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Showing posts from April, 2021

Neem Karli Baba Miracles : Lota

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Neem Karoli Baba | नीम करोली बाबा नीम करोली बाबा अपने समय के विश्व विख्यात संतो में से एक थे। जिनके श्री विग्रह के दर्शन कर करोड़ों भक्तो ने अपने जीवन को कृतार्थ किया। बाबा ने उत्तराखंड के श्री कैंची धाम को अपनी कर्म भूमि बना वह पर निवास किया और करोड़ों भक्तो को भक्ति का सही मार्ग दिखाते हुवे उनका उद्धार किया। Neem Karli Baba Miracles : Lota सन् 1957 में हल्द्वानी देवी ऑयल मिल्स में सदगुरुदेव हनुमान स्वरूप पूज्य बाबा श्री नीब करौरि महाराज का दरबार लगा हुआ था।भीड़ के पीछे एक कृषकाय दरिद्र वृद्ध बैठा हुआ था।जीवन में नाम बहुत सुना परन्तु पूज्य बाबा का दर्शन प्रथम बार पा रहा था। अचानक पूज्य बाबा ने गर्जना करते हुए कहा कि "इस वृद्ध को यहां मेरे पास ले आओ।" उसे पूज्य बाबा के पास लाया गया।तब बाबा जी बोले "कुछ खाने को नहीं तेरे पास" उस दरिद्र वृद्ध ने गर्दन हिला दी।फिर पूज्य बाबा बोले "तू हमेशा एक लोटा अपने पास छिपाकर रखता है, ला उसे हमें दे।" दरिद्र वृद्ध को आश्चर्य हुआ कि बाबा उस लौटे के बारे में कैसे जानते है?उसने झिझकते हुए लोटा निकालकर पूज्य बाबा जी को दिया। ...

Navratri 9th Day: Mata Siddhidatri

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 नवरात्रि नवमी माता सिद्धिदात्री Navratri 2021 9th Day: Mata Siddhidatri नवरात्रि के नवें दिन अर्थात नवमी तिथि के दिन माता सिद्धिदात्री की पूजा के विशेष महत्व है। यह देवी सर्व सिद्धियां प्रदान करने वाली है। माता सिद्धिदात्री के दाहिनी तरफ नीचे वाले हाथ में चक्र ऊपर वाले हाथ में गदा तथा बायी तरफ के नीचे वाले हाथ में शंख और ऊपर वाले हाथ में कमल का पुष्प है। इनका वाहन सिंह है और यह कमल पुष्प पर भी आसीन होती है। विधि-विधान से नौवे दिन इस देवी की उपासना करने से सिद्धियां प्राप्त होती है। Mata Siddhidatri Mantra ॥स्तुति मंत्र॥ सिद्धगंधर्वयक्षाद्यैः, असुरैरमरैरपि । सेव्यमाना सदा भूयात्, सिद्धिदा सिद्धिदायिनी ॥ (सिद्ध, गंधर्व, यक्ष, असुर और अमरता प्राप्त देवों के द्वारा भी पूजित और सिद्धियों को प्रदान करने की शक्ति से युक्त मां सिद्धिदात्री हमें भी सिद्धियां प्रदान करें) भोग : उपवास के बाद माता को तिल का भोग लगाना चाहिए, ऐसा करने से मृत्यु के भय से राहत मिलती है और अनहोनी घटनाओं से बचाव होता है। इस दिन देवी को शहद भी अर्पित करना चाहिए और धन का लावा अर्पित करके ब्राह्मणों को दान दे दे...

