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मंगलवार का देवता कौन है? | मंगलवार को कौन सा मंत्र पढ़ना चाहिए?

शास्त्रों के मुताबिक, मंगलवार का दिन भगवान गणेश, भगवान हनुमान, और देवी दुर्गा और काली को समर्पित है। मंगलवार को बजरंगबली का दिन माना जाता है। इस दिन बजरंगबली की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। मंगलवार की पूजा मंगलवार को हनुमान जी की पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है। हनुमान जी को शक्ति, बल, साहस और संकट मोचन का देवता माना जाता है। माना जाता है कि मंगलवार के दिन अगर सच्चे मन और पूरी श्रद्धा के साथ हनुमान जी की पूजा की जाए तो व्यक्ति को हर संकट से मुक्ति मिल जाती है। शास्त्रों के मुताबिक, मंगलवार के दिन देवी पूजा के लिए पंचमेवा, मिष्ठान, फल, लाल रंग के पुष्प और माला, कलावा, दिया, बाती, रोली, सिंदूर, पानी वाला नारियल, अक्षत, लाल कपड़ा, पूजा वाली सुपारी, लौंग, पान के पत्ते, गाय का घी, कलश, आम का पत्ता, कमल गट्टा, समिधा, लाल चंदन, जौ, तिल, सोलह श्रृंगार का सामान आदि रखना चाहिए।  मंगलवार को व्रत रखने से कुंडली में मंगल दोष से मुक्ति भी मिल सकती है। मंगलवार के दिन में क्या खास है? मंगलवार का दिन हनुमान जी को समर्पित है. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, मंगलवार के दिन ही बजरं

Navratri Day Third : Chandraghanta Mata

Chandraghanta Mata: Navratri 3rd Day

प्रिय भक्त जनों , नवरात्रि के तीसरे दिन आदिशक्ति के मनोहारी स्वरूप माता चंद्रघंटा की आराधना की जाती है। देवी का यह स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है ।

माता चंद्रघंटा के स्वरूप की व्याख्या

माता के इस स्वरूप में माता के माथे पे घंटे के आकार का अर्ध चंद्र विद्यमान है इसलिए माता को चंद्रघंटा कहा जाता है। इनके शरीर का रंग सोने की आभा के समान बहुत चमकीला है । माता चंद्रघंटा की दस भुजाए है जो आनेको अस्त्र और शस्त्र से विभूषित है।

चंद्रघंटा माता की पूजा और आराधना का लाभ

माता आदिशक्ति के चंद्रघंटा स्वरूप की जो भी मनुष्य सच्चे मन और श्रद्धा के साथ आराधना करता हैैउसे सम्मान ,यश, और कीर्ति की प्राप्ति होती है।

माँ चन्द्रघण्टा के नाम का सार तत्व

देवी माँ के तृतीय ईश्वरीय स्वरूप माँ चन्द्रघण्टा की महिमा अपार है। एक ऐसी स्थिति जिसमें हमारा अस्त-व्यस्त मन एकाग्रचित्त हो जाता है, उस अवस्था में आप अपने मन से भागे नहीं क्योंकि यह मन एक प्रकार से दैवीय रूप का प्रतीक ही अभिव्यक्ति करता है। 

यही दैवीय रूप दुःख, विपत्ति, भूख और यहाँ तक की शान्ति में भी मौजूद है। सार यह कि सबको एक साथ लेकर चलें- चाहे खुशी हो या गम-सब विचारों, भावनाओं को एकत्रित करते हुए एक विशाल घण्टे-घड़ियाल के नाद की तरह देवी के चरणों में समर्पित करें। देवी के इस नाम 'चन्द्रघण्टा/चन्द्रघंटा' का यही अर्थ है और तृतीय नवरात्री के उपलक्ष्य में इसे मनाया जाता है।

Chandraghanta Mata Upasana Mantra

"पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता। 
प्रसादं तनुते मह्रयं चन्द्रघण्टेति विश्रुता ॥"

अर्थात- इनके मस्तक में घंटे के आकार का अर्धचंद्र है। इनके शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला है। इनके दस हाथों में शस्त्र आदि हैं। इनका वाहन सिंह है। इनकी मुद्रा युद्ध के लिए तैयार रहने जैसी है। इनके घंटे की भयानक ध्वनि से अत्याचारी दानव, दैत्य सभी डरते हैं।

विशेष तथ्य 

  • नवरात्रि के प्रथम दिन पूर्ण माता आदिशक्ति का प्राकट्य हवा था ।
  • माता आदिशक्ति के आदेश पर ही ब्रह्मा जी ने श्रृष्टि की रचा प्रारंभ की थी।
  • नवरात्रि में पूजे जाने वाले सभी देवी स्वरूप माता आदिशक्ति के ही दिव्य स्वरूप है।

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