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Showing posts from October, 2019

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नीम करोली बाबा ने बताया बीमारियों से मुक्ति पाने का मंत्र

Neem Karoli Baba Aur Rog Mukti Vaidik Mantra प्रिय भक्तों आज हम आप सभी को ऐसे मंत्र के बारे में बताएंगे जिसका उच्चारण करके आप सभी रोगों से मुक्ति पा सकते हैं। हम सभी के जीवन में अनेकों अनेक रोग कभी न कभी आ ही जाते हैं जिनकी वजह से हम सभी का जीवन हस्त व्यस्त हो जाता है। परम पूज्य श्री नीम करोली बाबा की कृपा से और हनुमान जी के आशीर्वाद से हम सभी को बाबा जी का सानिध्य प्राप्त हुआ और बाबा जी के सानिध्य में रहकर हम सभी ने राम नाम रूपी मंत्र को जाना जिसके उच्चारण मात्र से हम सभी को प्रभु श्री राम के साथ-साथ हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है। बाबा जी के दिशा निर्देशों के अनुसार हम सभी अपने जीवन की मोह माया से मुक्ति पा सकते हैं। यूं तो जब तक जीवन है तब तक माया से मुक्ति पाना संभव नहीं हो पता परंतु गृहस्थ जीवन में रहकर भी एक सन्यासी का जीवन जीना सहज हो सकता है यदि हम ईश्वर में अपने मन को रमाने का प्रयास करें और अपने कर्म पर ध्यान दे क्योंकि गीता में भी भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि कर्म ही प्रधान है। यदि हम बिना किसी लोभ के, बिना किसी आशा के, बिना ये सोचे कि यह पुण्य है या पाप केवल ...

नीब करोरी और नीम करोली में अंतर | NEEB KARORI AUR NEEM KAROLI MEIN ANTAR - Shri Kainchi Dham

  नीब करोरी और नीम करोली में अंतर  | NEEB KARORI  AUR  NEEM KAROLI MEIN ANTAR श्री कैंची धाम के भगवान् के रूप में श्री हनुमान जी महाराज और श्री नीम करोली बाबा जी को आज सारा संसार पूज्य है । यूं तो महाराज जी के भक्तो ने उनको अनेकों नाम दिए पर जिस नाम से बाबा विश्व विख्यात हुवे वो नाम था नीब करोरी और नीम करोली । बाबा जी ने लक्ष्मी नारायण के रूप में जन्म लिया था ज। वे सुदूर सत्य कि खोज में निकले तब लोग उन्हें लक्ष्मण दास के नाम से जानते थे । बाबा जी कुछ समय के लिए राजस्थान मे किसी स्थान पर रहे थे जहाँ पर तिकोनियाँ बाबा जी कहलाये। बावानियाँ में पहुचने पर तलैया बाबा कहलाये । यहां से वृंदावन आने पर चमत्कारी बाबा कहलाये। उसके बाद नीब करोरी ग्राम में आने पर लक्ष्मण दास बाबा जी कहलाये।जब उत्तराखंड मे बाबा जी पहुंचे तब महाराज कहलाये, बाबा जी ने नीब करोरी ग्राम का नाम हमेशा अपने से जोड़ कर रखा इसी लिए बाबा जी स्वयं नीब  करोरी बाले बाबा कहलाये। जिसमें बहुत ज्यादा भ्रम कि स्थिति आगई। नीब करोरी ग्राम को अंग्रेजी में NEEB KARORI लिखा जाता है, जबकि पहले इस...

आई मौत टल गई - श्री कैंची धाम | Aayi maut tal gayi -Shri Kainchi Dham

आई मौत टल गई - श्री कैंची धाम  |  Aayi maut tal gayi -Shri Kainchi Dham नीम करोली बाबा की कृपा से पूरे विश्व के अनगिनत भक्तो के जीवन में चमत्कार हुवे और उनमें से बहुत के प्राणों की रक्षा भी स्वयं बाबा ने कि । इसी संदर्भ में आज हम आपको एक सत्य घटना बताने जा रहे है जिसे जानकर आपको ये पूर्ण विश्वास हो जाएगा कि महाराज जी अर्थात नीम करोली बाबा के लिए कुछ भी असंभव नहीं था । हेमदा का बड़ा पुत्र, रब्बू (रविन्द्र कुमार जोशी) तब जमशेदपुर में विजय मशीनरी (उषा सेल्स) में सेल्स - ब्रांच में था। सेल्स के सिलसिले में वह राँची गया था। अपने काम के बाद एक साझे की टैक्सी से वह जमशेदपुर वापिस आ रहा था। चाईबासा से काफी पहले टैक्सी का ब्रेक फेल हो गया और उस पहाड़ी ढाल वाली सड़क पर टैक्सी बिना ब्रेक -क्लच के ट्रोल के नीचे को दौड़ पड़ी - तेज, और तेज। स्थिति समझकर 21 - 22 वर्ष का रब्बू जोर से चिल्ला उठा, महाराज ! उसका इस तरह चिल्लाना था कि एक चौड़े मोड़ पर टैक्सी एकाएक घूमकर चक्कर लगाने लगी जबकि सरदार ड्राइवर उसे केवल मोड़ पर स्टीयरिंग घुमाकर नीचे जाती सड़क पर लाना चाहता था - नीचे खड्ड में गिरने से बच...

