर्ण विश्व की आस्था का केंद्र बना हुवा है। बात 7वीं शताब्दी की है, जब चालुक्य राजा करणदेव ने इस विशाल मंदिर की स्थापना की। उसके पश्चात 12वीं शताब्दी में, यादव राजाओं ने मंदिर का विस्तार कर मंदिर को भव्यता प्रदान की। फिर समय आया मराठाओं का। बात 17वीं शताब्दी जिन्हे जब मराठा मह...

Hanuman Ji Bhajan: Jai Tu Banar Hai Raghuvar Ko Das

Divya Hanuman Bhajan   हम सभी ने श्री हनुमान जी महाराज के आनेको भजन सुने हैं पर आज हम जिस भजन को आप सबके सामने प्रस्तुत करने जा रहे हैं यह अपने आप में एक अनोखा भजन है जो आपको कहीं पर भी प्राप्त नहीं होगा। इस भजन के प्रत्येक शब्द में वह प्रेम और करुणा है जिसमें आप एक भक्त द्वारा हनुमान जी से की गई पुकार को सुन सकते है। Jai Tu Banar Hai Raghuvar Ko Das जय तू बानर है रघुबर को दास, बरनन कर हरि के रूप को रे हनुमान । लाजै माता मदन रती सत कोटि, निरख्यौ री हरि केरू‌पने हे मेरी माय । जै तूं वानर है रघुबर को दास, वरनन कर हरि के रंगको रे हनुमान । स्वामी माता साँवल उज्वल रंग, छबि हरित मणी ज्यूँ सोहणी रे मेरी माय । जै तूं वानर है रघुवर को दास, बरनन कर हरिको भेषको रे हनुमान । स्वामी माता धरिया मुनिवर भेष, धरती रो भार उतारसी रे मेरी माय । जै तू बानर है रघुबर को दास, बरनन कर हरिको बंसको रे हनुमान । स्वामी माता रघुकुल दशरथ लाल, उजियाला सूरज वंशका रे मेरी माय ।  जै तू बानर है रघुबर को दास, बरनन कर प्रभू ‌के सीलको रे हनु‌मान ।। आवें माता इन्द्र अप्सरा कोटि,  कबहूँ मन बाको ना डिग...

दिव्य ज्ञान का अनावरण: Exploring the Secrets of Vedas and Upanishads

प्राचीन ग्रंथों में ज्ञान और आध्यात्मिक ज्ञान की कुंजी छिपी है। इस आकर्षक लेख में, हम वेदों और उपनिषदों की गहराई में उतरते हैं, उन गहन शिक्षाओं और अंतर्दृष्टि को उजागर करते हैं जिन्होंने सदियों से मानवता का मार्गदर्शन किया है। वेद, अस्तित्व में सबसे पुराने पवित्र ग्रंथ माने जाते हैं, जो दिव्य रहस्यों की गहन खोज प्रदान करते हैं। ब्रह्मांड की प्रकृति के बारे में गहन ज्ञान प्रकट करते हुए, वेद आध्यात्मिक साधकों को परम सत्य को उजागर करने का मार्ग प्रदान करते हैं। वेदों की शिक्षाओं का विस्तार करने वाले दार्शनिक और रहस्यमय ग्रंथों, उपनिषदों के साथ, यह लेख व्यक्तिगत आत्मा (आत्मा) और सार्वभौमिक चेतना (ब्रह्म) के बीच गहन संबंध पर प्रकाश डालता है। इन प्रतिष्ठित ग्रंथों में पाई जाने वाली प्रमुख अवधारणाओं और ज्ञान की सावधानीपूर्वक जांच के माध्यम से, हम उस कालातीत ज्ञान को उजागर करते हैं जो पीढ़ियों से आगे निकल गया है। इस ज्ञानवर्धक यात्रा में हमारे साथ शामिल हों क्योंकि हम वेदों और उपनिषदों के रहस्यों का पता लगाते हैं, सदियों पुराने ज्ञान को उजागर करते हैं जो हमारे आधुनिक जीवन में प्रास...

Shiva Rudrashtakam Stotram With Hindi Lyrics

शिव कौन हैं? हिंदू धर्म में शिव, त्रिमूर्ति (ब्रह्मा, विष्णु, शिव) में से तीसरे देवता हैं। वे परमेश्वर, सृष्टिकर्ता, संहारक और संरक्षक हैं। शिव को महादेव, महाकाल, नीलकंठ, महायोगी, नाटराज आदि नामों से भी जाना जाता है। शिव के प्रमुख रूप:  * शिवलिंग: शिव का सबसे सरल और प्रचलित रूप।  * अर्धनारीश्वर: शिव और पार्वती का आधा-आधा शरीर वाला रूप, स्त्री-पुरुष समानता का प्रतीक।  * नटराज: नृत्य के देवता, सृष्टि के ताल को दर्शाते हुए।  * गंगाधर: गंगा नदी को अपने जटाओं में धारण करने वाले रूप।  * भैरव: शिव का क्रोधित रूप। शिव के प्रमुख कार्य:  * सृष्टि का निर्माण, संरक्षण और विनाश: शिव को ब्रह्मांड का चक्र चलाने वाला देवता माना जाता है।  * देवताओं और मनुष्यों की रक्षा: शिव राक्षसों और अन्य बुरी शक्तियों से लड़ते हैं।  * आत्माओं का मार्गदर्शन: शिव मृत्यु के बाद आत्माओं को मोक्ष की ओर ले जाते हैं।  * योग और ध्यान के देवता: शिव को योग और ध्यान का प्रवर्तक माना जाता है। शिव की पूजा: शिव की पूजा पूरे भारत में की जाती है। शिवरात्रि, महाशिवरात्रि और स...