Neem Karoli Baba Aur Rog Mukti Vaidik Mantra प्रिय भक्तों आज हम आप सभी को ऐसे मंत्र के बारे में बताएंगे जिसका उच्चारण करके आप सभी रोगों से मुक्ति पा सकते हैं। हम सभी के जीवन में अनेकों अनेक रोग कभी न कभी आ ही जाते हैं जिनकी वजह से हम सभी का जीवन हस्त व्यस्त हो जाता है। परम पूज्य श्री नीम करोली बाबा की कृपा से और हनुमान जी के आशीर्वाद से हम सभी को बाबा जी का सानिध्य प्राप्त हुआ और बाबा जी के सानिध्य में रहकर हम सभी ने राम नाम रूपी मंत्र को जाना जिसके उच्चारण मात्र से हम सभी को प्रभु श्री राम के साथ-साथ हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है। बाबा जी के दिशा निर्देशों के अनुसार हम सभी अपने जीवन की मोह माया से मुक्ति पा सकते हैं। यूं तो जब तक जीवन है तब तक माया से मुक्ति पाना संभव नहीं हो पता परंतु गृहस्थ जीवन में रहकर भी एक सन्यासी का जीवन जीना सहज हो सकता है यदि हम ईश्वर में अपने मन को रमाने का प्रयास करें और अपने कर्म पर ध्यान दे क्योंकि गीता में भी भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि कर्म ही प्रधान है। यदि हम बिना किसी लोभ के, बिना किसी आशा के, बिना ये सोचे कि यह पुण्य है या पाप केवल ...
नीम करोली बाबा द्वारा प्राण रक्षा -श्री कैंची धाम !! एक विचित्र अनुभव
घटना 4 नवम्बर 1971 की है। नीम करोली बाबा की एक अमेरिकी भक्त महिला जिसे वे राधा कहा कहते थे, वृन्दावन में आनन्दमयी माँ के आश्रम से अपनी अमेरिकी सहेली अन्जनी (भारतीय नाम) के साथ एक रिक्शा में आ रही थी। रिक्शा का चालक बहुत तेजी से रिक्शा भगा रहा था। राधा जी ने एकाएक भयवश अपनी आँखें बन्द कर ली थी। तुरंत उन बन्द आँखों से उनको महाराज जी के मुख का दर्शन हुआ। ऐसा अनुभव इससे पूर्व उनको कभी नहीं हुआ था ।राधा जी कहती हैं कि इस दर्शन में महाराज मुझसे कह रहे थे, "दुर्घटना होने जा रही है, कूद पड़।" मैंने तुरंत उनकी आज्ञा का पालन किया। मैंने जानते बूझते यह कार्य किया - बड़ी शान्ति और बिना किसी अन्तर्द्वन्द्व के।
इस कार्य में न मुझे कुछ भय था और न मेरे दिल की कोई धड़कन ही रुकी। यह सब इतनी जल्दी हुआ कि मैं अन्जनी से कुछ कह भी नहीं पायी।मेरे कूदने का कोई कारण प्रत्यक्ष न था, कोई भी दर्शक मुझे पागल कह सकता। उसी क्षण वहाँ चौराहे में एक दूसरा रिक्शा हमारे रिक्शा से टकरा गया। अन्जनी को थोड़ी चोट आयी। वह मेरे उपचार से ही स्वस्थ हो गई। टक्कर होने के एक क्षण पूर्व मेरी आँख खुली थी और दुर्घटना के पूर्व ही मैं कूद गई थी। महाराज मेरे साथ थे और मुझे उसी पल ये महसूस हुवा की आज नीम करोली बाबा ने मेरी प्राण रक्षा की।
यह उनकी अनन्त और अपार कृपा का फल है। मैं उनसे अपनी कृतज्ञता व्यक्त करना चाहती थी, पर उन्होंने मुझे धन्यवाद देने का अवसर ही नहीं दिया। हर बार जब भी उनके दर्शन होते वे वार्ता का विषय बदल देते, मेरी बात पर ध्यान न देते या इस दुर्घटना को स्वीकार नहीं करते थे।
श्री नीम करौली बाबा जी "करोली बाबा " की सर्वव्यापकता जगत विदित है।
अलौकिक यथार्थ से
घटना 4 नवम्बर 1971 की है। नीम करोली बाबा की एक अमेरिकी भक्त महिला जिसे वे राधा कहा कहते थे, वृन्दावन में आनन्दमयी माँ के आश्रम से अपनी अमेरिकी सहेली अन्जनी (भारतीय नाम) के साथ एक रिक्शा में आ रही थी। रिक्शा का चालक बहुत तेजी से रिक्शा भगा रहा था। राधा जी ने एकाएक भयवश अपनी आँखें बन्द कर ली थी। तुरंत उन बन्द आँखों से उनको महाराज जी के मुख का दर्शन हुआ। ऐसा अनुभव इससे पूर्व उनको कभी नहीं हुआ था ।राधा जी कहती हैं कि इस दर्शन में महाराज मुझसे कह रहे थे, "दुर्घटना होने जा रही है, कूद पड़।" मैंने तुरंत उनकी आज्ञा का पालन किया। मैंने जानते बूझते यह कार्य किया - बड़ी शान्ति और बिना किसी अन्तर्द्वन्द्व के।
इस कार्य में न मुझे कुछ भय था और न मेरे दिल की कोई धड़कन ही रुकी। यह सब इतनी जल्दी हुआ कि मैं अन्जनी से कुछ कह भी नहीं पायी।मेरे कूदने का कोई कारण प्रत्यक्ष न था, कोई भी दर्शक मुझे पागल कह सकता। उसी क्षण वहाँ चौराहे में एक दूसरा रिक्शा हमारे रिक्शा से टकरा गया। अन्जनी को थोड़ी चोट आयी। वह मेरे उपचार से ही स्वस्थ हो गई। टक्कर होने के एक क्षण पूर्व मेरी आँख खुली थी और दुर्घटना के पूर्व ही मैं कूद गई थी। महाराज मेरे साथ थे और मुझे उसी पल ये महसूस हुवा की आज नीम करोली बाबा ने मेरी प्राण रक्षा की।
यह उनकी अनन्त और अपार कृपा का फल है। मैं उनसे अपनी कृतज्ञता व्यक्त करना चाहती थी, पर उन्होंने मुझे धन्यवाद देने का अवसर ही नहीं दिया। हर बार जब भी उनके दर्शन होते वे वार्ता का विषय बदल देते, मेरी बात पर ध्यान न देते या इस दुर्घटना को स्वीकार नहीं करते थे।
श्री नीम करौली बाबा जी "करोली बाबा " की सर्वव्यापकता जगत विदित है।
अलौकिक यथार्थ से
Jai neem karoli wale baba ki guru ji mujhe ashirwad se hum aage bade
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