शुक्रवार का दिन देवी महालक्ष्मी और शुक्र देव का दिन माना जाता है। शुक्रवार को मां लक्ष्मी की पूजा करने से जीवन में सुख-सुविधा की कमी नहीं रहती। साथ ही, शुक्र ग्रह की शुभता से सौंदर्य में निखार, ऐश्वर्य, कीर्ति और धन-दौलत प्राप्त होती है। Shukrawar ( Friday) Ka Devta शुक्रवार को मां संतोषी की पूजा और व्रत भी किया जाता है। हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, मां संतोषी को भगवान श्री गणेश की पुत्री माना जाता है। मान्यता है कि मां संतोषी की पूजा करने से साधक के जीवन में आ रही तमाम तरह की समस्याएं दूर होती हैं और उसे सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही, जिन्हें संतान सुख प्राप्त नहीं हो पा रहा वो संतान प्राप्ति के लिए इस व्रत को करते हैं। शुक्रवार को वैभव लक्ष्मी व्रत भी रखा जाता है. हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, माता वैभव लक्ष्मी से सुख-समृद्धि और धन-धान्य का आशीर्वाद पाने के लिए शुक्रवार का व्रत सबसे उत्तम उपाय है। शुक्रवार का नाम शुक्र देवता के नाम पर ही पड़ा है। नॉर्स पौराणिक कथाओं में फ्रिग ओडिन की पत्नी हैं। उन्हें विवाह की देवी माना जाता था। शुक्रवार को किसका व्रत करना चाहिए?
श्रद्धा और विश्वास - श्री कैंची धाम
श्रद्धा और विश्वास का केंद्र है श्री कैंची धाम। सन 1974 में स्टीव जोब्स श्री ब्रह्मचारी बाबा जी के साथ श्री कैंची धाम आश्रम मे जो की नैनीताल से 38 किमी दूर भवाली के रास्ते में पड़ता है आ पहुंचे । बाबा नीम करोली ने इस स्थान पर सन 1964 में आश्रम बनाया था। इन्हीं बाबा नीब करौरी को हनुमान जी का धरती पर दूसरा रूप कहा जाता है। वैसे बाबा का असली नाम श्री लक्ष्मी नारायण शर्मा था। महाराज जी द्वारा स्थापित ये आश्रम अपनी स्थापना के बाद से अब तक भव्य मंदिर का रूप ले चूका है जहाँ मां दुर्गा, वैष्णो देवी, हनुमान जी और राधा कृष्ण की मूर्तियां विराजमान हैं। मंदिर में आज भी बाबा की निजी वस्तुएं, गद्दी, कंबल, छड़ी आज भी वैसे ही सुरक्षित हैं जैसी उनके जीवन में थीं। पर्यटकों के लिए आज वही मुख्य दर्शन का केंद्र हैं।
दिव्य शक्तियों के स्वामी माने जाते हैं
कहते हैं कि इस मंदिर के संस्थापक बाबा दिव्य शक्तियों के स्वामी थे, पर वे आडंबरों से दूर रहते थे। उनके माथे पर न त्रिपुण्ड लगा होता था न गले में जनेऊ और कंठमाला। उन्होंने देह पर साधुओं वाले वस्त्र भी कभी धारण नहीं किए। आश्रम आने वाले भक्त जब उनके पैर छूने लगते थे तो वे कहते थे पैर मंदिर में बैठे हनुमान बाबा के छुओ।
देश विदेश में हैं भक्त
केंची धाम पर श्रद्धा और विश्वास रखने वाले भक्त देश ही नहीं अपितु विदेश में भी हैं। जैसे विदेशी भक्त और जाने-माने लेखक रिच्रर्ड एलपर्ट जिन्होंने मिरेकल आफ लव नाम से बाबा पर पुस्तक लिखी है, जिसमें बाबा के चमत्कारों का विस्तार से वर्णन है। ठीक इसी प्रकार हॉलीवुड अभिनेत्री जूलिया राबर्ट्स भी बाबा की परम भक्त बताई जाती हैं। इसी स्थान से प्रभावित होकर उन्होंने हिंदू धर्म स्वीकार कर लिया। कुछ साल पहले फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग भी यहां आए थे। श्री कैंची धाम की यात्रा एप्पल कंपनी के फाउंडर स्टीव जाब्स ने भी की थी और बाबा के दिए सेब को उन्होंने एप्पल कंपनी का लोगो बना दिया।
हिमाचल में संकट मोचन हनुमान धाम की स्थापना
बाबा नीब करौरी महाराज अर्थात बाबा नीम करोली ने एक धाम नैनीताल जिले के कैंची में बनाया तो दूसरा हिमाचल में। 1962 में हिमाचल के तत्कालीन लेफ्टिनेट गर्वनर राजा बजरंग बहादुर सिंह जो भद्री रियासत के राजा थे, ने बाबा की इच्छा पर यहां मंदिर का निर्माण शुरू करा दिया। 21 जून, 1966 दिन मंगलवार को इसका शुभारंभ हुआ, इसको इतना अद्भुत बनाया गया है कि शिमला आने वाले पर्यटक जाए बिना रह ही नहीं पाते।