Navratri 8th Day: Mata Mahagauri

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नवरात्रि अष्टम दिवस: माता महागौरी  नवरात्रि के अष्टम दिवस पर माता महागौरी की उपासना की जाती है। माता महागौरी के इस दिव्य स्वरूप में उनके सभी वस्त्र और आभूषण सफेद है अतः इसीलिए माता को श्वेतांभरधरा भी कहा जाता है। मां दुर्गा के अष्टम स्वरूप में माता महागौरी की पूजा करने से संतान संबंधी कष्टों से मुक्ति मिलती है। माता महागौरी की उपासना से भक्तो के सभी पाप नष्ट हो जाते है यहां तक की पूर्व संचित पाप भी नष्ट हो जाते है। अष्टमी के दिन महिलाएं अटल सुहाग की कामना से माता महागौरी को चुनरी भेट करती हैं। Mata Mahagauri Ka Swaroop Varnan माता महागौरी की चार भुजाएं हैं, इनके ऊपर का दाहिना हाथ अभय मुद्रा में है, और नीचे वाले दाहिने हाथ में त्रिशूल है। उपर वाले बायें हाथ में डमरू और नीचे का बायां हाथ वर मुद्रा में है। माता महागौरी का वाहन वृषभ (बैल) है।  अत्यन्त शांत रहने वाली माता महागौरी की उपासना से भक्तों के सभी पाप संताप और दुःख स्वयं नष्ट हो जाते हैं। माता की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने माता महागौरी के ऊपर गंगा जल डाला तभी से इनका रंग पूर्ण सफेद हो गया। Mata Mahagauri Mant...

Navratri seventh Day : Maa Kalratri

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Maa Kalratri: Navratri Saptam Diwas नवरात्रि के सप्तम दिवस की अधिष्ठात्री देवी मां कालरात्रि है। मां कालरात्रि माता दुर्गा का सप्तम स्वरूप माना जाता है। मां कालरात्रि परम दयालु और करुणामई है। माता अपने भक्तो को हर संकट से उबरकर उनका कल्याण करती है। Maa Kalratri Ka Swaroop मां कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यंत भयानक है परंतु ये सदैव शुभ फल देने वाली माता है। इसी कारण इनका एक नाम शुंभकारी भी है । मां कालरात्रि (Maa Kalratri) दुष्टों का नाश करने वाली माता है। दानव, दैत्य,भूत, प्रेत, राक्षस आदि इनके नाम के स्मरण मात्र से ही भयभीत होकर भाग जाते है। ये ग्रह बाधाओं को भी दूर करने वाली है। Maa Kalratri Rahasya मां कालरात्रि के शरीर का रंग काला और मां के बाल रौद्र रूप में होने के कारण बिखरे हुए दिखाई देते है। मां कालरात्रि का वाहन गधा है। शास्त्रों में देवी कालरात्रि को त्रिनेत्री कहा गया है। इनके तीन नेत्र ब्रह्मांड की तरह विशाल हैं, जिनमें से बिजली की तरह किरणें प्रज्वलित हो रही हैं।  इनके बाल खुले और बिखरे हुए हैं जो की हवा में लहरा रहे हैं। गले में विद्युत की चमक वाली माला है। इनकी न...

6th Day Of Navratri: Maa Katyayani

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Maa Katyayani: 6th Day Of Navratri ममतामयी मां दुर्गा के षष्ठम स्वरूप का नाम मां कात्यायनी है। महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर माता आदिशक्ति ने उनके गृह में अवतार धारण किया। तत्पश्चात माता का नाम कात्यायनी पड़ा। पवित्र नवरात्रि के छठे दिन माता कात्यायनी की पूजा पूर्ण विधि विधान के साथ की जाती है। कात्यायनी मंत्र अर्थ सहित ॥ स्तुति मंत्र॥ चंद्रहासोज्ज्वलकरा, शार्दूलवरवाहना।  कात्यायनी शुभं दद्यात्, देवी दानवघातनी।। (चंद्रहास की भांति देदीप्यमान, शार्दूल अर्थात् शेर पर सवार और दानवों का विनाश करने वाली मां कात्यायनी हम सबके लिये शुभदायी हों) भोग : माता कात्यायनी को शहद का भोग लगाने से उपवास करने वाले की आकर्षण शक्ति में वृद्धि होती है। Maa Katyayani Swaroop Varnan मां कात्यायनी क्रोध का वो स्वरूप है जो समस्त संसार की नकारात्मकता को समाप्त करके सकारात्मक ऊर्जा में परिवर्तित कर उसका समस्त संसार में प्रसार करती है। मां कात्यायनी सदैव अपने भक्तो पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखती है। अपने प्रत्येक सच्चे भक्त की हर मनोकामना मां सदैव पूरा करती है। Maa Katyayani image Maa Katyayani Pr...

