(1) बाल समय रवि भक्षी लियो तब, तीनहुं लोक भयो अंधियारों ।
ताहि सों त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सों जात न टारो ।
देवन आनि करी बिनती तब, छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो ।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥ १ ॥
हिंदी अर्थ -
हे हनुमान जी आपने अपनी बाल्यकाल में सूर्य को निगल लिया था जिससे तीनों लोक में अंधकार फ़ैल गया और सारे संसार में भय व्याप्त हो गया था। इस संकट का किसी के पास कोई समाधान नहीं था। तब देवताओं ने आपसे प्रार्थना की और आपने सूर्य को छोड़ दिया और इस प्रकार सबके प्राणों की रक्षा हुई। संसार में ऐसा कौन है जो आपके संकटमोचन नाम को नहीं जानता।
(2) बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि, जात महाप्रभु पंथ निहारो ।
चौंकि महामुनि साप दियो तब, चाहिए कौन बिचार बिचारो ।
कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु, सो तुम दास के सोक निवारो ॥ २ ॥
हिंदी अर्थ -
बालि के डर से सुग्रीव ऋष्यमूक पर्वत पर रहते थे। एक दिन सुग्रीव ने जब राम लक्ष्मण को वहां से जाते देखा तो उन्हें बालि का भेजा हुआ योद्धा समझ कर भयभीत हो गए। तब हे हनुमान जी आपने ही ब्राह्मण का वेश बनाकर प्रभु श्रीराम का भेद जाना और सुग्रीव से उनकी मित्रता कराई। संसार में ऐसा कौन है जो आपके संकटमोचन नाम को नहीं जानता।
(3) अंगद के संग लेन गए सिय, खोज कपीस यह बैन उचारो ।
जीवत ना बचिहौ हम सो जु, बिना सुधि लाये इहाँ पगु धारो ।
हेरी थके तट सिन्धु सबै तब, लाए सिया-सुधि प्राण उबारो ॥ ३ ॥
हिंदी अर्थ -
जब सुग्रीव ने आपको अंगद, जामवंत आदि के साथ सीता की खोज में भेजा तब उन्होंने कहा कि जो भी बिना सीता का पता लगाए यहाँ आएगा उसे मैं प्राणदंड दूंगा। जब सारे वानर सीता को ढूँढ़ते-ढूँढ़ते थक कर और निराश होकर समुद्र तट पर बाथ गए तब आप ही ने लंका जाकर माता सीता का पता लगाया और सबके प्राणों की रक्षा की। संसार में ऐसा कौन है जो आपके संकटमोचन नाम को नहीं जानता।
(4)रावण त्रास दई सिय को सब, राक्षसी सों कही सोक निवारो ।
ताहि समय हनुमान महाप्रभु, जाए महा रजनीचर मारो ।
चाहत सीय असोक सों आगि सु, दै प्रभुमुद्रिका सोक निवारो ॥ ४ ॥
हिंदी अर्थ -
रावण के दिए कष्टों से पीड़ित और दुखी माता सीता जब अपने प्राणों का अंत कर लेना चाहती थी तब हे हनुमान जी आपने बड़े-बड़े वीर राक्षसों का संहार किया।अशोक वाटिका में बैठी सीता दुखी होकर अशोक वृक्ष से अपनी चिता के लिए आग मांग रही थी तब आपने श्रीराम जी की अंगूठी देकर माता सीता के दुखों का निवारण कर दिया। संसार में ऐसा कौन है जो आपके संकटमोचन नाम को नहीं जानता।
(5)बान लग्यो उर लछिमन के तब, प्राण तजे सुत रावन मारो ।
लै गृह बैद्य सुषेन समेत, तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो ।
आनि सजीवन हाथ दई तब, लछिमन के तुम प्रान उबारो ॥ ५ ॥
जब मेघनाद ने लक्ष्मण पर शक्ति का प्रहार किया और लक्ष्मण मूर्छित हो गए तब हे हनुमान जी आप ही लंका से सुषेण वैद्य को घर सहित उठा लाए और उनके परामर्श पर द्रोण पर्वत उखाड़कर संजीवनी बूटी लाकर दी और लक्ष्मण के प्राणों की रक्षा की। संसार में ऐसा कौन है जो आपके संकटमोचन नाम को नहीं जानता।
