शास्त्रों के मुताबिक, मंगलवार का दिन भगवान गणेश, भगवान हनुमान, और देवी दुर्गा और काली को समर्पित है। मंगलवार को बजरंगबली का दिन माना जाता है। इस दिन बजरंगबली की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। मंगलवार की पूजा मंगलवार को हनुमान जी की पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है। हनुमान जी को शक्ति, बल, साहस और संकट मोचन का देवता माना जाता है। माना जाता है कि मंगलवार के दिन अगर सच्चे मन और पूरी श्रद्धा के साथ हनुमान जी की पूजा की जाए तो व्यक्ति को हर संकट से मुक्ति मिल जाती है। शास्त्रों के मुताबिक, मंगलवार के दिन देवी पूजा के लिए पंचमेवा, मिष्ठान, फल, लाल रंग के पुष्प और माला, कलावा, दिया, बाती, रोली, सिंदूर, पानी वाला नारियल, अक्षत, लाल कपड़ा, पूजा वाली सुपारी, लौंग, पान के पत्ते, गाय का घी, कलश, आम का पत्ता, कमल गट्टा, समिधा, लाल चंदन, जौ, तिल, सोलह श्रृंगार का सामान आदि रखना चाहिए। मंगलवार को व्रत रखने से कुंडली में मंगल दोष से मुक्ति भी मिल सकती है। मंगलवार के दिन में क्या खास है? मंगलवार का दिन हनुमान जी को समर्पित है. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, मंगलवार के दिन ही बजरं
नवरात्रि अष्टम दिवस: माता महागौरी
नवरात्रि के अष्टम दिवस पर माता महागौरी की उपासना की जाती है। माता महागौरी के इस दिव्य स्वरूप में उनके सभी वस्त्र और आभूषण सफेद है अतः इसीलिए माता को श्वेतांभरधरा भी कहा जाता है।
मां दुर्गा के अष्टम स्वरूप में माता महागौरी की पूजा करने से संतान संबंधी कष्टों से मुक्ति मिलती है। माता महागौरी की उपासना से भक्तो के सभी पाप नष्ट हो जाते है यहां तक की पूर्व संचित पाप भी नष्ट हो जाते है। अष्टमी के दिन महिलाएं अटल सुहाग की कामना से माता महागौरी को चुनरी भेट करती हैं।
Mata Mahagauri Ka Swaroop Varnan
माता महागौरी की चार भुजाएं हैं, इनके ऊपर का दाहिना हाथ अभय मुद्रा में है, और नीचे वाले दाहिने हाथ में त्रिशूल है। उपर वाले बायें हाथ में डमरू और नीचे का बायां हाथ वर मुद्रा में है। माता महागौरी का वाहन वृषभ (बैल) है।
अत्यन्त शांत रहने वाली माता महागौरी की उपासना से भक्तों के सभी पाप संताप और दुःख स्वयं नष्ट हो जाते हैं। माता की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने माता महागौरी के ऊपर गंगा जल डाला तभी से इनका रंग पूर्ण सफेद हो गया।
Mata Mahagauri Mantra
श्वेत वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचिः ।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा॥
अर्थात्ः देवी महागौरी का रंग बहुत गोरा है। इनके वस्त्र और आभूषण आदि भी सफेद ही हैं। महागौरी का वाहन बैल है। दाहिने ऊपर वाले हाथ में अभय मुद्रा और नीचे वाले हाथ में त्रिशूल
है। बाएं हाथ में डमरू और वर मुद्रा है। इनका स्वभाव अति शांत है।
Note
- माता महागौरी को नारियल का भोग लगाया जाता है। माता निसंतान प्राणियों की मनोकामना पूर्ण करती है।
- माता पार्वती ने कटोर तपस्या कर भगवान शिव को पति रूप में पाया जिसके पश्चात माता का ये स्वरूप महागौरी कहलाया।
Mata Mahagauri Aarti
जय महागौरी जगत की माया |
जया उमा भवानी जय महामाया ॥
हरिद्वार कनखल के पासा |
महागौरी तेरा वहां निवासा ॥
चंद्रकली ओर ममता अम्बे |
जय शक्ति जय जय मां जगदंबे ||
भीमा देवी विमला माता |
कौशिकी देवी जग विख्याता ||
हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा |
महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा ||
सती सत हवन कुंड में था जलाया |
उसी धुएं ने रूप काली बनाया ||
बना धर्म सिंह जो सवारी में आया ।
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया ||
तभी मां ने महागौरी नाम पाया ।
शरण आनेवाले का संकट मिटाया ||
शनिवार को तेरी पूजा जो करता |
मां बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता ||
भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो ।
महागौरी मां तेरी हरदम ही जय हो ।
जय महागौरी जगत की माया |
जया उमा भवानी जय महामाया ||
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