शास्त्रों के मुताबिक, मंगलवार का दिन भगवान गणेश, भगवान हनुमान, और देवी दुर्गा और काली को समर्पित है। मंगलवार को बजरंगबली का दिन माना जाता है। इस दिन बजरंगबली की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। मंगलवार की पूजा मंगलवार को हनुमान जी की पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है। हनुमान जी को शक्ति, बल, साहस और संकट मोचन का देवता माना जाता है। माना जाता है कि मंगलवार के दिन अगर सच्चे मन और पूरी श्रद्धा के साथ हनुमान जी की पूजा की जाए तो व्यक्ति को हर संकट से मुक्ति मिल जाती है। शास्त्रों के मुताबिक, मंगलवार के दिन देवी पूजा के लिए पंचमेवा, मिष्ठान, फल, लाल रंग के पुष्प और माला, कलावा, दिया, बाती, रोली, सिंदूर, पानी वाला नारियल, अक्षत, लाल कपड़ा, पूजा वाली सुपारी, लौंग, पान के पत्ते, गाय का घी, कलश, आम का पत्ता, कमल गट्टा, समिधा, लाल चंदन, जौ, तिल, सोलह श्रृंगार का सामान आदि रखना चाहिए। मंगलवार को व्रत रखने से कुंडली में मंगल दोष से मुक्ति भी मिल सकती है। मंगलवार के दिन में क्या खास है? मंगलवार का दिन हनुमान जी को समर्पित है. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, मंगलवार के दिन ही बजरं
नीम करोली बाबा गायब हो गए - श्री कैंची धाम । Neem karoli baba gayab ho gaye - Shri Kainchi Dham
एक बार कांग्रेस के कुछ पचास साठ कार्यकर्ता महाराज जी के दर्शन के लिए आ रहे थे । उस वक्त महाराज जी हनुमानगढ़ में थे। महाराज जी ने दूर से देख लिया कि वे लोग आश्रम की तरफ आ रहे हैं। उन्होंने एक भारतीय संन्यासी रामदास को साथ लिया और पहाड़ी से नीचे उतरकर एक देवी मंदिर में चले गये।
इधर पार्टी के लोग जब आश्रम में पहुंचे तो उन्होंने महाराज जी के बारे में पता किया। वहां लोगों ने बता दिया कि वे पहाड़ी से नीचे की तरफ गये हैं।वे लोग नीचे उतरकर उसी मंदिर के पास पहुंच गये जहां महाराज जी रामदास के साथ मंदिर के बाहर ही बैठे हुए थे।वे लोग साठ फीट दूर खड़े होकर मंदिर के चारों तरफ देखने लगे लेकिन उन लोगों को न महाराज जी दिखाई दिये और न ही रामदास।
उन्हीं के सामने खड़े होकर वे लोग नीम करौली बाबा के बारे में आपस में पूछताछ कर रहे थे लेकिन महाराज जी उनको दिखाई नहीं दे रहे थे अर्थात नीम करोली बाबा गायब हो गए परन्तु केवल उनलोगो की दृस्टि में।
तभी रामदास को बड़ी जोर की खांसी आने को हुई. वे हशीश पीते थे और उनको खांसी आती रहती थी। उन्होंने मुंह दबाते हुए महाराज जी की तरफ देखा कि कहीं खांसने पर उनका पता न चल जाए परन्तु महाराज जी ने उनसे कहा, 'चिंता मत करो। जितना खांस सकते हो खांस लो' और रामदास तब तक खांसते रहे जब तक उन्हें आराम नहीं मिल गया।
लेकिन वहां मौजूद अन्य लोगों को न तो रामदास की खांसी सुनाई दी और न ही उन दोनों की बातचीत। जब कांग्रेस वाले हारकर वहां से चले गये तदुपरांत ही महाराज जी प्रकट हुए।
#महाराजजीकथामृत
(रामदास, मिराकल आफ लव, दूसरा संस्करण, 1995, पेज- 115)
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श्री नीम करोली बाबा की जय
श्री कैंची धाम की जय
Ashram Address-Bhowali to Neem Karoli Ashram (Shri Kainchi Dham)
एक बार कांग्रेस के कुछ पचास साठ कार्यकर्ता महाराज जी के दर्शन के लिए आ रहे थे । उस वक्त महाराज जी हनुमानगढ़ में थे। महाराज जी ने दूर से देख लिया कि वे लोग आश्रम की तरफ आ रहे हैं। उन्होंने एक भारतीय संन्यासी रामदास को साथ लिया और पहाड़ी से नीचे उतरकर एक देवी मंदिर में चले गये।
इधर पार्टी के लोग जब आश्रम में पहुंचे तो उन्होंने महाराज जी के बारे में पता किया। वहां लोगों ने बता दिया कि वे पहाड़ी से नीचे की तरफ गये हैं।वे लोग नीचे उतरकर उसी मंदिर के पास पहुंच गये जहां महाराज जी रामदास के साथ मंदिर के बाहर ही बैठे हुए थे।वे लोग साठ फीट दूर खड़े होकर मंदिर के चारों तरफ देखने लगे लेकिन उन लोगों को न महाराज जी दिखाई दिये और न ही रामदास।
उन्हीं के सामने खड़े होकर वे लोग नीम करौली बाबा के बारे में आपस में पूछताछ कर रहे थे लेकिन महाराज जी उनको दिखाई नहीं दे रहे थे अर्थात नीम करोली बाबा गायब हो गए परन्तु केवल उनलोगो की दृस्टि में।
तभी रामदास को बड़ी जोर की खांसी आने को हुई. वे हशीश पीते थे और उनको खांसी आती रहती थी। उन्होंने मुंह दबाते हुए महाराज जी की तरफ देखा कि कहीं खांसने पर उनका पता न चल जाए परन्तु महाराज जी ने उनसे कहा, 'चिंता मत करो। जितना खांस सकते हो खांस लो' और रामदास तब तक खांसते रहे जब तक उन्हें आराम नहीं मिल गया।
लेकिन वहां मौजूद अन्य लोगों को न तो रामदास की खांसी सुनाई दी और न ही उन दोनों की बातचीत। जब कांग्रेस वाले हारकर वहां से चले गये तदुपरांत ही महाराज जी प्रकट हुए।
#महाराजजीकथामृत
(रामदास, मिराकल आफ लव, दूसरा संस्करण, 1995, पेज- 115)
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श्री नीम करोली बाबा की जय
श्री कैंची धाम की जय
Ashram Address-Bhowali to Neem Karoli Ashram (Shri Kainchi Dham)
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