Navratri Fifth Day : Maa Skandamata

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Navratri Pujan: Skandamata प्रिय भक्तों नवरात्रि के पंचम दिवस में माता स्कंदमाता की पूजा की जाती है। स्कंदमाता, माता आदिशक्ति के ही पांचवें स्वरूप को कहा जाता है। इस स्वरूप में माता का नाम स्कंद इसलिए पड़ा क्योंकि माता के पुत्र भगवान स्वामी कार्तिकेय का नाम स्कंद है और जो स्कंद की माता हैं उन्हें स्कंदमाता कहा जाता है। Skandamata Ka  Swaroop आदि शक्ति के इस रूप में माता की चार भुजाएं हैं। माता अपने दोनों हाथ में कमल के पुष्प को धारण किए हुए हैं और अपने एक हाथ से कुमार कार्तिकेय को गोद लिए हुए हैं।  Skandamata Ka Divya Darshan  मोक्ष के द्वार खोलने वाली मां स्कंदमाता परम सुखदाई है। पौराणिक कथाओं में यह सुनने को मिलता है कि स्कंदमाता की उपासना से सारी इच्छाएं पूर्ण हो जाती हैं और प्राणियों के सारे मनोरथ सफल होते हैं।  Skandamata Ka Rang  स्कंदमाता के दिव्य स्वरूप का वर्णन करना सहज नहीं है। पौराणिक मान्यताओं और कथाओं के अनुसार स्कंदमाता का रंग सफेद कहा गया है। देवी भागवत में कहा गया है कि माता स्कंदमाता का प्राकट्य मां गौरी से ही हुआ था इसलिए उनका रंग धवल यानी...

Navratri Fourth Day: Kushmanda Mata

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Navratri: Kushmanda Mata नवरात्रि के चतुर्थ दिवस की महिमामयी देवी का नाम माता कूष्माण्डा है। इशत हास्य से ब्रह्माण्ड की रचना करने वाली देवी को ही कूष्माण्डा के नाम से संबोधित किया जाता है। कूष्माण्डा देवी की कृपा से ही श्रृष्टि का विस्तार संभव हुआ।  Kushmanda Mata Ka Swaroop कूष्माण्डा देवी की कांति और आभा सूर्य के समान हैं। देवी का यह स्वरूप अन्नपूर्णा कहलाता है। प्रकृति का दोहन और लोगो को भूल प्यास से व्याकुल देखकर माता ने शाकुंभरी का रूप धरा। शाक से धरती को पल्लवित किया और सताक्षी बनकर असुरों का संहार किया। कूष्माण्डा देवी उदर की देवी है और इन्हें प्रकृति और पर्यावरण की अधिष्ठात्री देवी के रूप में पूजा जाता है। कूष्माण्डा देवी की आराधना के बिना जप और ध्यान कभी सम्पूर्ण नही होते। माता के इस रूप की आराधना से तृप्ति और तुष्टि दोनो प्राप्त होते है। माता कूष्माण्डा अपने भक्तो के सभी संकटों को दूर करके उनके रोग,शोक का निवारण करती हुवि उनके सौभाग्य को बढ़ाकर उनके स्वास्थ्य और आयु में वृद्धि करती हुवी उनको बुद्धि प्रदान करती है। मां दुर्गा की चौथी शक्ति का नाम मां कुष्मांडा ...