(6) रावन युद्ध अजान कियो तब, नाग कि फाँस सबै सिर डारो ।
श्रीरघुनाथ समेत सबै दल, मोह भयो यह संकट भारो I
आनि खगेस तबै हनुमान जु, बंधन काटि सुत्रास निवारो ॥ ६ ॥
हिंदी अर्थ -
रावण ने युद्ध में राम लक्ष्मण को नागपाश में बांध दिया। तब श्रीराम जी की सेना पर घोर संकट आ गया। हे हनुमान जी तब आपने ही गरुड़ को बुलाकर राम लक्ष्मण को नागपाश के बंधन से मुक्त कराया और श्रीराम जी की सेना पर आए संकट को दूर किया। संसार में ऐसा कौन है जो आपके संकटमोचन नाम को नहीं जानता।
(7) बंधु समेत जबै अहिरावन, लै रघुनाथ पताल सिधारो ।
देबिहिं पूजि भलि विधि सों बलि, देउ सबै मिलि मन्त्र विचारो ।
जाय सहाय भयो तब ही, अहिरावन सैन्य समेत संहारो ॥ ७ ॥
हिंदी अर्थ -
लंका युद्ध में रावण के कहने पर जब अहिरावण छल से राम लक्ष्मण का अपहरण करके पाताल लोक ले गया और अपने देवता के सामने उनकी बलि देने की तैयारी कर रहा था। तब हे हनुमान जी आपने ही राम जी की सहायता की और अहिरावण का सेना सहित संहार किया। संसार में ऐसा कौन है जो आपके संकटमोचन नाम को नहीं जानता।
(8) काज किये बड़ देवन के तुम, बीर महाप्रभु देखि बिचारो ।
कौन सो संकट मोर गरीब को, जो तुमसे नहिं जात है टारो ।
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु, जो कछु संकट होय हमारो ॥ ८ ॥
हे हनुमान जी, आप विचार के देखिये आपने देवताओं के बड़े बड़े काम किये हैं। मेरा ऐसा कौन सा संकट है जो आप दूर नहीं कर सकते। हे हनुमान जी आप जल्दी से मेरे सभी संकटों को हर लीजिये। संसार में ऐसा कौन है जो आपके संकटमोचन नाम को नहीं जानता।
॥ दोहा ॥
लाल देह लाली लसे, अरु धरि लाल लंगूर ।
वज्र देह दानव दलन, जय जय जय कपि सूर ॥
हिंदू धर्म में हनुमान अष्टक का महत्व
हनुमान अष्टक को हिंदू धर्म में सबसे शक्तिशाली और प्रिय प्रार्थनाओं में से एक माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इसकी रचना 16वीं शताब्दी के संत तुलसीदास ने की थी, जो भगवान हनुमान के समर्पित अनुयायी थे। हनुमान अष्टक का पाठ अक्सर हनुमान जयंती के दौरान किया जाता है, जो भगवान हनुमान के जन्मदिन का वार्षिक उत्सव है। इसका जप आमतौर पर कठिनाई या संकट के समय भी किया जाता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि यह बाधाओं को दूर करने और आशीर्वाद और सुरक्षा लाने में मदद करता है।
अपने व्यावहारिक लाभों के अलावा, हनुमान अष्टक गहरा प्रतीकात्मक और आध्यात्मिक भी है। भजन का प्रत्येक श्लोक भगवान हनुमान की दिव्य प्रकृति के एक अलग पहलू को बताता है और आध्यात्मिक यात्रा के एक अलग चरण का प्रतिनिधित्व करता है। हनुमान अष्टक का जाप करके, हम भगवान हनुमान की ऊर्जा से जुड़ने में सक्षम होते हैं और आध्यात्मिक विकास और परिवर्तन के अपने पथ पर उनका मार्गदर्शन और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
हनुमान अष्टक को अपनी दैनिक प्रार्थनाओं में कैसे शामिल करें
यदि आप हनुमान अष्टक को अपने दैनिक आध्यात्मिक अभ्यास में शामिल करने में रुचि रखते हैं, तो आप कुछ अलग तरीके अपना सकते हैं। एक सरल तरीका यह है कि प्रतिदिन 108 बार प्रार्थना का जाप करें। यदि आपके पास समय और इच्छा हो तो आप इसे सुबह या शाम, या दोनों समय कर सकते हैं। वैकल्पिक रूप से, आप हनुमान अष्टक को अपनी मौजूदा पूजा या ध्यान अभ्यास में शामिल कर सकते हैं। आप अपनी अन्य भक्ति प्रथाओं से पहले या बाद में प्रार्थना पढ़ना चुन सकते हैं, या आप इसे अकेले अभ्यास के रूप में जपना चुन सकते हैं।