ऐसे जायें श्री कैंची धाम
आप अगर बाबा के आश्रम श्री कैंची धाम दर्शन के लिए आना चाहते हैं तो दिल्ली से काठगोदाम के लिए सीधे ट्रेन है। काठगोदाम रेलवे स्टेशन पर उतर कर वहां से टैक्सी सेवा ले सकते हैं। अगर रोडवेज बस से जा रहे हैं तो हल्द्वानी पहुंचें, वहां से वाया भुवाली होते हुए अल्मोड़ा वाली रोडवेज बस लें या फिर सीधे टैक्सी सेवा ले लें। हल्द्वानी और काठगोदाम एक ही शहर के दो पार्ट है। यह जरूर है कि हल्द्वानी बस स्टैंड पहले और काठगोदाम बस स्टैंड बाद में पड़ेगा।
पूज्य श्री नीम करोली बाबा की जय
श्री कैंची धाम की जय
श्रद्धा और विश्वास का केंद्र है श्री कैंची धाम। सन 1974 में स्टीव जोब्स श्री ब्रह्मचारी बाबा जी के साथ श्री कैंची धाम आश्रम मे जो की नैनीताल से 38 किमी दूर भवाली के रास्ते में पड़ता है आ पहुंचे । बाबा नीम करोली ने इस स्थान पर सन 1964 में आश्रम बनाया था। इन्हीं बाबा नीब करौरी को हनुमान जी का धरती पर दूसरा रूप कहा जाता है। वैसे बाबा का असली नाम श्री लक्ष्मी नारायण शर्मा था। महाराज जी द्वारा स्थापित ये आश्रम अपनी स्थापना के बाद से अब तक भव्य मंदिर का रूप ले चूका है जहाँ मां दुर्गा, वैष्णो देवी, हनुमान जी और राधा कृष्ण की मूर्तियां विराजमान हैं। मंदिर में आज भी बाबा की निजी वस्तुएं, गद्दी, कंबल, छड़ी आज भी वैसे ही सुरक्षित हैं जैसी उनके जीवन में थीं। पर्यटकों के लिए आज वही मुख्य दर्शन का केंद्र हैं।
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कहते हैं कि इस मंदिर के संस्थापक बाबा दिव्य शक्तियों के स्वामी थे, पर वे आडंबरों से दूर रहते थे। उनके माथे पर न त्रिपुण्ड लगा होता था न गले में जनेऊ और कंठमाला। उन्होंने देह पर साधुओं वाले वस्त्र भी कभी धारण नहीं किए। आश्रम आने वाले भक्त जब उनके पैर छूने लगते थे तो वे कहते थे पैर मंदिर में बैठे हनुमान बाबा के छुओ।
देश विदेश में हैं भक्त
केंची धाम पर श्रद्धा और विश्वास रखने वाले भक्त देश ही नहीं अपितु विदेश में भी हैं। जैसे विदेशी भक्त और जाने-माने लेखक रिच्रर्ड एलपर्ट जिन्होंने मिरेकल आफ लव नाम से बाबा पर पुस्तक लिखी है, जिसमें बाबा के चमत्कारों का विस्तार से वर्णन है। ठीक इसी प्रकार हॉलीवुड अभिनेत्री जूलिया राबर्ट्स भी बाबा की परम भक्त बताई जाती हैं। इसी स्थान से प्रभावित होकर उन्होंने हिंदू धर्म स्वीकार कर लिया। कुछ साल पहले फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग भी यहां आए थे। श्री कैंची धाम की यात्रा एप्पल कंपनी के फाउंडर स्टीव जाब्स ने भी की थी और बाबा के दिए सेब को उन्होंने एप्पल कंपनी का लोगो बना दिया।
हिमाचल में संकट मोचन हनुमान धाम की स्थापना
बाबा नीब करौरी महाराज अर्थात बाबा नीम करोली ने एक धाम नैनीताल जिले के कैंची में बनाया तो दूसरा हिमाचल में। 1962 में हिमाचल के तत्कालीन लेफ्टिनेट गर्वनर राजा बजरंग बहादुर सिंह जो भद्री रियासत के राजा थे, ने बाबा की इच्छा पर यहां मंदिर का निर्माण शुरू करा दिया। 21 जून, 1966 दिन मंगलवार को इसका शुभारंभ हुआ, इसको इतना अद्भुत बनाया गया है कि शिमला आने वाले पर्यटक जाए बिना रह ही नहीं पाते।
ऐसे जायें श्री कैंची धाम
आप अगर बाबा के आश्रम श्री कैंची धाम दर्शन के लिए आना चाहते हैं तो दिल्ली से काठगोदाम के लिए सीधे ट्रेन है। काठगोदाम रेलवे स्टेशन पर उतर कर वहां से टैक्सी सेवा ले सकते हैं। अगर रोडवेज बस से जा रहे हैं तो हल्द्वानी पहुंचें, वहां से वाया भुवाली होते हुए अल्मोड़ा वाली रोडवेज बस लें या फिर सीधे टैक्सी सेवा ले लें। हल्द्वानी और काठगोदाम एक ही शहर के दो पार्ट है। यह जरूर है कि हल्द्वानी बस स्टैंड पहले और काठगोदाम बस स्टैंड बाद में पड़ेगा।
पूज्य श्री नीम करोली बाबा की जय
श्री कैंची धाम की जय
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