Kainchi dham ke bhagwan - Shri Kainchi Dham | कैंची धाम के भगवन - श्री कैंची धाम

 कैंची धाम के भगवन - श्री कैंची धाम श्री कैंची  धाम में ऐसा क्या था की आज सारी दुनिया श्री कैंची धाम की ओर आकर्षित हो रही है। होने को तो वो सिर्फ एक हनुमान मंदिर ही था पर उसका इतना प्रभाव कैसे हुवा की दुनिया के बड़े-बड़े उद्योगपति भी श्री कैंची धाम के कायल हो गए। आज इस अद्भुत सत्य को जानिये की श्री कैंची धाम अपने दिव्य हनुमान मंदिर के साथ अपने दिव्य अवतार , हनुमत स्वरुप परम पूज्य नीम करोली बाबा के लिए जाना जाता है।  पूज्य नीम करोली बाबा भक्तवत्सल ,परम कृपालु और करुणा से ओत प्रोत महान संत थे । उनके हृदय में सम्पूर्ण मानव जाति ही नहीं अपितु संसार के प्रत्येक प्राणी के लिए अपार प्रेम निहित था।  आज हम आपको एक जीवंत प्रमाण देने जा रहे है  जब बाबा स्वयं विद्यालय जा पहुंचे एक भक्त की लड़की की  फीस जमा करने।  टीटागढ़ पेपर कम्पनी  के मैनेजर के सहायक श्री एम.बी.लाल नीम करोली बाबा  के बड़े  भक्त थे। बाबाजी उन्हें रमेश नाम से पुकारते थे । एक बार बाबाजी के कानपुर आगमन पर वह जानकारी  मिलते ही सब कार्य छोड़...

Neem Karoli Maharaj Ke 108 Mandir | नीम करोली महाराज के 108 मंदिर

Neem Karoli Maharaj Ke 108 Mandir  पूरी दुनियां में नीम करोली महाराज के 108 से अधिक मन्दिर है। लगभग प्रत्येक धर्म में महाराज जी को मानने बाले भक्त है। सभी भक्त और सम्पूर्ण संसार उनके पुत्र के सामान है। फिर जब हम महाराज जी के भक्त या शिष्य व अनुयायी कहलाते है, तब हमे क्यों महसूस नहीं होता। क्योकी हम खुद को  भेद दृष्टी की जंजीरों में बांधे हुवे है। हम जाति-पाती, उंच-नीच, बड़ा भक्त, छोटा भक्त, परिवार का वाहरी, आदी बातों से जूझ रहे है। हम स्वार्थ और अहम् के आगे सर्वम् तक सोच ही नही पा रहे। हम महाराज जी के आश्रम मे जन्म से मृत्यु तक सेवा देदें, फिर भी अगर 'मैं, भाव बना रहा तब क्या महाराज जी हमें अपनाएंगे? क्या महाराज जी की कृपा भेद दृष्टी वालो को प्राप्त होगी? महाराज सब देखते हैं,, ज्यादातर सभी भक्त यही कहते है। क्या इसे अनदेखा कर देंगे? मैं उन सभी भक्तों से माफी चाहता हूँ जिनसे कभी मेरा विवाद रहा या अभी उन्हे लगता है की मेरे साथ उनका विवाद है। पर ऐसा कतई नही हैं। हो सकता है मेरी सोच स्वयं संकुचित हो तो कृपा कर आप खुद की सोच विस्त...