Navratri Day Third : Chandraghanta Mata

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Chandraghanta Mata: Navratri 3rd Day प्रिय भक्त जनों , नवरात्रि के तीसरे दिन आदिशक्ति के मनोहारी स्वरूप माता चंद्रघंटा की आराधना की जाती है। देवी का यह स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है । माता चंद्रघंटा के स्वरूप की व्याख्या माता के इस स्वरूप में माता के माथे पे घंटे के आकार का अर्ध चंद्र विद्यमान है इसलिए माता को चंद्रघंटा कहा जाता है। इनके शरीर का रंग सोने की आभा के समान बहुत चमकीला है । माता चंद्रघंटा की दस भुजाए है जो आनेको अस्त्र और शस्त्र से विभूषित है। चंद्रघंटा माता की पूजा और आराधना का लाभ माता आदिशक्ति के चंद्रघंटा स्वरूप की जो भी मनुष्य सच्चे मन और श्रद्धा के साथ आराधना करता हैैउसे सम्मान ,यश, और कीर्ति की प्राप्ति होती है। माँ चन्द्रघण्टा के नाम का सार तत्व देवी माँ के तृतीय ईश्वरीय स्वरूप माँ चन्द्रघण्टा की महिमा अपार है। एक ऐसी स्थिति जिसमें हमारा अस्त-व्यस्त मन एकाग्रचित्त हो जाता है, उस अवस्था में आप अपने मन से भागे नहीं क्योंकि यह मन एक प्रकार से दैवीय रूप का प्रतीक ही अभिव्यक्ति करता है।  यही दैवीय रूप दुःख, विपत्ति, भूख और यहाँ तक की शान्ति में भी...

Navratri: Brahmacharini Mata | Navratri Second Day

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Navratri 2022: Brahmacharini Mata प्रिय भक्तो , नवरात्रि के द्वितीय दिवस पर आज हम आपको माता आदिशक्ति के दिव्य श्वेत स्वरूप ब्रह्मचारिणी माता के विषय में बताएंगे। नवरात्रि के द्वितीय दिवस पर ब्रह्मचारिणी माता के दिव्य एवं मनमोहक स्वरूप की पूजा की जाती है। Brahmacharini ka arth ब्रह्म का अर्थ है तप और चारिणी का अर्थ है आचरण करने वाली। अतः हम कह सकते है की जो तप का आचरण करती है उनको ही ब्रह्मचरणी माता के रूप में पूजा जाता है। Brahmacharini Mata ke Swaroop ka Varnan ब्रह्मचारिणी माता के ये स्वरूप ज्योतिर्मय है और माता के दाहिने हाथ में जप माला और बाए हाथ में कमंडल है । माता ब्रह्मचारिणी की उपासना से तप ,त्याग, और सय्यम की वृद्धि होती है । Brahmacharini Mata ka naamkaran sanskar पर्वत राज हिमालय की पुत्री देवी पार्वती ने भगवान शंकर को अपने पति रूप में पाने के लिए हजारों वर्षो तक घोर तप किया जिसके कारण माता को ब्रह्मचारिणी के नाम से संबोधित किया गया। माता आदिशक्ति के इसी स्वरूप की कठिन तपस्या से भगवान शिव ने प्रसन्न होकर माता पार्वती से विवाह किया था। Brahmacharini Mata Ke Rang ka varnan ब्र...

Navratri: Mata Shailputri Devi Pujan | Navratri First Day

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Navratri: Mata Shailputri Pujan नवरात्रि के प्रथम दिवस की देवी माता शैलपुत्री है जिनकी पूजा प्रत्येक नवरात्रि के प्रथम दिवस पर पूर्ण विधि विधानों के साथ करके शुभ नवरात्रि का प्रारंभ किया जाता है । Mata Shailputri ka Divya rang: Narangi माता शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री कही जाती है। हिमालय की पुत्री देवी शैलपुत्री जब अरुणोदय काल में प्रकट हुवी थी तब सूर्य की किरणों की वजह से उनका रंग नारंगी था। Mata Shailputri Katha चैत्र नवरात्रि की प्रथम शक्ति के रूप में माता शैलपुत्री की पूजा पूर्ण श्रद्धा के साथ की जाती है। माता आदिशक्ति अपने पूर्व जन्म में प्रजापति दक्ष की पुत्री थी जिनका नाम सती था और उनका विवाह सदाशिव के साथ संपन्न हवा था। शिव पुराण में कथा आती है की एक बार जब दक्ष प्रजापति ने महा यज्ञ का आयोजन किया तब उन्होंने अपने जमता भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया। देवी सती बिना निमंत्रण के ही अपने पिता के यज्ञ में जाने का आग्रह भगवान शिव से करने लगी। भगवान सदाशिव के मना करने पर भी कि (बिना निमंत्रण किसी के घर जाने से अपमान होता है) माता ने हठ पकड़ली जिसका दुष्परिणाम हुवा की माता सती ...