Neem Karoli Baba Aur Rog Mukti Vaidik Mantra प्रिय भक्तों आज हम आप सभी को ऐसे मंत्र के बारे में बताएंगे जिसका उच्चारण करके आप सभी रोगों से मुक्ति पा सकते हैं। हम सभी के जीवन में अनेकों अनेक रोग कभी न कभी आ ही जाते हैं जिनकी वजह से हम सभी का जीवन हस्त व्यस्त हो जाता है। परम पूज्य श्री नीम करोली बाबा की कृपा से और हनुमान जी के आशीर्वाद से हम सभी को बाबा जी का सानिध्य प्राप्त हुआ और बाबा जी के सानिध्य में रहकर हम सभी ने राम नाम रूपी मंत्र को जाना जिसके उच्चारण मात्र से हम सभी को प्रभु श्री राम के साथ-साथ हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है। बाबा जी के दिशा निर्देशों के अनुसार हम सभी अपने जीवन की मोह माया से मुक्ति पा सकते हैं। यूं तो जब तक जीवन है तब तक माया से मुक्ति पाना संभव नहीं हो पता परंतु गृहस्थ जीवन में रहकर भी एक सन्यासी का जीवन जीना सहज हो सकता है यदि हम ईश्वर में अपने मन को रमाने का प्रयास करें और अपने कर्म पर ध्यान दे क्योंकि गीता में भी भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि कर्म ही प्रधान है। यदि हम बिना किसी लोभ के, बिना किसी आशा के, बिना ये सोचे कि यह पुण्य है या पाप केवल ...
नीम करोली बाबा भूखे रह गये
परिचय : नीम करोली बाबा उत्तराखंड में नैनीताल के निकट भोवाली छेत्र के निकट श्री कैंची धाम में निवास करते थे। बाबा नीब करोरी और बाबा नीम करोली दोनों एक ही दिव्य विभूति के नाम है। ये दोनों नाम उनके प्यारे भक्तो ने दिए जिनको परमपूज्य श्री नीम करोली बाबा जी ने सहर्ष स्वीकार किया।
श्री कैंची धाम का पवित्र आश्रम प्रकृति की गोद में आलोकिक वातावरण और सकारात्मक ऊर्जा के भण्डार के लिए प्रसिद्ध है। देश-विदेश के अनगिनत भक्त प्रतिदिन यहाँ बाबा के दर्शन करने आते थे और आज उनके समाधिस्थ होने के बाद भी भक्तो की उनपर आस्था और विश्वास के चलते निरंतर दर्शनार्थियो की भीड़ मंदिर प्रांगण में लगी रहती है।
कानपुर की घटना :
कानपुर के एक बड़े उधोग पति की माता जी के आग्रह करने पर एक दिन बाबा जी ड्राईवर बृजलाल के साथ माता जी की कोठी पर जा पहुंचे। मारवाड़ी उधोगपति के घर सोने चाँदी के पात्रों में तरह तरह के व्यंजन देख कर बाबा जी का वैरागी मन विचलित हो गया।
गृह स्वामिनी के मन में ऐसे पात्रों में भोजन परोसते शायद कुछ दूसरा भाव आ गया हो ( अंहकार का ) की कुछ ही देर में बाबा जी ने एक पात्र में ज़रा ज़रा सा सब व्यंजनों को मिलाना शुरू कर दिया , माता जी कहती रह गयी " अरे महाराजजी , ये तो खट्टा है, ये तो मीठा है, ये नमकीन है पर महाराज जी ने सभी व्यंजनों को घोल-मोल बना दिया और ज़रा सा चखा जबकि ड्राईवर ने सबकुछ अलग अलग स्वाद से खाया । माता जी अपने व्यंजनों की ये हालत देखकर कुछ परेशान हो गई ।
कुछ देर बाद बाबा जी वापिस चल पड़े और कुछ दूर जाकर ड्राईवर से बोले , " बृजलाल , हम तो भूखे रह गये । चल तेरे घर चलते है । " ड्राईवर हैरान कि इतना बडिया खाना न खाकर बाबा मेरे घर साधारण खाना खायेंगे । पर वे क्या समझता कि बाबा क्यूँ भूखे रह गए। ड्राईवर के घर पहँच कर बाबा जी ने रोटी खाकर अपनी तृप्ति की ।
सारांश : इस छोटी सी कथा से हम सभी को ये ज्ञात होता है की दिव्य अवतारी संत महापुरुषों की कृपा दृष्टि उनके हर एक भक्त पर बिना किसी भेद भाव के पड़ती है फिर चाहे कोई सेठ हो या ड्राइवर, संतो की नज़र में सब एक समान होते है।
भक्तो द्वारा साझा किये गए अपने -अपने अनुभवों के आधार पर जो कथाएं उपलध है उन्हींका संकलन आप सभी लके समक्ष प्रयास किया गया है। कोई त्रुटि रह गयी हो तो हम आप सभी भक्तो से छमा चाहेंगे।
जय श्री कैंची धाम की
जय श्री नीम करोली बाबा की
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