कैंची धाम की सिद्घ आत्माएं - श्री कैंची धाम

कैंची धाम की सिद्घ आत्माएं - श्री कैंची धाम एक दिन कैंची आश्रम में बाबा जी ने रामायाणी श्री शंकर प्रसाद व्यास से कहा ," इन पर्वतों में सिद्ध आत्मायें वास करती है । तू इन्हें रोज़ हनुमानजी की कथा सुनाया कर ।" व्यास जी ने कथा करनी आरम्भ कर दी उस निर्जन स्थान पर केवल कुछ महिलाएं ही कथा सुनने आती थी । तीन दिन तक यही होता रहा । व्यास जी परेशान होकर बाबा के पास गये और बोले ," महाराज कथा तो चल रही है , मगर श्रोता नही आते ।" बाबा बोले," तुझे लोगों से क्या लेना , हमने तुझे सिद्ध आत्माओं को कथा सुनाने को कहीं थी । देख कल एक बूडिया  भी कथा सुनने आयेगी । उसकी भद्दी शक्ल देखकर घृणा न करना, नहीं तो वे शाप दे जायेगी ।" दुसरे दिन तो बाबा की कृपा से कुटी भरी थी । बहूत सी प्रतिष्ठित हस्तियाँ वहाँ मौजूद थी । ज़्यादातर राजनीतिक लोग थे । इन सबके आगे बूडिया बैठी थी जिसके बारे में बाबा पहले ही बता चूके थे । प्रवचन समाप्त होते ही बूडिया सबसे पहले कमरे से बाहर निकली और एकदम से ग़ायब हो गयी । ये सब खेल बाबा की प्रेरणा शक्ति से ही संभव था । जाने कितनी सिद्ध आत्मायें उस कथा...

हनुमान के अवतार नीम करोली बाबा - श्री कैंची धाम | Hanuman Ke Avtar Neem Karoli Baba

Neem Karoli Baba आज पुरे विश्व में पूज्य श्री नीम करोली बाबा जी के असंख्य भक्त है और उनमें से ज़्यादातर भक्तो का मानना है की श्री नीम करोली बाबा श्री हनुमान जी के अवतार थे क्योकि बाबा की जीवन शैली और उनके   चमत्कार इस बात का प्रमाण देते है की उनका सम्बन्ध साक्षात् श्री हनुमान जी से था। इसी तथ्य  के प्रमाण के रूप में आज एक घटना का जिक्र हो रहा है।  कैंची धाम में बाबा एक दिन शंकर प्रसाद व्यास जी के साथ टहल रहे थे । बाबा व्यास जी के कन्धे पर हाथ रख कर चल रहे थे । एकाएक व्यास जी के मन में विचार आया कि लोग कहते है की बाबा को हनुमान के अवतार  है , पर इस बात पर विश्वास कैसे किया जाये । अभी वे सोच ही रहे थे कि बाबा का कंधे पर रखा हाथँ उनको भारी महसूस होने लगा और धीरे-धीरे उसका भार बड़ता ही चला गया । यहाँ तक कि उनका कंधा जवाब देने लगा । हाथ सहज रूप से आपके कन्धे पर पड़ा था उसका आकार भी यथावत था ।  व्यास जी बहूत  परेशान हो गये । प्रेम से रखे इस महान विंभूति के हाथ को हटाने में व्यास जी को संकोच हो रहा था , पर उसका भार बड़ता जा...

नीम करोली बाबा ने युधिष्ठिर को दिया प्राण दान - श्री कैंची धाम

नीम करोली बाबा ने युधिष्ठिर को दिया प्राण दान  - श्री कैंची धाम   नीम करोली बाबा  जी के भगत श्री ओंकार सिंह जी के पुत्र ,युधिष्ठिर सिंह के साथ बाबा नीम करोली  उसी की गाड़ी में भूमियाधार आये थे। रात्रि विश्राम के बाद सुबह ब्रम्ह मुहूर्त के अंधेरे में ही युधिष्ठिर और उमादत्त शुक्ल मंदिर से बाहर आ गए कि अंधेरे-अंधेरे में ही शौचादि से निपट लें। कुछ दूर पर एक चट्टान पर से अपना कोट जैसे ही उठाना चाहा कि उन्हें एक काले नाग(कोबरा) ने डस लिया। युधिष्ठिर चिल्लाते हुए मंदिर की तरफ भागे कि," साँप ने काट लिया ", पर आधे मार्ग में ही अचेत होकर गिर पड़े । कुछ ही देर में उनका सारा शरीर विष के प्रभाव से काला पड़ गया और उन्हें अन्य लोग मंदिर के पास ले आये । वे सब प्रकार से मृत हो चुके थे। उधर नीम करोली बाबा  चिल्लाते रहे कि ,"युधिष्ठिर मर गया है। इसके बाप को खबर भेज दो"। कुछ देर बाद उन्होनें बृहमचारी बाबा को डाँट लगाई कि ,"देखते क्या हो । इसे खूब तेज चाय पिलाओ"। ऐसा ही करने का प्रयास किया गया पर मृत(?) को कैसे पिलाई जाती चाय ? तब बाबा जी स्वयं आये ,युधिष्ठिर को ड...