हनुमान अष्टक को अपने दैनिक जीवन में शामिल करने का दूसरा तरीका प्रार्थना की रिकॉर्डिंग सुनना है। हनुमान अष्टक की कई सुंदर प्रस्तुतियाँ ऑनलाइन उपलब्ध हैं, और इन रिकॉर्डिंग्स को सुनना भजन की ऊर्जा और कंपन से जुड़ने का एक शक्तिशाली तरीका हो सकता है। आप गाड़ी चलाते समय, काम करते समय या रात को सोते समय भी हनुमान अष्टक सुनना चुन सकते हैं।
हनुमान अष्टक का जाप करने से लाभ
हनुमान अष्टक का जाप करने से कई लाभ होते हैं। प्राथमिक लाभों में से एक यह है कि यह हमारे जीवन से बाधाओं और कठिनाइयों को दूर करने में मदद करता है। भगवान हनुमान के आशीर्वाद और सुरक्षा का आह्वान करके, हम अपने सामने आने वाली चुनौतियों पर काबू पाने और अपने आध्यात्मिक पथ पर आगे बढ़ने में सक्षम हैं। हनुमान अष्टक का जाप करने से भगवान हनुमान के प्रति हमारी भक्ति और जुड़ाव को बढ़ाने में भी मदद मिलती है, जिससे हमारी आध्यात्मिक साधना गहरी होती है और हमें अपने जीवन में अधिक शांति, आनंद और पूर्णता का अनुभव करने में मदद मिलती है।
इन आध्यात्मिक लाभों के अलावा, हनुमान अष्टक का जप करने से हमारे स्वास्थ्य और कल्याण के लिए व्यावहारिक लाभ भी होते हैं। अध्ययनों से पता चला है कि मंत्रों का जाप तनाव को कम करने, रक्तचाप को कम करने और समग्र शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद कर सकता है। हनुमान अष्टक को अपने दैनिक अभ्यास में शामिल करके, हम इन लाभों को प्राप्त कर सकते हैं और बेहतर स्वास्थ्य, खुशी और आध्यात्मिक विकास का अनुभव कर सकते हैं।
हनुमान अष्टक विविधताएं और रूपांतर
मूल हनुमान अष्टक एक शक्तिशाली प्रार्थना है। इस भजन के कई रूप और रूपांतर भी हैं जो वर्षों से बनाए गए हैं। इनमें से कुछ विविधताओं में प्रार्थना के लंबे संस्करण, साथ ही ऐसे अनुकूलन शामिल हैं जिनमें विभिन्न भाषाओं या संगीत शैलियों को शामिल किया गया है। ऐसे कई अलग-अलग कलाकार और संगीतकार भी हैं जिन्होंने हनुमान अष्टक की अपनी अनूठी प्रस्तुतियाँ बनाई हैं, जिनमें से प्रत्येक का अपना स्वाद और ऊर्जा है। इन विभिन्न विविधताओं और अनुकूलन की खोज भगवान हनुमान और
हनुमान अष्टक के साथ आपके संबंध को गहरा करने का एक मजेदार और समृद्ध तरीका हो सकता है।
निष्कर्ष
हनुमान अष्टक हिंदू धर्म में एक शक्तिशाली और प्रिय प्रार्थना है जो हमें भगवान हनुमान की दिव्य ऊर्जा से जुड़ने में मदद कर सकती है। गीत के पीछे के अर्थ और प्रतीकवाद को समझकर, हम इस पवित्र भजन की परिवर्तनकारी शक्ति का लाभ उठा सकते हैं और अपने जीवन में अधिक शांति, आनंद और आध्यात्मिक विकास का अनुभव कर सकते हैं। चाहे आप भगवान हनुमान के अनुभवी भक्त हों या इस पवित्र परंपरा में नए हों, हनुमान अष्टक को अपने दैनिक अभ्यास में शामिल करना परमात्मा के साथ आपके संबंध को गहरा करने और भगवान हनुमान के आशीर्वाद और सुरक्षा का अनुभव करने का एक शक्तिशाली तरीका हो सकता है।
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