Neem Karoli Baba Aur Rog Mukti Vaidik Mantra प्रिय भक्तों आज हम आप सभी को ऐसे मंत्र के बारे में बताएंगे जिसका उच्चारण करके आप सभी रोगों से मुक्ति पा सकते हैं। हम सभी के जीवन में अनेकों अनेक रोग कभी न कभी आ ही जाते हैं जिनकी वजह से हम सभी का जीवन हस्त व्यस्त हो जाता है। परम पूज्य श्री नीम करोली बाबा की कृपा से और हनुमान जी के आशीर्वाद से हम सभी को बाबा जी का सानिध्य प्राप्त हुआ और बाबा जी के सानिध्य में रहकर हम सभी ने राम नाम रूपी मंत्र को जाना जिसके उच्चारण मात्र से हम सभी को प्रभु श्री राम के साथ-साथ हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है। बाबा जी के दिशा निर्देशों के अनुसार हम सभी अपने जीवन की मोह माया से मुक्ति पा सकते हैं। यूं तो जब तक जीवन है तब तक माया से मुक्ति पाना संभव नहीं हो पता परंतु गृहस्थ जीवन में रहकर भी एक सन्यासी का जीवन जीना सहज हो सकता है यदि हम ईश्वर में अपने मन को रमाने का प्रयास करें और अपने कर्म पर ध्यान दे क्योंकि गीता में भी भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि कर्म ही प्रधान है। यदि हम बिना किसी लोभ के, बिना किसी आशा के, बिना ये सोचे कि यह पुण्य है या पाप केवल ...
Navratri 2022: Brahmacharini Mata
प्रिय भक्तो , नवरात्रि के द्वितीय दिवस पर आज हम आपको माता आदिशक्ति के दिव्य श्वेत स्वरूप ब्रह्मचारिणी माता के विषय में बताएंगे। नवरात्रि के द्वितीय दिवस पर ब्रह्मचारिणी माता के दिव्य एवं मनमोहक स्वरूप की पूजा की जाती है।
Brahmacharini ka arth
ब्रह्म का अर्थ है तप और चारिणी का अर्थ है आचरण करने वाली। अतः हम कह सकते है की जो तप का आचरण करती है उनको ही ब्रह्मचरणी माता के रूप में पूजा जाता है।
Brahmacharini Mata ke Swaroop ka Varnan
ब्रह्मचारिणी माता के ये स्वरूप ज्योतिर्मय है और माता के दाहिने हाथ में जप माला और बाए हाथ में कमंडल है । माता ब्रह्मचारिणी की उपासना से तप ,त्याग, और सय्यम की वृद्धि होती है ।
Brahmacharini Mata ka naamkaran sanskar
पर्वत राज हिमालय की पुत्री देवी पार्वती ने भगवान शंकर को अपने पति रूप में पाने के लिए हजारों वर्षो तक घोर तप किया जिसके कारण माता को ब्रह्मचारिणी के नाम से संबोधित किया गया। माता आदिशक्ति के इसी स्वरूप की कठिन तपस्या से भगवान शिव ने प्रसन्न होकर माता पार्वती से विवाह किया था।
Brahmacharini Mata Ke Rang ka varnan
ब्रह्मचारिणी माता के दिव्य स्वरूप का रंग सफेद बताया गया है। देवी पुराण के 45वें अध्याय के अनुसार माता ब्रह्मचारिणी सदैव तप में लीन रहती है जिसके फल स्वरूप माता का रंग पवित्र श्वेत हो गया है। लगातार तप करने के कारण माता का स्वरूप तेजोमय हो गया है । इसी कारण माता के रूप का रंग श्वेत यानी गौर वर्ण का बताया गया है।
Mata Brahmacharini ka mantra
"या देवी सर्वभूतेषु ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।"
॥स्तुति मंत्र।
दधाना करपद्माभ्याम्, अक्षमालाकमण्डलू। देवी प्रसीदतु मयि, ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
(जिनके एक हाथ में अक्षमाला है और दूसरे हाथ में कमण्डल है, ऐसी उत्तम ब्रह्मचारिणीरूपा मां दुर्गा मुझ पर कृपा करें।)
भोग: उपवास के बाद माता को शक्कर का भोग लगाया जाता है। इससे घर के सभी सदस्यों की आयु बढ़ती है।
Comments
Post a Comment
Please do not enter any spam link in a comment box.