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Kainchi Dham
हेमदा का बड़ा पुत्र, रब्बू (रविन्द्र कुमार जोशी) तब जमशेदपुर में विजय मशीनरी (उषा सेल्स) में सेल्स - ब्रांच में था। सेल्स के सिलसिले में वह राँची गया था। अपने काम के बाद एक साझे की टैक्सी से वह जमशेदपुर वापिस आ रहा था। चाईबासा से काफी पहले टैक्सी का ब्रेक फेल हो गया और उस पहाड़ी ढाल वाली सड़क पर टैक्सी बिना ब्रेक -क्लच के ट्रोल के नीचे को दौड़ पड़ी - तेज, और तेज। स्थिति समझकर 21 - 22 वर्ष का रब्बू जोर से चिल्ला उठा, महाराज ! उसका इस तरह चिल्लाना था कि एक चौड़े मोड़ पर टैक्सी एकाएक घूमकर चक्कर लगाने लगी जबकि सरदार ड्राइवर उसे केवल मोड़ पर स्टीयरिंग घुमाकर नीचे जाती सड़क पर लाना चाहता था - नीचे खड्ड में गिरने से बचाने मात्र के लिए। इस तरह तीन - चार चक्कर लगाने के बाद टैक्सी स्वयं ऊँचाई की ओर मुँह करके रूक गई। तभी सरदार जी बोल उठे, "आज कौन भाग्यवान बैठा है मेरी टैक्सी में कि "आई मौत टल गई।"
महाराज जी
की कृपानुभूति करता रब्बू दूसरी सवारी लेकर जमशेदपुर पहुँच गया सकुशल - दूसरा जन्म लिए।

अनन्त कथामृत से
जय श्री नीम करोली बाबा की
जय श्री कैंची धाम की

Comments

  1. Baba ke charno me barmbar pranam guru baba bus apne hath mere sir pe hamesa bnaye rakhe aur ashirwad de

    Jai baba neem karoli ki

    ReplyDelete

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