शुक्रवार का दिन देवी महालक्ष्मी और शुक्र देव का दिन माना जाता है। शुक्रवार को मां लक्ष्मी की पूजा करने से जीवन में सुख-सुविधा की कमी नहीं रहती। साथ ही, शुक्र ग्रह की शुभता से सौंदर्य में निखार, ऐश्वर्य, कीर्ति और धन-दौलत प्राप्त होती है। Shukrawar ( Friday) Ka Devta शुक्रवार को मां संतोषी की पूजा और व्रत भी किया जाता है। हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, मां संतोषी को भगवान श्री गणेश की पुत्री माना जाता है। मान्यता है कि मां संतोषी की पूजा करने से साधक के जीवन में आ रही तमाम तरह की समस्याएं दूर होती हैं और उसे सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही, जिन्हें संतान सुख प्राप्त नहीं हो पा रहा वो संतान प्राप्ति के लिए इस व्रत को करते हैं। शुक्रवार को वैभव लक्ष्मी व्रत भी रखा जाता है. हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, माता वैभव लक्ष्मी से सुख-समृद्धि और धन-धान्य का आशीर्वाद पाने के लिए शुक्रवार का व्रत सबसे उत्तम उपाय है। शुक्रवार का नाम शुक्र देवता के नाम पर ही पड़ा है। नॉर्स पौराणिक कथाओं में फ्रिग ओडिन की पत्नी हैं। उन्हें विवाह की देवी माना जाता था। शुक्रवार को किसका व्रत करना चाहिए?
मेरे वैध नीम करोली बाबा- श्री कैंची धाम | Mere vaidya neem karoli baba - Shri Kainchi Dham
पूरन-दा की पत्नी को लक़वे का अटैक आ गया । ठोड़ी टेडी हो गयी । बायीं आँख खुली की खूली रह गयी । चेहरा विकृत हो चला , होंठ एक ओर भिंच गये । मैं घबरा गया कि क्या करूँ , आर्थिक स्थिति भी सही नहीं थी । महाराज को स्मरण करने के सिवा मेरे पास कोई चारा नहीं था । दशा ख़राब होती गयी। आंख की पूतली में सफ़ेदी आ गयी । डाक्टरों ने कह दिया कि लाईलाज बिमारी है । रात को निराश लेटे हम महाराजजी का स्मरण कर रहे थे । न जाने कब हम गहरी नींद में चले गए।
पर चार बजे सुबह पत्नी बोल उठी ," अरे महाराजजी के नहाने के लिये गरम पानी करना है ।" ( हम दोनों रात भर स्वप्न में बाबा के साथ थे ) आवाज़ सुनकर जागे तो देखा कि प्रभु तो कहीं नहीं है । पर देखा कि पत्नी कि आँख झपकनी शुरू हो गयी ।ठोड़ी धीरे धीरे अपने स्थान पर आ गई । अब एक ही चीज़ रह गयी पूतली में सफ़ेदी तथा होटो का टेढापन । डाक्टर को विश्वास नहीं हूआ । मैं बोला -" ये तो बस उनकी कृपा का फल है ।" मैंने पुतली की सफ़ेदी हेतू दवाई माँगी तो उसने कहा कि काला टैटू करवा लो । न जाने क्या हूआ कि मैंने बाबा का स्मरण कर डाक्टर से एट्रोपिन की शीशी माँग ली । डाक्टर हँसते हूये बोला ," इससे क्या होगा ।" घर आकर मैंने पत्नी की आँख में एट्रोपिन डाल दी । २,३ घण्टे में आँख की सफ़ेद धूंध भी ग़ायब हो गयी । डाक्टर हैरान , सब नीम करोली बाबा जी अपनी लीला कर रहे थे ।
परन्तु चेहरा अभी भी श्रीहीन था और मूँह भी टेढ़ा था । १० ,१२ दिन बाद महाराज स्वंय हमारे घर पधारे ।उसी समय कमला जी बाहर पानी लेने निकली । प्रभू को देखा तो प्रणाम करने झुकी ही थी कि बाबा ने उनके चेहरे पर हाथ फेरते हूये पूछा ," बहू क्या हो गया था तूझे ?" बस इतने में ही बाक़ी उपचार हो गया । सम्पूर्ण मुखमण्डल में क्रांति आ गयी । बाबा तो लीलाँ धारी है , भगवान है , सब रोग दूर करते है , बस समय लगता है , कर्म भोग तो हमे भोगने है , पर डरना नही , समय आने पर प्रभू स्वंय आते है और स्मस्त रोग समाप्त कर देते है ।
श्री नीम करोली बाबा की जय
श्री कैंची धाम की जय
श्री कैंची धाम की जय
अनंत कथामृत
Good work you doing. जय बाबा नीम करौली।
ReplyDelete