15 जून और कैंची धाम का भंडारा 15 जून १९६४ हम सभी के हृदय में धर्म स्थापना दिवस के रूप में सदैव के लिए यादगार बना हुआ है क्योंकि यह वही तारीख है जब परम पूज्य श्री नीम करोली बाबा जी ने श्री कैंची धाम में अपना आश्रय स्थल अपने आश्रम के रूप में बनाया था। आज उनके आश्रम को हम सभी भक्त अपना आश्रय स्थल मानते हैं और लाखों की संख्या से बढ़कर करोडो की संख्या में भक्त उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने की इच्छा से श्री कैंची धाम आते रहते है। बाबा किसी पहचान के मोहताज नहीं थे। नीम करोली बाबा के भक्त उनके आशीर्वाद से कभी दूर नहीं रहते अपितु हमेशा बाबा की कृपा अपने भक्तों पर बानी ही रहती है। बाबा अपने भक्तो से एक बात सदैव कहते थे की "जब तुम मुझे बुलाओगे तब मैं तेरे पास ही रहूंगा" इस बात का भरोसा और विश्वास तुझे रखना होगा क्योंकि तेरा विश्वास और तेरा भरोसा जीतना अटल रहेगा उतनी ही शीघ्र तुम तक पहुँचेगी। बाबा के भक्तो का विश्वास बाबा का मानना था कि अगर शरण में जाना ही है हनुमान जी की शरण में जाओ क्योकि श्री राम के दर्शन उनकी इच्छा से होते हैं और श्री राम की कृपा भी उन्हीं की कृ...
मेरे वैध नीम करोली बाबा- श्री कैंची धाम | Mere vaidya neem karoli baba - Shri Kainchi Dham
पूरन-दा की पत्नी को लक़वे का अटैक आ गया । ठोड़ी टेडी हो गयी । बायीं आँख खुली की खूली रह गयी । चेहरा विकृत हो चला , होंठ एक ओर भिंच गये । मैं घबरा गया कि क्या करूँ , आर्थिक स्थिति भी सही नहीं थी । महाराज को स्मरण करने के सिवा मेरे पास कोई चारा नहीं था । दशा ख़राब होती गयी। आंख की पूतली में सफ़ेदी आ गयी । डाक्टरों ने कह दिया कि लाईलाज बिमारी है । रात को निराश लेटे हम महाराजजी का स्मरण कर रहे थे । न जाने कब हम गहरी नींद में चले गए।
पर चार बजे सुबह पत्नी बोल उठी ," अरे महाराजजी के नहाने के लिये गरम पानी करना है ।" ( हम दोनों रात भर स्वप्न में बाबा के साथ थे ) आवाज़ सुनकर जागे तो देखा कि प्रभु तो कहीं नहीं है । पर देखा कि पत्नी कि आँख झपकनी शुरू हो गयी ।ठोड़ी धीरे धीरे अपने स्थान पर आ गई । अब एक ही चीज़ रह गयी पूतली में सफ़ेदी तथा होटो का टेढापन । डाक्टर को विश्वास नहीं हूआ । मैं बोला -" ये तो बस उनकी कृपा का फल है ।" मैंने पुतली की सफ़ेदी हेतू दवाई माँगी तो उसने कहा कि काला टैटू करवा लो । न जाने क्या हूआ कि मैंने बाबा का स्मरण कर डाक्टर से एट्रोपिन की शीशी माँग ली । डाक्टर हँसते हूये बोला ," इससे क्या होगा ।" घर आकर मैंने पत्नी की आँख में एट्रोपिन डाल दी । २,३ घण्टे में आँख की सफ़ेद धूंध भी ग़ायब हो गयी । डाक्टर हैरान , सब नीम करोली बाबा जी अपनी लीला कर रहे थे ।
परन्तु चेहरा अभी भी श्रीहीन था और मूँह भी टेढ़ा था । १० ,१२ दिन बाद महाराज स्वंय हमारे घर पधारे ।उसी समय कमला जी बाहर पानी लेने निकली । प्रभू को देखा तो प्रणाम करने झुकी ही थी कि बाबा ने उनके चेहरे पर हाथ फेरते हूये पूछा ," बहू क्या हो गया था तूझे ?" बस इतने में ही बाक़ी उपचार हो गया । सम्पूर्ण मुखमण्डल में क्रांति आ गयी । बाबा तो लीलाँ धारी है , भगवान है , सब रोग दूर करते है , बस समय लगता है , कर्म भोग तो हमे भोगने है , पर डरना नही , समय आने पर प्रभू स्वंय आते है और स्मस्त रोग समाप्त कर देते है ।
श्री नीम करोली बाबा की जय
श्री कैंची धाम की जय
श्री कैंची धाम की जय
अनंत कथामृत
Good work you doing. जय बाबा नीम करौली।
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