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Showing posts from October, 2023

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Bhandara: 15 June Aur Neem Karoli Baba

15 जून और कैंची धाम का भंडारा  15 जून १९६४ हम सभी के हृदय में धर्म स्थापना दिवस के रूप में सदैव के लिए यादगार बना हुआ है क्योंकि यह वही तारीख है जब परम पूज्य श्री नीम करोली बाबा जी ने श्री कैंची धाम में अपना आश्रय स्थल अपने आश्रम के रूप में बनाया था। आज उनके आश्रम को हम सभी भक्त अपना आश्रय स्थल मानते हैं और लाखों की संख्या से बढ़कर करोडो की संख्या में भक्त उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने की इच्छा से श्री कैंची धाम आते रहते है। बाबा किसी पहचान के मोहताज नहीं थे। नीम करोली बाबा के भक्त उनके आशीर्वाद से कभी दूर नहीं रहते अपितु हमेशा बाबा की कृपा अपने भक्तों पर बानी ही रहती है।  बाबा अपने भक्तो से एक बात सदैव कहते थे की "जब तुम मुझे बुलाओगे तब मैं तेरे पास ही रहूंगा" इस बात का भरोसा और विश्वास तुझे रखना होगा क्योंकि तेरा विश्वास और तेरा भरोसा जीतना अटल रहेगा उतनी ही शीघ्र  तुम तक पहुँचेगी। बाबा के भक्तो का विश्वास  बाबा का मानना था कि अगर शरण में जाना ही है हनुमान जी की शरण में जाओ क्योकि श्री राम के दर्शन उनकी इच्छा से होते हैं और श्री राम की कृपा भी उन्हीं की कृ...

Sunderkand As It Is With Hindi Lyrics | सुंदरकांड यथावत हिंदी

प्राचीन हिंदू महाकाव्य, रामायण में, सुंदरकांड एक विशेष स्थान रखता है क्योंकि यह भगवान हनुमान की वीरतापूर्ण यात्रा का वर्णन करता है। हिंदू पौराणिक कथाओं में सबसे प्रिय और श्रद्धेय पात्रों में से एक के रूप में, हनुमान की कहानी बहादुरी, भक्ति और निस्वार्थता से भरी है।  सुंदरकांड: भगवान हनुमान की महाकाव्य कथा पर एक अंतर्दृष्टि सुंदरकांड में, भगवान हनुमान भगवान राम की प्रिय पत्नी सीता को खोजने के लिए एक मिशन पर निकलते हैं, जिनका शक्तिशाली राक्षस राजा रावण ने अपहरण कर लिया है। अपने समृद्ध प्रतीकवाद और नैतिक पाठों के साथ, सुंदरकांड पाठकों को मंत्रमुग्ध कर देता है और वफादारी, दृढ़ संकल्प और विश्वास की शक्ति के बारे में मूल्यवान अंतर्दृष्टि सिखाता है।  रामायण का यह अध्याय हनुमान की असाधारण क्षमताओं को प्रदर्शित करता है, जैसे कि किसी भी रूप में परिवर्तित होने की उनकी क्षमता, उनकी अलौकिक शक्ति और भगवान राम के प्रति उनका अटूट समर्पण। इस लेख के माध्यम से, हम भगवान हनुमान की महाकाव्य कहानी में गहराई से उतरेंगे, सुंदरकांड के महत्व और आज की दुनिया में इसकी प्रासंगिकता की खोज करेंगे। इस अद्भु...

सुंदरकांड का धार्मिक महत्त्व क्यों ?

प्रिय भक्तों जय श्री राम। संपूर्ण भारतवर्ष मेंआज सनातन धर्म में 33 कोटि देवताओं की पूजा होती है। उन 33 कोटि देवताओं में भी भगवान के अनेक अवतार आज तक इस पृथ्वी पर अवतरित हुए हैं जिनमें से भगवान शिव का भी एक अवतार है जिसे हम पवन पुत्र श्री हनुमान जी महाराज के रूप में जानते हैं। भगवान शिव का यह अवतार भगवान विष्णु के श्री राम स्वरूप की पूजा अर्चना और वंदन करता है। हनुमान जी का यह स्वरूप हमें दास्य भाव की भक्तिसे परिपूर्ण करता है।  आज हम हनुमान जी को ही समर्पित सुंदरकांड के दिव्य महत्व के बारे में जानेंगे जिसको महाकवि तुलसीदास जी ने अपनी रचना रामचरितमानस में संकलित किया। हम सब श्री तुलसीदास जी के ऋणी हैं कि उन्होंने हनुमान जी की पावन गाथा जो भगवान श्री राम और माता सीता से संबंधित है, उसे इतने सुंदर रूप में चित्रित कर उसकी इतनी विस्तृत व्याख्या की और हम सब के समक्ष प्रस्तुत किया जिससे मानव जाति का कल्याण हो सके।  IMPORTANCE OF SUNDARKAND हिंदूधर्म के पूज्य ग्रंथ श्रीरामचरितमानस में रामकथा विस्तार से वर्णित की गई है। इसके सात खंडों में सुंदरकांड का महत्त्व सर्वाधिक माना गया है। ...

वैजयंती माला का महत्व क्या है? | Vaijayanti Mala kaun pehen sakta hai?

वैजयंती माला का शाब्दिक अर्थ होता है विजय दिलाने वाली माल अर्थात जिस माला को धारण करने से साधक को अपने जीवन में विजय प्राप्त होती है उस माला को वैजयंती माला के नाम से जाना जाता है। मूलतः वैजयंती माला को वैजयंती के बीजों से बनाया जाता है इसी कारण इसे वैजयंती माला का नाम दिया गया है। इस पवित्र माला को साधक हवन करते समय, पाठ, यज्ञ इत्यादि करते समय व समस्त प्रकार के सात्विक साधनों को करते समय प्रयोग में लेन के लिए उसे धारण करता है। इसे धारण करने मात्रा से  मानसिक सुकून मिलता है और कार्यक्षेत्र एवं समाज में आपका सम्मान बढ़ता है।  वैजयंती माला का महत्व क्या है? वैजयंती माला को भगवान श्रीकृष्ण, माता दुर्गा, मां काली और दूसरे कई देवी देवता पहनते थे।  यह माला लक्ष्मी कारक मानी गई है।  पौराणिक मान्यताओं के अनुसार वैजयंती माला का संबंध अनेकों प्रतिष्ठित देवताओं से माना जाता है। यही कारण है की वैजयंती माला को धारण करने वाला साधक भगवान का अति प्रिय हो जाता है। उस पर भगवान कृष्ण, भगवान नारायण, इत्यादि देवताओं की विशेष कृपा बनी रहती है परंतु साधक को यह ध्यान रखना चाहिए की वैजयंती ...