Guru Bhakti NeemKaroli Baba - Shri Kainchi Dham

                                  गुरु भक्ति
Guru Bhakti NeemKaroli Baba - Shri Kainchi Dham
भक्त रामदास की कहानी उन्ही की ज़ुबानी 
एक दिन मैं महाराज जी से कुछ दूरी पर उनके सामने ही बैठा हुआ था। बहुत सारे भक्त उनके आसपास बैठे हुए थे। बात हो रही थी। हंसी मजाक चल रहा था। कुछ उनके पैरों की मालिश कर रहे थे। लोग उन्हें सेव और फूल दे रहे थे। वे उन चीजों को प्रसाद रूप में लोगों में वितरित कर रहे थे। सब तरफ प्रेम और करुणा बरस रही थी। लेकिन मैदान में कुछ दूरी पर मैं अलग ही अवस्था में बैठा हुआ था।
NeemKaroli Baba

मैं सोच रहा था कि सब ठीक है लेकिन यह सब तो एक मूर्तरूप से जुड़ा प्रेम है। मैंने यह कर लिया अब मुझे इसके परे ज
ाना है। वे कुछ खास नहीं हैं हालांकि वे सबकुछ हैं। मैं दुनिया में जहां कहीं भी हूं, उनके चरणों में हूं। मैं उनके साथ जिस अवस्था में जुड़ा हूं उसके लिए शरीर की मर्यादा का होना जरूरी नहीं है। जागृत अवस्था में हम एक हैं।
तभी मैंने देखा कि महाराज जी (नीम करोली बाबा), एक बुजुर्ग भक्त के कान में कुछ कह रहे हैं और वह बुजुर्ग भक्त भागकर मेरे पास आया और मेरे पैर छूकर खड़ा हो गया। मैंने पूछा, "आपने यह क्यों किया?" उन्होंने कहा, "महाराज जी ने कहा है। उन्होंने कहा कि मैं और वो एक दूसरे को अच्छे से समझते हैं।"

जय हो नीम करोली बाबा की 
जय हो श्री कैंची धाम की
#महाराजजीकथामृत
(रामदास, जर्नी आफ अवेकनिंग, ई बुक, पेज- १२५
)

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