वेद, विश्व के सबसे पुराने लिखित धार्मिक दार्शनिक ग्रंथ हैं। वेद शब्द संस्कृत भाषा के 'विद' शब्द से बना है, जिसका मतलब है 'ज्ञान'। वेद, वैदिक साहित्य में सबसे महत्वपूर्ण हैं। 1500 और 500 ईसा पूर्व के बीच वैदिक संस्कृत में रचित, वेद हिंदू धर्म के सबसे पुराने ग्रंथ हैं। वेद क्या है ? वेद चार हैं: ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद। वेदों में देवता, ब्रह्मांड, ज्योतिष, गणित, औषधि, विज्ञान, भूगोल, धर्म, संगीत, रीति-रिवाज आदि जैसे कई विषयों का ज्ञान वर्णित है। वेद इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसे किसी मनुष्य द्वारा नहीं बल्कि ईश्वर द्वारा ऋषियों को सुने ज्ञान के आधार पर लिखा गया है. इसलिए भी वेद को 'श्रुति' कहा जाता है। वेदों को चार प्रमुख ग्रंथों में विभाजित किया गया है और इसमें भजन, पौराणिक वृत्तांत, प्रार्थनाएं, कविताएं और सूत्र शामिल हैं। वेदों के समग्र भाग को मन्त्रसंहिता, ब्राह्मण, आरण्यक, उपनिषद के रूप में भी जाना जाता है। इनमें प्रयुक्त भाषा वैदिक संस्कृत कहलाती है जो लौकिक संस्कृत से कुछ अलग है। वेदों के संपूर्ण ज्ञान को महर्षि कृष्ण द्वैपाय
मेरे वैध नीम करोली बाबा- श्री कैंची धाम | Mere vaidya neem karoli baba - Shri Kainchi Dham
पूरन-दा की पत्नी को लक़वे का अटैक आ गया । ठोड़ी टेडी हो गयी । बायीं आँख खुली की खूली रह गयी । चेहरा विकृत हो चला , होंठ एक ओर भिंच गये । मैं घबरा गया कि क्या करूँ , आर्थिक स्थिति भी सही नहीं थी । महाराज को स्मरण करने के सिवा मेरे पास कोई चारा नहीं था । दशा ख़राब होती गयी। आंख की पूतली में सफ़ेदी आ गयी । डाक्टरों ने कह दिया कि लाईलाज बिमारी है । रात को निराश लेटे हम महाराजजी का स्मरण कर रहे थे । न जाने कब हम गहरी नींद में चले गए।
पर चार बजे सुबह पत्नी बोल उठी ," अरे महाराजजी के नहाने के लिये गरम पानी करना है ।" ( हम दोनों रात भर स्वप्न में बाबा के साथ थे ) आवाज़ सुनकर जागे तो देखा कि प्रभु तो कहीं नहीं है । पर देखा कि पत्नी कि आँख झपकनी शुरू हो गयी ।ठोड़ी धीरे धीरे अपने स्थान पर आ गई । अब एक ही चीज़ रह गयी पूतली में सफ़ेदी तथा होटो का टेढापन । डाक्टर को विश्वास नहीं हूआ । मैं बोला -" ये तो बस उनकी कृपा का फल है ।" मैंने पुतली की सफ़ेदी हेतू दवाई माँगी तो उसने कहा कि काला टैटू करवा लो । न जाने क्या हूआ कि मैंने बाबा का स्मरण कर डाक्टर से एट्रोपिन की शीशी माँग ली । डाक्टर हँसते हूये बोला ," इससे क्या होगा ।" घर आकर मैंने पत्नी की आँख में एट्रोपिन डाल दी । २,३ घण्टे में आँख की सफ़ेद धूंध भी ग़ायब हो गयी । डाक्टर हैरान , सब नीम करोली बाबा जी अपनी लीला कर रहे थे ।
परन्तु चेहरा अभी भी श्रीहीन था और मूँह भी टेढ़ा था । १० ,१२ दिन बाद महाराज स्वंय हमारे घर पधारे ।उसी समय कमला जी बाहर पानी लेने निकली । प्रभू को देखा तो प्रणाम करने झुकी ही थी कि बाबा ने उनके चेहरे पर हाथ फेरते हूये पूछा ," बहू क्या हो गया था तूझे ?" बस इतने में ही बाक़ी उपचार हो गया । सम्पूर्ण मुखमण्डल में क्रांति आ गयी । बाबा तो लीलाँ धारी है , भगवान है , सब रोग दूर करते है , बस समय लगता है , कर्म भोग तो हमे भोगने है , पर डरना नही , समय आने पर प्रभू स्वंय आते है और स्मस्त रोग समाप्त कर देते है ।
श्री नीम करोली बाबा की जय
श्री कैंची धाम की जय
श्री कैंची धाम की जय
अनंत कथामृत
Good work you doing. जय बाबा नीम करौली।
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